भारतीय नौसेना की ताकत में बढ़ोतरी होने वाली है, क्योंकि भारत ने रूस से किया है एंटी शिप क्रूज मिसाइल की खरीद का सौदा. रूस की साथ इस खरीद के बाद नौसेना की सबमरीन की लड़ाकू क्षमता और ताकत में चौगुना इजाफा हो जाएगा.
रक्षा मंत्रालय ने रूस के साथ एंटी शिप क्रूज मिसाइल के सौदे की पुष्टि की है. रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
रूस से भारत खरीद रहा एंटी क्रूज मिसाइल
रूसी नेवी के पास एक से एक एंटी क्रूज मिसाइलें हैं. एंटी-शिप क्रूज मिसाइल, गाइडेड मिसाइल होती हैं, जिसे दुश्मन के जंगी जहाजों के खिलाफ अचूक वार किया जा सकता है. इन मिसाइल को सबमरीन में लगाया जाता है. इन मिसाइलों में से दुश्मन के फाइटर जेट्स को पलक झपकते ही तबाह हो सकते हैं. ऐसी मिसाइलों का इस्तेमाल रूस ने यूक्रेन युद्ध के दौरान भी किया है. हालांकि ये स्पष्ट तौर पर नहीं बताया गया है कि भारत, रूस से कौन सी एंटी शिप क्रूज मिसाइल खरीद रहा है. (https://x.com/SpokespersonMoD/status/1886744244972671087)
रूस की ताकत है एंटी शिप बैलिस्टिक मिसाइल
हाल ही में रूस ने एक नई तरह की एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल विकसित की है, जो 4000 किलोमीटर तक मार करने की क्षमता रखता है. इसके अलावा रूस के पास 600 किलोमीटर से लेकर 800 किलोमीटर की रेंज तक मार करने वाली मिसाइल हैं, जो हवा में 300 किलोमीटर की ऊंचाई पर दुश्मनों तो निशाना बना सकती हैं.
बड़े सैन्य पार्टनर हैं भारत-रूस
रूस-भारत का बड़ा सैन्य साझेदार है. रूस के साथ भारत ने एयर डिफेंस सिस्टम एस 400 का भी सौदा किया है. भारत ने रूस से टी-90 टैंकों और एसयू-30 एमकेआई का लाइसेंस हासिल किया है. भारत ने रूस से मिग-29 और कामोव हेलीकॉप्टर खरीदे हैं. भारत ने रूस से आईएनएस विक्रमादित्य विमानवाहक पोत हासिल किया है. भारत ने रूस से कई पारंपरिक पनडुब्बियां खरीदी हैं.
टी-90 टैंक के लिए प्रोटेक्शन सिस्टम की तलाश, ग्लोबल आरएफआई जारी
रूस-यूक्रेन जंग से सीख लेते हुए भारतीय सेना ने अपने टी-90 टैंक के लिए ‘एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम’ (एपीएस) की तलाश शुरु कर दी है. इस सिस्टम के जरिए सेना अपने टैंक को लोएटरिंग म्युनिशन, ड्रोन और मिसाइल से बचाना चाहती है.
रक्षा मंत्रालय ने इस एपीएस के लिए एक ग्लोबल आरएफआई यानी रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन जारी कर दी है. इस आरएफआई के जरिए रक्षा मंत्रालय, दुनियाभर की हथियार और दूसरे सैन्य उपकरण बनाने वाली कंपनियों से ऐसे किसी खास प्रोटेक्शन सिस्टम के बारे में जानकारी इकट्ठा करेगी और फिर ऐसी कंपनियों को टेंडर प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा.
भारतीय सेना के पास करीब 1200 रूसी टी-90 भीष्म टैंक हैं. अब इन टैंक का निर्माण रूस की मदद से भारत में ही किया जाता है.
यूक्रेन युद्ध के शुरुआती महीनों में रूस के टैंकों को लोएटरिंग म्युनिशन और ड्रोन के जरिए बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था. ऐसे में रूस ने अपने टैंक की टरेट यानी ऊपरी हिस्से पर एक लोहे की जाल-नुमा छत लगा दी थी. यहां तक की हमास के खिलाफ जंग के दौरान इजरायल ने भी अपने टैंक पर ऐसे लोहे के जाल लगा दिए थे.