अगले हफ्ते भारत के एक मिसाइल टेस्ट को लेकर पाकिस्तान, बंगाल की खाड़ी की तरफ टकटकी लगाए देख रहा है. ऐसा इसलिए, क्योंकि पिछले तीन दिनों में भारत ने इस मिसाइल की रेंज को तीन बार बढ़ाकर साढ़े तीन हजार (3550) किलोमीटर कर दिया है. ऐसे में ऑपरेशन सिंदूर से बिलबिलाए पाकिस्तान की सीने की धुकधुकी बढ़ रही है.
6 अक्टूबर को नोटम (नोटिस टू एयरमैन) जारी करते हुए इस परीक्षण के लिए नो फ्लाइंग जोन की रेंज 1480 किलोमीटर रखी गई थी. लेकिन अगले दिन इसकी रेंज 2520 किलोमीटर कर दी गई. फिर महज 22 घंटे में इसकी रेंज 3550 किलोमीटर कर दी गई. ऐसे में कयास उठ रहे हैं कि ये कौन सी मिसाइल हो सकती है.
25 सितंबर को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) और स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड (एसएफसी) कमान ने 2000 किलोमीटर की रेंज वाली अग्नि-प्राइम का टेस्ट किया था. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि 15-17 अक्तूबर के बीच होने वाला परीक्षण भी अग्नि सीरीज की मिसाइल का हो सकता है.
देश की सबसे घातक मिसाइलों में से एक अग्नि के प्राइम वर्जन का डीआरडीओ ने रेल नेटवर्क के जरिए पहली बार सफल परीक्षण किया था. करीब 2000 किलोमीटर की रेंज वाली मध्यम दूरी की अग्नि-प्राइम बैलिस्टिक मिसाइल, पुरानी पड़ चुकी अग्नि सीरीज से टेक्नोलॉजी के मामले में ज्यादा उन्नत है.
डीआरडीओ ने अग्नि प्राइम का परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर से रेल मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया गया था. अग्नि-प्राइम परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम.बैलिस्टिक मिसाइल हाई लेवल की सटीकता के साथ दुश्मनों के ठिकाने को करेगी तबाह.
भारत के आयुध भंडार में अग्नि मिसाइल की कई रेंज हैं और सबसे ज्यादा रेंज की 5000 किलोमीटर की है. अग्नि-5 की मारक क्षमता पाकिस्तान और चीन के सबसे उत्तरी हिस्से के साथ-साथ यूरोप के कुछ क्षेत्रों सहित लगभग पूरे एशिया तक है. इसे देश की दीर्घकालिक सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए विकसित किया गया है. अग्नि-5 मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत है एमआईआरवी टेक्नोलॉजी. एमआईआरवी यानी मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल. इस तकनीक के तहत एक ही मिसाइल अपने साथ कई परमाणु हथियार ले जाकर हमला कर सकती है जिससे अलग-अलग टारगेट को निशाना बनाया जा सकता है.