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तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं, विक्रमादित्य के रिप्लेसमेंट की है दरकार  

भारतीय नौसेना को तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर की नहीं, बल्कि मौजूदा आईएनएस विक्रमादित्य के ‘रिप्लेसमेंट’ की जरूरत है. क्योंकि रूसी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य अगले एक दशक तक रिटायर हो सकता है.

भारतीय नौसेना के आधुनिकीकरण प्लान में दूसरे स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर (‘आईएसी-2’) बनाने का जिक्र है. पिछले कई सालों से नौसेना, सरकार से आईएसी-2 के निर्माण के लिए मिलने वाली जरूरी मंजूरी का इंतजार कर रही है. लेकिन सरकार ने साफ कर दिया है कि नेवी को ‘तीसरा’ एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं मिल सकता है. क्योंकि अंडमान निकोबार को सरकार, ‘स्टेटिक’ एयरक्राफ्ट कैरियर मानती है.

ऐसे में उच्च पदस्थ सूत्रों ने साफ किया है कि “नौसेना, तीसरे विमानवाहक युद्धपोत की मांग नहीं कर रही है. बल्कि, विक्रमादित्य के रिप्लेसमेंट की मांग कर रही है.”

आईएनएस विक्रमादित्य हो गया है 38 साल पुराना

भारतीय नौसेना ने आईएनएस विक्रमादित्य को वर्ष 2013 में रूस से खरीदा था. लेकिन ये नया एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं था. रूस ने अपने पुराने एडमिरल गोर्शकोव युद्धपोत को रिफर्बिश्ड कर विमान-वाहक युद्धपोत में तब्दील कर दिया था. गोर्शकोव को, रूस ने 1987 में अपने जंगी बेड़े में शामिल किया था. ऐसे में विक्रमादित्य की उम्र 38 वर्ष हो चुकी है.

अगले एक दशक में विक्रमादित्य को 50 साल पूरे हो जाएंगे और रिटायरमेंट की कगार पर पहुंच जाएगा. यही वजह है कि भारतीय नौसेना को चिंता सताने लगी है.

नेवी की चिंता इसलिए भी वाजिब है क्योंकि एक एयरक्राफ्ट को बनाने में एक दशक से ज्यादा का समय लगता है.

आईएनएस विक्रांत के निर्माण में लगा एक दशक से ज्यादा का समय

वर्ष 2022 में स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत (आईएसी-1), नौसेना के जंगी बेड़े का हिस्सा बना था. आईएसी-1 को बनाने में कोचीन शिपयार्ड को करीब 14 साल लगे थे. वर्ष 2013 में आईएसी-1 को पहली बार समंदर में लॉन्च किया गया था.

करीब 45 हजार टन वजनी, आईएनएस विक्रांत के निर्माण में रक्षा मंत्रालय को करीब 18 हजार करोड़ का खर्च आया था. इसके साथ ही एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात करने के लिए लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर की जरूरत भी होती है. ऐसे में एक विमान-वाहक युद्धपोत काफी मंहगा सौदा होता है.

चीन, अमेरिका, रूस, फ्रांस और इंग्लैड के बाद भारत ही ऐसा देश है जो खुद का एयरक्राफ्ट कैरियर बना सकता है.

आईएनएस विक्रांत के लिए चाहिए डेक-बेस्ट राफेल (एम) फाइटर जेट

तीन साल बाद भी आईएनएस विक्रांत पर तैनात करने के लिए भारतीय नौसेना के पास कोई डेक-बेस्ट फाइटर जेट नहीं है. आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात होने वाले मिग-29के को ही विक्रांत से ओपरेट किया जा रहा है.

शनिवार को आम बजट-2025 के ऐलान के वक्त, रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण के लिए जो पैसा आवंटित हुआ है, उससे डेक-बेस्ड लड़ाकू विमान खरीदे जाएंगे.

इसी महीने (11-12 तारीख) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, फ्रांस की राजधानी पेरिस में एआई समिट मे हिस्सा लेने जा रहे हैं. माना जा रहा है कि इस दौरान फ्रांस से 26 राफेल फाइटर जेट के मरीन वर्जन खरीदने पर चर्चा हो सकती है. सूत्रों ने हालांकि, साफ किया कि पीएम मोदी के दौरे के दौरान ‘कम संभावना’ है कि राफेल (एम) पर समझौता या फिर कोई बड़ा ऐलान हो सकता है.

नौसेना को पूरे हिंद महासागर की सुरक्षा के लिए कम से कम दो एयरक्राफ्ट कैरियर की जरूरत है. यही वजह है कि इंडियन नेवी, विक्रमादित्य के रिप्लेसमेंट के लिए सरकार को एक बार फिर नए सिरे से अपनी जरूरत बताने जा रही है.

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