बेहद उतार-चढ़ाव के बाद भारत ने अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन लेना का करार कर लिया है. मंगलवार को राजधानी दिल्ली में रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका प्रशासन से करीब 28 हजार करोड़ के इस सौदे पर हस्ताक्षर किए.
अमेरिका के ड्रोन सौदे पर हस्ताक्षर की खबर ऐसे समय में आई जब खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू मामले में भारत ने जांच में सहयोग करना शुरू कर दिया है.
31 प्रीडेटर ड्रोन के साथ ही एमक्यू-9बी बनाने वाली अमेरिकी कंपनी जनरल अटॉमिक से भारत में एमआरओ डिपो बनाने का भी एग्रीमेंट किया है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, एमक्यू-9बी प्रीडेटर के स्काई गार्जियन और सी-गार्जियन वर्जन ड्रोन का सौदा अमेरिका से किया गया है. करार के वक्त रक्षा सचिव गिरिधर अरामने भी मौजूद थे.
एमक्यू-9 रीपर ड्रोन दुनिया के बेहतरीन रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम में से एक है जिसका इस्तेमाल अमेरिकी सेना सहित कई नाटो देश करते हैं. एमक्यू-9 रीपर ड्रोन के आर्म्ड वर्जन यानि कॉम्बैट वर्जन को प्रीडेटर के नाम से जाना जाता है. लेकिन भारत को जो एमक्यू-9 मिलने जा रहे हैं वो अलग तरह के हैं. भारत को एमक्यू-9 के दो वेरिएंट मिलने जा रहे हैं. ये दो वेरिएंट हैं–स्काई-गार्डियन और सी-गार्डियन.
थलसेना यानि भारतीय सेना और वायुसेना को मिलेंगे स्काई-गार्डियन. भारतीय नौसेना को मिलेंगे सी-गार्डियन. इसके मायने ये हुए कि जमीन और आसमान की निगहबानी के लिए स्काई-गार्डियन और समंदर में नजर रखने के लिए सी-गार्डियन.
जानकारी के मुताबिक, अमेरिका से भारत कुल 31 एमक्यू-9 ड्रोन लेने जा रहा है. लेकिन ये डील किस्तों में होगी. यानि पहली खेप में 10 ड्रोन लिए जाएंगे, बाकी उसके बाद. कुल 31 ड्रोन में से 15 ड्रोन जो होंगे नौसेना को मिलेंगे यानि 15 सी-गार्डियन इंडियन नेवी को मिलेंगे. इसी तरह से 16 स्काई गार्डियन जो भारत अमेरिका से लेने जा रहा है उसमें से 8-8 थलसेना और वायुसेना को मिलेंगे. यानी एलएसी से लेकर हिंद महासागर में चीन की हर हरकत पर ये एमक्यू-9 रखेंगे पैनी नजर.
ये एमक्यू-9 कोई साधारण क्वॉडकॉप्टर नहीं हैं बल्कि किसी फाइटर जेट की ही तरह बड़े ड्रोन होते हैं. इसीलिए इन्हें रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम का नाम भी दिया जाता है. इन एयरक्राफ्ट में पायलट, कॉकपिट में बैठकर आसमान में उड़ान नहीं भरता है बल्कि जमीन पर रहकर इन्हें रिमोट से फ्लाई करता है या ऑपरेट करता है. इन एमक्यू-9 ड्रोन की लंबाई 36 फीट होती है और इनका विंगस्पैन यानि चौड़ाई करीब-करीब 80 फीट की होती है.
ये एमक्यू-9 ड्रोन मल्टी रोल-मल्टी मिशन आरपीएएस सिस्टम होते हैं. यानि एक एयरक्राफ्ट कई तरह के रोल अपना सकता है और अलग-अलग तरह के ऑपरेशन भी कर सकते हैं. जैसा कि सी-गार्डियन ड्रोन है जो एंटी-सरफेस यानि दुश्मन के युद्धपोत को भी मिसाइल से मार गिराने में सक्षम है तो समंदर के कई सौ फीट नीचे ओपरेट कर रही पनडुब्बी को भी तबाह कर सकता है यानी एंटी-सबमरीन ऑपरेशन भी कर सकता है. ये हेल तकनीक यानि हाई ऑल्टिट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस ड्रोन होते हैं. ये 40-50 हजार फीट की ऊंचाई पर 30-30 घंटे तक उड़ान भर सकते हैं.
एमक्यू-9 का मुख्य चार्टर आईएसआर है यानी इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकोनिसेंस. वर्ष 2020-22 यानी दो सालों में भारतीय सेना के लीज लिए हुए दोनों सी-गार्डियन ड्रोन ने हिंद महासागर में 14 मिलियन स्क्वायर किलोमीटर के एरिया पर करीब 10 हजार घंटों की उड़ान भरी यानी 10 हजार घंटे तक नजर रखी. पिछले महीने ही इनमें से एक ड्रोन हालांकि उड़ान के दौरान चेन्नई के करीब समंदर में क्रैश हो गया था.
अमेरिका के मुताबिक, भारत को जो एमक्यू-9 ड्रोन दिए जा रहे हैं, वे आर्म्ड वर्जन हैं (प्रीडेटर) यानी उनमें मिसाइल और दूसरे हथियार लगाए जा सकते हैं.
अप्रैल 2023 में जब बंगाल की खाड़ी में म्यांमार के कोको आईलैंड में जब भारत को कुछ संदिग्ध गतिविधि की जानकारी मिली तो इसी भारतीय नौसेना ने लीज पर लिए सी-गार्डियन को इंटेलिजेंस-गैदरिंग के लिए भेजा था. जैसा कि माना जाता है कि म्यांमार ने गुपचुप तरीके से कोको आईलैंड चीन को दे दिया है और चीन यहां हवाई पट्टी और दूसरा इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने की फिराक में है. इस तरह की परिस्थितियों के लिए सी-गार्डियन ड्रोन बेहद कारगर साबित होते हैं.
हालांकि, मंगलवार को हुआ करार काफी उतार-चढ़ाव के बाद हुआ. खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के मामले के चलते पिछले एक साल से भारत और अमेरिका के संबंधों में खटास आ गई थी. ऐसे में अमेरिका ने डील को रोक दिया था. (India-US संबंधों में दरार, आतंकी पन्नू बना वजह ?)
अमेरिका ने एमक्यू-9बी ड्रोन की डील ऐसे समय में की जब भारत ने पन्नू की हत्या की कोशिश की साजिश रचने वाले पूर्व इंटेलिजेंस ऑफिसर ‘व्रिकम यादव’ (‘सीसी-1’) को गिरफ्तार करने की घोषणा की. (CC-1 गिरफ्तार, पन्नू मामले में आरोपी बनाया अमेरिका ने)
रक्षा मंत्रालय को सौदे के तहत एमक्यू-9 ड्रोन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी जनरल अटॉमिक्स भारत में एक मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहालिंग (एमआरओ) डिपो भी स्थापित करेगी.