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म्यांमार बॉर्डर की किलेबंदी, fencing की तैयारी

पिछले 10 सालों से भारत अपनी सीमाएं मजबूत करने में जुटा है. देश को सुरक्षित बनाना मोदी सरकार की प्राथमिकता है और इसी प्राथमिकता के चलते भारत की सीमाओं की किलेबंदी की जा रही है. सीमाओं को अभेद्य बनाने के लिए पाकिस्तान, बांग्लादेश सीमा के बाद अब भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाई जाएगी. गृह मंत्रालय ने 1643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमार पर फेंसिंग (कटीली तार) को मंजूरी दे दी है.

भारत-म्यांमार बॉर्डर पर बाड़ लगने की पुष्टि खुद गृहमंत्री अमित शाह ने की है. अमित शाह ने एक्स (ट्विटर) प्लेटफॉर्म पर जानकारी देते हुए लिखा है कि भारत-म्यांमार सीमा पर लंबी फेंसिंग होगी, पेट्रोलिंग ट्रैक भी बनाया जाएगा, ताकि सीमा पर तैनात सुरक्षाबल सही से सुरक्षा कर सकें. पर म्यांमार सीमा पर होने वाली फेंसिंग को लेकिन सवाल ये उठाए जा रहे हैं कि क्या मोदी सरकार पुराने फ्री मूवमेंट रेजीम (एमएफआर) यानी मुक्त आवाजाही समझौते को खत्म कर देगी ?

भारत-म्यांमार सीमा बनेगी अभेद्य- अमित शाह
अमित शाह ने घोषणा की कि ” भारत की सुरक्षा के लिए मोदी सरकार प्रतिबद्ध है. भारत-म्यांमार सीमा पर कुल 1643 किलोमीटर लंबी फेंसिंग होगी. इस फेंसिंग के साथ एक लंबी पेट्रोलिंग ट्रैक को बनाया जाएगा. कुल सीमा में से मणिपुर के मोरेह में 10 किलोमीटर के हिस्से में बाड़ लगाई जा चुकी है. हाइब्रिड सर्विलांस सिस्टम से  फेंसिंग लगाने के लिए 2 पायलट प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. इन प्रोजेक्ट्स के तहत अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में एक किलोमीटर  सीमा पर बाड़ लगेगी. मणिपुर में लगभग 20 किलोमीटर लंबी सीमा पर बाड़ लगाने को भी मंजूरी मिल चुकी है. इस पर काम जल्द शुरू हो जाएगा “

सीमा पर अपने लोगों की सुरक्षा से समझौता नहीं- शाह
अमित शाह ने सोमवार को सिक्योरिटी बियॉन्ड टुमोरो नाम के एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था, उस कार्यक्रम में भारत की सुरक्षा को लेकर खुलकर बात की. अमित शाह ने कहा- सीमा पर अपने लोगों की सुरक्षा पर भारत कोई समझौता नहीं करेगा. पिछले 10 साल के कार्यकाल में भारत की आंतरिक सुरक्षा बेहद मजबूत हुई. मोदी सरकार की नीति के चलते जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित इलाकों पर पूरी तरह से कंट्रोल किया गया है. भारत की आंतरिक और बाहरी देशों से नीतियां स्पष्ट हैं. हम दूसरे देशों से मित्रता चाहते हैं, पर अपनी सुरक्षा से बिल्कुल समझौता नहीं करेंगे. दूसरे देशों ने भी भारत की इस नीति को समझा है और उसका सम्मान करते हैं. अब अमित शाह ने म्यांमार बॉर्डर पर फेंसिंग की जानकारी दी है,  

अभी 16 किलोमीटर तक आने जाने की है इजाजत
भारत-म्यांमार सीमा के आसपास के निवासियों को बिना वीजा एक दूसरे की सीमा में आने जाने की इजाजत थी. व्यापार के लिए या दूसरी वजहों से भारत के या फिर म्यांमार के लोग एक-दूसरे की सीमा में 16 किलोमीटर (दोनों देशों में 8-8 किलोमीटर) तक की यात्रा कर सकते थे. भारत-म्यांमार के बीच फ्री मूवमेंट का एग्रीमेंट 1970 में हुआ था, तब से सरकार इस समझौते को बढ़ा रही है. आखिरी बार साल 2016 में समझौते को बढ़ाया गया था. फेंसिंग की घोषणा के बाद लोगों में कन्फ्यूजन है कि क्या भारत इस समझौते पर भी प्रतिबंध लगाएगा या फिर सिर्फ जंगलों में फेंसिंग की जाएगी.  

क्यों पड़ी फेंसिंग की जरूरत?
भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ कई चुनौतियां मिली हैं, चाहे वो आतंकवाद हो या घुसपैठ हो, अवैध विस्थापन हो या मानव और पशुओं की तस्करी हो, ड्रग्स सप्लाई, या फिर अवैध हथियार की तस्करी हो, भारतीय जवानों को हर एक मोर्चे पर तैनात रहना पड़ता है. साल 2021 में म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद भारत के लिए दिक्कत बढ़ी है, मिलिट्री लीडर जनरल मिन आंग हलिंग ने खुद को म्यांमार का प्रधानमंत्री घोषित कर दिया था. म्यांमार में चल रहे गृह युद्ध की वजह से म्यांमार से करीब 20 लाख लोग विस्थापित हुए हैं. म्यांमार के साथ भारत की खुली सीमा है, ये चार राज्यों से लगती है. दोनों देशों के बीच 1600 किलोमीटर का बॉर्डर है. म्यांमार के रखाइन प्रांत में स्थिति बेहद गंभीर है, गृहयुद्ध चल रहा है, जिसका सीधा असर भारत पर पड़ रहा है, म्यांमार के लोग अवैध तरीके से भारत में घुस जाते हैं, म्यांमार शरणार्थी भारतीय बॉर्डर आसानी से पार कर लेते हैं. गृहयुद्ध के चलते 40 हजार से ज्यादा शरणार्थियों ने मिजोरम तो 4 हजार से ज्यादा रिफ्यूजी ने मणिपुर में शरण ली है. यहां तक की म्यांमार सेना और पुलिस के जवान तक भाग कर भारत की सीमा में दाखिल हो जाते हैं. चीन भी इस अशांति का फायदा उठा रहा है. हाल ही में मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा में भी बॉर्डर पर खुली आवाजाही को कुछ हद तक जिम्मेदार माना गया है. 

विदेश मंत्रालय की भारतीयों को सलाह

म्यांमार में फैली ताजा हिंसा के बाद विदेश मंत्रालय ने भारतीयों के लिए एडवाइजरी जारी की है. एमईए ने कहा है कि म्यांमार के रखाइन प्रांत में रहना खतरे से खाली नहीं, वहां से तुरंत बाहर निकलें. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि- म्यांमार में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति, लैंडलाइन सहित दूरसंचार रोकने और आवश्यक वस्तुओं की गंभीर कमी को देखते हुए, सभी भारतीय नागरिकों को म्यांमार यात्रा न करने की सलाह दी जाती है. 

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