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पुतिन दौरा: रुस से मिलेगी परमाणु पनडुब्बी

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले, दोनों देशों ने रक्षा क्षेत्र में एक बड़ा करार किया है. भारत ने रूस से एक परमाणु पनडुब्बी लीज पर लेने का करार किया है. अकुला (चक्र क्लास) इस परमाणु पनडुब्बी को भारत दस वर्षों के लिए समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल करेगा.

जानकारी के मुताबिक, रूस ने वर्ष 2028 तक एसएसएन यानी सब-सर्फेस न्युक्लियर पनडुब्बी को भारत देने का करार किया है. भारतीय नौसेना के टॉप सूत्रों ने एबीपी न्यूज को बताया कि भारत ने वर्ष 2027 तक इस पनडुब्बी को तैयार कर डिलीवरी करने का आग्रह किया है. इस पनडुब्बी को लेकर नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने मंगलवार को वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में संक्षिप्त जानकारी साझा की.

रुस जिस अकुला क्लास पनडुब्बी को भारत को लीज पर दे रहा है, वो दरअसल पहले रशियन नेवी के लिए बनाई जानी थी. लेकिन कुछ कारणों से उसका निर्माण रुक गया था. अब रूस इस पनडुब्बी को भारतीय नौसेना के सेंसर और दूसरी तकनीक के मुताबिक, बनाकर डिलीवर करेगा. (पुतिन दौरा: अमेरिका को नहीं होगी आपत्ति)

2012-22 तक भी भारत ने लीज पर ली थी रुस से आईएनएस चक्र पनडुब्बी

परमाणु ऊर्जा से चलने वाली ऐसी कोई पनडुब्बी फिलहाल भारत के जंगी बेड़े में नहीं है. रूस से लीज पर ली गई आईएनएस चक्र परमाणु पनडुब्बी को भारत ने वर्ष 2022 में वापस भेज दिया था. इस पनडुब्बी को वर्ष 2021 में रूस से 10 वर्षों के लिए लीज पर लिया गया था.

भारत भी बना रहा है 02 एसएसएन सबमरीन

करीब एक वर्ष पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने 02 ऐसी एसएसएन यानी न्यूक्लियर  पावर अटैक सबमरीन को मंजूरी दी थी. ये दोनों परमाणु पनडुब्बी भारत में ही बनाई जाएंगी. विशाखापट्टनम स्थित शिप बिल्डिंग सेंटर इन दोनों एसएसबीएन पनडुब्बियां का निर्माण करेगी. प्राईवेट कंपनी एलएंडटी इस प्रोजेक्ट में शिप बिल्डिंग सेंटर की मदद करेगा.

एसएसबीएन से अलग है न्युक्लियर-पावर सबमरीन

एसएसएन पनडुब्बी, भारतीय नौसेना की अरिहंत क्लास सबमरीन से अलग हैं. अरिहंत क्लास की दो एसएसबीएन यानी सब-सर्फेस बैलिस्टिक न्यूक्लियर पनडुब्बियां (आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघात) नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल हो चुकी हैं. इस क्लास की अरिदमन पनडुब्बी का निर्माण भी बेहद तेजी से चल रहा है. अरिहंत क्लास पनडुब्बी (एसएसबीएन), परमाणु हथियार संचालित करने में सक्षम हैं. एसएसएन पनडुब्बियां, पारंपरिक हथियारों से लैस होती हैं, उनमें न्यूक्लियर मिसाइल नहीं होती हैं.

दरअसल, परमाणु पनडुब्बी को कई हफ्तों तक समंदर के कई सौ फीट नीचे ऑपरेट किया जा सकता है. जबकि पारंपरिक पनडुब्बी को कुछ दिनों में समंदर से ऊपर लाकर चार्ज किया जाता है. ऐसे में ऐसी पनडुब्बियां, तुरंत दुश्मन की निगाहों में पड़ जाती है. यही वजह है कि भारत, स्वदेशी एसएसएन पनडुब्बियां बनाने के साथ, रूस से लीज पर ले रहा है.

भारत के लिए इसलिए भी रूस से पनडुब्बी लेना बेहद जरूरी है. क्योंकि, चीन के जंगी बेड़े में 60 से ज्यादा पनडुब्बियां हैं. साथ में चीन, पाकिस्तान के लिए भी 08 पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है. 

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