हिंद महासागर में युद्ध के समय और शांति काल, दोनों के लिए भारत ने एक साझा एम्फीबियस डॉक्ट्रिन जारी की है. सोमवार को खुद सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों की मौजूदगी में इस रणनीति को जारी किया.
तीनों अंगों यानी थलसेना, वायुसेना और नौसेना की साझा थिएटर कमांड की तरफ अग्रसर देश में एम्फीबियस (जल और थल में एक साथ) ऑपरेशन के लिए ज्वाइंट डॉक्ट्रिन रिलीज की गई है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, ये डॉक्ट्रिन (सिद्धांत) एक मील का पत्थर है और आज के बेहद ही जटिल मिलिट्री वातावरण में एम्फीबियस ऑपरेशन्स के लिए सैन्य कमांडर्स को मार्ग-दर्शन प्रदान करेगा.
एम्फीबियस क्षमता से सशस्त्र सेनाएं हिंद महासागर में युद्ध और शांति के समय, कई तरह के ऑपरेशन कर सकेंगी. मल्टी डोमेन ऑपरेशन देश की सेना के तीनों अंगों के लिए साझेदारी और एकीकरण का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है. अभी तक हिंद महासागर में भारतीय नौसेना अकेले ऑपरेशन्स करती थी. लेकिन इस डॉक्ट्रिन के साथ, नौसेना को ऑपरेशन्स में थलसेना और वायुसेना भी मदद करेंगी.
एम्फीबियस डॉक्ट्रिन दूसरी साझा रणनीति है. इससे पहले सेना के तीनों अंगों ने ज्वाइंट साइबर-स्पेस ऑपरेशन्स रणनीति भी जारी की थी.
हाल ही में (4-5) सितंबर को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सेना के तीनों अंगों के टॉप मिलिट्री कमांडर्स ने ज्वाइंट मिलिट्री कॉन्फ्रेंस (जेसीसी) का आयोजन किया था जिसमें थिएटर कमान बनाने को लेकर गहन चर्चा हुई थी.
फिलहाल देश में कुल 17 अलग-अलग कमांड हैं, जिसमें थलसेना और वायुसेना की सात-सात और नौसेना की तीन है. इसके अलावा एक-एक स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड (एसएफसी) और अंडमान निकोबार कमांड है. ऐसे में निकट भविष्य में साझा तीन थिएटर कमांड बनाने की तैयारी चल रही है.