खुफिया जानकारी, जंग के मैदान में त्वरित कमांड देने और ऑप्स-लॉजिस्टिक्स की क्षमता बढ़ाने के लिए भारतीय सेना ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और बिग डेटा एनालिटिक्स को अपना नया हथियार बना लिया है.
ऐसे में भारतीय सेना ने एआई आधारित सैन्य प्रणालियां ईजाद की है जिससे रियल टाइम में खतरों की पहचान से लेकर रणभूमि में पैनी नजर और लंबी दूरी के हथियारों के लिए मौसम की सटीक भविष्यवाणी मिल सकती है.
इलेक्ट्रोनिक इंटेलिजेंस के जरिए रियल टाइम में खतरों की पहचान
जिन प्रमुख एआई एप को भारतीय सेना ने ईजाद किया है, उनमें ईईसीएस यानी इलेक्ट्रोनिक इंटेलिजेंस कोलेशन एंड एनालिसिस सिस्टम शामिल है, जो देश में विकसित सॉफ्टवेयर के जरिए रियल टाइम में खतरों की पहचान और प्राथमिकता तय करता है.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ईईसीएस एप ने पाकिस्तान से जुड़ी गतिविधियों की जानकारी मुहैया की
एआई आधारित स्वदेशी एप ईईसीएस के जरिए भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 90 फीसदी से भी ज्यादा सटीकता से सीमा पार पाकिस्तान की हर गतिविधि की जानकारी दी. इसके जरिए भारतीय सेना ने समय रहते अपने संसाधनों को तैनात कर दुश्न की चाल को नाकाम किया.
जानकारी के मुताबिक, इस एप में पाकिस्तानी सेना के मूवमेंट और तैनाती के पैटर्न के 26 वर्ष का डाटा इकठ्ठा किया गया है. ऐसे में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, भारतीय सेना के पास पाकिस्तान के हथियार, रडार और अन्य सैन्य उपकरणों की सीमा पर तैनाती से जुड़ी खुफिया जानकारी मौजूद थी.
त्रिनेत्र सिस्टम को जोड़ा प्रोजेक्ट संजय से
ईसीएएस के अलावा सेना ने ‘प्रोजेक्ट संजय’ को भी एआई आधारित ‘त्रिनेत्र’ सिस्टम से जोड़ दिया है. ऐसे में बेहतर समन्वय और निर्णय लेने के लिए संजय, एक साझा ऑपरेशनल तस्वीर प्रदान करता है.
इसी वर्ष के शुरूआत में, जंग के मैदान में दुश्मन की हर गतिविधि पर पैनी नजर रखने वाले ‘बैटलफील्ड सर्विलांस सिस्टम’ (बीएसएस), ‘संजय’ को बॉर्डर पर तैनात किया गया था.
भारतीय सेना और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित स्वदेशी ‘संजय’ के बारे में सबसे पहले टीएफए ने सबसे पहले जानकारी दी थी. इस साल गणतंत्र दिवस परेड में संजय को कर्तव्य पथ पर भी प्रदर्शित किया गया था. बीएसएस प्रोजेक्ट पर 2402 करोड़ रूपये खर्च हुए हैं.
महाभारत के संजय की तरह दूर से करता है निगरानी
महाभारत के सारथी संजय की तरह ये सर्विलांस सिस्टम भी बैटलफील्ड से बेहद दूर रहकर भी कमांडर को दुश्मन की हर आहट की सही सही जानकारी दे सकता है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस साल अक्टूबर तक संजय को सेना की सभी ब्रिगेड, डिवीजन और कोर में तैनात कर दिया जाएगा.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, संजय एक स्वचालित प्रणाली है जो सभी जमीनी और हवाई युद्धक्षेत्र सेंसर से जानकारी को एकीकृत करता है. बीएसएस में रडार लगे हैं ताकि दुश्मन के टैंक और मिलिट्री व्हीकल्स की आहट की चेतावनी भी कमांडर्स तक पहुंच सके.
कई सौ किलोमीटर दूर रहकर भी कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में दुश्मन देश के सैनिकों की मूवमेंट और सैन्य काफिले की जानकारी भी बीएसएस के जरिए पता की जा सकती है. क्योंकि, इसमें महाभारत के संजय की आंखों का काम करता है ड्रोन, जो ऊंचाई से जंग के मैदान की लाइव फीड मुहैया कराता है.
ड्रोन, रडार और सैटेलाइट कम्युनिकेशन से लैस
ड्रोन की लाइव फीड को बीएसएस पर लगी एक बड़ी स्क्रीन पर देखा जा सकता है. ऐसे में दुश्मन के साथ-साथ अपने सैनिकों के एक्शन को भी दूर बैठकर देखा जा सकता है.
जानकारी के मुताबिक, बीएसएस को सेटेलाइट से भी जोड़ा गया है ताकि अंतरिक्ष से भी रणभूमि की निगरानी की जा सके.
दरअसल, जंग के मैदान की परिस्थितियों का रियल-टाइम में आंकलन कर सीनियर कमांडर बेहतर रणनीति बना सकते हैं. कई बार जंग के मैदान की टेरेन इत्यादि की भी सही सही जानकारी पता लगाना बेहद जरूरी होता है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, बीएसएस अत्याधुनिक सेंसर और अत्याधुनिक एनालिटिक्स से लैस है. यह लंबी भूमि सीमाओं की निगरानी करेगा, घुसपैठ को रोकेगा, सटीकता के साथ स्थितियों का आकलन करेगा और खुफिया, निगरानी और टोही में अहम भूमिका निभाएगा.
रियल टाइम में कमांडर्स को बैटलफील्ड की मिलती है सही जानकारी
यह कमांडरों को नेटवर्क केंद्रित वातावरण में पारंपरिक और उप-पारंपरिक दोनों तरह के ऑपरेशन में काम करने में सक्षम बनाएगा. इसका समावेश भारतीय सेना में डेटा और नेटवर्क केंद्रितता की दिशा में एक बड़ी छलांग है.
लंबी दूरी के हथियारों के लिए मौसम की भविष्यवाणी
ईसीएएस और त्रिनेत्र के अलावा सेना ने एआई आधारित प्रिडिक्टिव मॉडलिंग और वेदर फॉरकास्टिंग प्रणाली तैयार की है. इसके जरिए लंबी दूरी के हथियारों के लिए मौसम और ख़तरों की भविष्यवाणी कर सटीक योजना बनाने में मदद करता है.
एआई है फोर्स मल्टीप्लायर: ले.जनरल साहनी
सोमवार को राजधानी दिल्ली में डीजी, ईमई (इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव कुमार साहनी ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एक फोर्स मल्टीप्लायर है और युद्ध के तरीके बदल रहा है. यह जंग के मैदान में निर्णय लेने को अधिक तेज, सटीक और लचीला बना रहा है.
ले.जनरल साहनी के मुताबिक, भारतीय सेना ने पहले ही एआई को अपने कामकाज में शामिल कर लिया है, और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इसकी प्रभावशीलता साफ दिखी.
ले.जनरल साहनी, हाल के दिनों तक इंफोर्मेशन सिस्टम के महानिदेशक (डीजीआईएस) के पद पर तैनात थे. डीजीआईएस के नेतृत्व में, सेना में ऑटोमेशन के चलते यूज़र्स की संख्या में 1200 प्रतिशत वृद्धि हुई है और डेटा स्टोरेज क्षमता में 620 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इससे सेना की डिजिटल व्यवस्था और मजबूत हुई है, जिससे हर स्तर पर बेहतर निर्णय लिए जा रहे हैं.