चुनाव के बीच में सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे का कार्यकाल एक महीने के लिये बढ़ा दिया है. थलसेनाध्यक्ष इसी महीने की 31 तारीख को रिटायर होने जा रहे थे. लेकिन सरकार के नए आदेश के साथ अब जनरल पांडे 30 जून को रिटायर होंगे. जनरल पांडे के एक महीने बाद रिटायर होने से सेना में नए चीफ की नियुक्ति को लेकर साउथ ब्लॉक में हड़कंप मच गया है.
रविवार को रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक बयान जारी कर बताया कि ‘कैबिनेट की नियुक्ति कमेटी’ (एसीसी) ने चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) जनरल मनोज पांडे का कार्यकाल उनके रिटायरमेंट आयु से एक महीने आगे बढ़ा दिया है. जनरल पांडे की रिटायरमेंट आयु 31 मई 2024 है, जिसे बढ़ाकर अब 30 जून 2024 कर दिया गया है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, आर्मी रूल्स 1954 के सेक्शन 16ए(4) के तहत ये निर्णय लिया गया है.
जनरल पांडे को 30 अप्रैल 2022 को थलसेना प्रमुख बनाया गया था. वे 1982 में सेना की ‘कोर ऑफ इंजीनियर्स’ (बॉम्बे सैपर्स) में कमीशन हुए थे. आर्मी चीफ बनने से पहले वे साउथ ब्लॉक स्थित सेना मुख्यालय में वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सह-सेनाध्यक्ष) के पद पर रह चुके थे. भारतीय सेना के इतिहास के वे पहले चीफ हैं जो कॉम्बेट-आर्म (इंफैन्ट्री, आर्मर्ड या आर्टिलरी) से ताल्लुक नहीं रखते थे. बावजूद इसके सरकार ने एक कॉम्बेट-इंजीनियर को थलसेना प्रमुख बनाकर सेना में कॉम्बेट और कॉम्बेट-सपोर्ट आर्म्स की खाई को पाटने की कोशिश की. जनरल पांडे के नेतृत्व में थलसेना ने मेक इन इंडिया, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर, स्वदेशी हथियार और कटिंग एज मिलिट्री टेक्नोलॉजी पर खासा ध्यान दिया. साथ ही पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन ने घुसपैठ जैसे कोई हिमाकत नहीं की.
शनिवार (25 मई) को ही जनरल पांडे ने खड़कवासला स्थित नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) में कैडेट-ऑफिसर्स की पासिंग आउट परेड (पीओपी) के दौरान सैन्य मामलों में टेक्नोलॉजी के महत्व और राष्ट्र-निर्माण में युवाओं के योगदान का मंत्र दिया था. थलसेना प्रमुख ने कहा था कि मिलिट्री-एफेयर्स में ‘क्रांति’ टेक्नोलॉजी के जरिए ही आ सकती है.
30 मई की रिटायरमेंट तारीख को देखते हुए, जनरल पांडे ने सैन्य परंपरा के तहत सभी फील्ड फोर्मेशन में ‘फेरवेल विजिट’ शुरु कर दी थी. इसके तहत ही वे शुक्रवार (24 मई को बॉम्बे-सैपर्स के पुणे (खिड़की) स्थित रेजीमेंटल सेंटर गए थे. साथ ही मिलिट्री इंजीनियरिंग कॉलेज और आर्मी स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर का दौरा भी किया था.
21 मई को साउथ ब्लॉक में आयोजित ‘रिटायरिंग ऑफिसर्स सेमिनार’ में जनरल पांडे का विदाई समारोह तक आयोजित किया जा चुका था. जनरल पांडे को एक महीने के कार्यकाल को विस्तार देने से सेना में कमांड-सकसेशन यानी नए थलेसना प्रमुख बनने को लेकर कयास शुरु हो गए हैं. क्योंकि माना जा रहा था कि जनरल पांडे की जगह मौजूदा वाइस चीफ लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी इस पद के प्रबल दावेदार है. लेकिन वे भी जनरल पांडे की तरह 30 जून को ही रिटायर हो रहे हैं. साथ ही सेना की दक्षिणी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एके सिंह भी इसी तारीख (30 जून) को रिटायर हो रहे हैं. ऐसे में कयास लगने शुरु हो गए हैं कि 30 जून के बाद दुनिया की दूसरी बड़ी आर्मी (भारतीय सेना) की कमान कौन संभालेगा.
कयास इस बात के भी लगाए जा रहे हैं कि सरकार ने क्या चुनाव के चलते ही नए थलसेना प्रमुख की नियुक्ति पर रोक लगाई है. क्योंकि चुनाव के चलते ‘मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट’ लागू है. क्या सरकार 4 जून का इंतजार कर रही है. यानी केंद्र में नई सरकार ही थलसेना प्रमुख की नियुक्ति करे. हालांकि, चुनाव के दौरान सेना प्रमुख की नियुक्ति को लेकर कभी कोई सवाल नहीं खड़े होते हैं. क्योंकि ये गैर-राजनीतिक पद है.
सवाल ये भी है कि सरकार कुछ दिनों के लिए सेना को बिना किसी चीफ के भी नहीं छोड़ सकती है. क्योंकि 4 जून को आम चुनावों के नतीजों के आने के बाद नई सरकार बनने की प्रक्रिया में कम से 15-20 दिन का समय अमूमन लग जाता है. ऐसे में क्या मौजूदा सरकार, सेना और थिएटर कमांड को लेकर कुछ अलग योजना बनाई रही है. क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने संकल्प-पत्र (घोषणा-पत्र) में थिएटर कमांड बनाए जाने को प्रमुख मुद्दा बनाया है और अगर फिर से चुनाव जीतते है तो जल्द ही इस पर अमल किया जा सकता है.