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Russia Ukraine: भारत का शांति-फॉर्मूला तैयार

रुस और यूक्रेन के बीच शांति कायम करने के लिए भारत अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार है. दिल्ली के दौरे पर आए यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने शुक्रवार को भारतीय समकक्ष एस जयशंकर के खास मुलाकात की और ‘शांति-फॉर्मूले’ पर खास चर्चा की.

भारत के विदेश मंत्री से मुलाकात के बाद कुलेबा ने अपने ‘एक्स’ अकाउंट पर लिखा कि “मेरी एस जयशंकर के साथ भारत और यूक्रेन के द्विपक्षीय संबंधों, क्षेत्रीय परिस्थितियों और वैश्विक सुरक्षा को लेकर बेहद ही गंभीर और विस्तृत चर्चा हुई.” उन्होंने लिखा कि इस वार्ता के दौरान हमने (रुस-यूक्रेन युद्ध को लेकर) “पीस-फॉर्मूला और उसके लागू करने पर खास ध्यान दिया.” 

जयशंकर ने वार्ता की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा कि “हमारी बातचीत का मुख्य केंद्र (रुस-यूक्रेन) कॉन्फ्लिक्ट और उसका व्यापक प्रभाव था. हमने इसको लेकर उठाए गए पहलुओं पर एक दूसरे से विचारों का आदान-प्रदान किया.” विदेश मंत्री ने लिखा कि “हमने इसके अलावा उन क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी बात की जो हम दोनों के देशों के हित में हैं.” जयशंकर के मुताबिक, हमने द्विपक्षीय सहयोग सहित समग्र संबंधों को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.

रुस-यूक्रेन युद्ध शुरु होने के बाद पहली बार कुलेबा भारत के दौरे पर आए हैं. पिछले दो सालों से चल रहे युद्ध और जल्द खत्म न होने की संभावना को देखते हुए यूक्रेन ने भारत का रुख किया है. अभी तक अमेरिका और दूसरे नाटो देशों की सैन्य और वित्तीय सहायता के चलते यूक्रेन युद्ध को खींच रहा था. लेकिन इजरायल-हमास युद्ध और अमेरिका द्वारा सहायता से हाथ खींचने से यूक्रेन के लिए युद्ध में डटे रहना मुश्किल होता जा रहा है (Ukraine: भारत दौरे से पहले गांधी आए याद).

यूक्रेन जानता है कि भारत के रशिया से गहरे संबंध हैं. इसके अलावा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आपसी केमिस्ट्री बेहद मजबूत है. इसके सबके बावजूद मोदी ने पुतिन से मुलाकात के दौरान कह दिया था कि ये युद्ध का युग नहीं है. ऐसे में यूक्रेन की कोशिश है कि किसी तरह मजबूत पक्ष के साथ रुस के साथ बातचीत की टेबल पर आया जाए और युद्ध को जल्द से जल्द समाप्त किया जाए (Russia Ukraine war: ‘रणभूमि में हल संभव नहीं).

भारत के दो दिवसीय दौरे (28-29 मार्च) के दौरान कुलेबा ने डिप्टी एनएसए विक्रम मिश्री से भी बातचीत की. साथ ही विदेश मंत्री जयशंकर के साथ इंटरगर्वमेंटल वार्ता भी की. यही वजह है कि यूक्रेन ने भारत के साथ एक बार फिर से व्यापार, साइंस एंड टेक्नोलॉजी, डिफेंस, एग्रीकल्चर, हेल्थ, एजुकेशन और संस्कृति के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की. 

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