साल 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच हुई झड़प के तकरीबन 3 साल बाद भी एलएसी पर तनातनी बरकरार है. चीन के साथ कई बार मीटिंग हुई पर हर बार नतीजा उम्मीद पर खरा नहीं उतरा. चीन की चालबाजी से हिंदुस्तान वाकिफ है, लिहाजा भारतीय जांबाज भी एलएसी पर डटे हुए हैं. इस बीच भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प को लेकर एक और खुलासा हुआ है. गलवान के अलावा कम से कम दो बार भारत-चीनी सैनिक फिर भिड़े. इसके अलावा भारतीय कमांडो अब एलएसी पार कर चीन की सीमा में कोवर्ट ऑपरेशन भी कर रहे हैं.
आर्मी डे के दौरान सैनिकों को दिए गए वीरता पुरस्कारों के प्रशस्ति पत्र में इन झड़पों का उल्लेख किया गया है. हालांकि, अभी तक भारतीय सेना की तरफ से भारत-चीन की झड़प पर कोई भी बयान नहीं दिया गया है. झड़प कितनी बड़ी थी और क्या कोई सैनिक घायल हुआ, इसकी जानकारी भी नहीं दी गई है.
कैसे सामने आई गलवान से अलग झड़प की कहानी ?
पिछले हफ्ते सेना की पश्चिमी कमान द्वारा एक सैन्य अलंकरण समारोह का आयोजन किया था. जिसमें सैनिकों को प्रशस्ति पत्र दिए गए. सर्टिफिकेट में जानकारी दी गई कि किस तरह से भारतीय सैनिकों ने एलएसी पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया. इतना ही नहीं सेना की पश्चिमी कमान ने अपने यूट्यूब चैनल पर 13 जनवरी के समारोह का एक वीडियो अपलोड किया. जिसमें वीरता पुरस्कार को लेकर जानकारी दी गई थी. वीडियो में बताया गया था कि भारत और चीन के बीच झड़प की घटनाएं सितंबर 2021 और नवंबर 2022 में हुई थीं.
हालांकि वी़डियो अपलोड करने के 48 घंटे के अंदर ही सोमवार को वीडियो को हटा दिया गया. सेना की पश्चिमी कमान का हेडक्वार्टर हरियाणा के चंडी मंदिर में है. पश्चिमी कमान के मुताबिक, चीनी सैनिकों ने 2022 में सिख लाइट इन्फेंट्री के सैनिकों की चौकी पर अटैक किया था. वहां तैनात यूनिट के सैनिकों ने बहादुरी दिखाते हुए साहस दिखाया. दुश्मनों के आमने सामने की लड़ाई लड़ी, जिसमें 4 चीनी सैनिक घायल हुए. भारतीय शूरवीरों ने चीनी सैनिकों के हथियार भी छीन लिए.
पीएलए ने एक अन्य चौकी पर भी हमला किया. इस चौकी पर जम्मू-कश्मीर राइफल्स की तैनाती थी. एक जेसीओ ने हमले के बाद नेतृत्व किया और चीनी सैनिकों को पीछे खदेड़ा. हालांकि झड़प को लेकर ना तो सरकार और ना ही आर्मी की तरफ से कोई टिप्पणी की गई है. जून 2020 में गलवान घाटी में झड़प के बाद भारतीय सेना ने एलएसी पर हाई-अलर्ट है. इसके बाद अब सामने आया है गलवान के बाद भी दो झड़पें हुई हैं.
एलएसी पार कर चीन की सीमा में ‘ऑप दोरजी’
सेना दिवस के दौरान लखनऊ स्थित मध्य कमान में आयोजित अलंकरण समारोह में जिन सैनिकों को वीरता मेडल से नवाजा गया उनमें पैरा-एसएफ के एक कमांडो भी शामिल हैं. जानकारी के मुताबिक, जिस वक्त गलवान घाटी में हुई झड़प के चलते पूरी 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर तनातनी चल रही थी, उसी दौरान एक पैरा-एसएफ कमांडो ने उत्तरी सिक्किम से सटी एलएसी पार कर चीन सीमा में पांच दिनों तक चुपचाप ऑपरेशन किया था. भारतीय कमांडो के बारे में चीन की पीएलए सेना को कानों-कान खबर तक नहीं लगी थी. इस कमांडो ने पूरे पांच दिनों तक चीन की सीमा में रहकर पीएलए सेना की तैनाती की लाइव फीड भारतीय सेना की फील्ड फोर्मेशन को रिले की थी. इससे फील्ड कमांडर्स को पीएएल आर्मी की तैनाती की पूरी जानकारी मिल पाई. प्रशस्ति पत्र के मुताबिक, इस मिशन को ‘ऑपरेशन दोरजी’ नाम दिया गया था.
थलसेना प्रमुख ने कहा था एलएसी पर तनाव बरकरार
हाल ही में थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा था कि चीन से सटी एलएसी पर स्थिति शांतिपूर्ण जरुर है लेकिन तनाव बरकरार है. जनरल पांडे ने कहा था कि दोनों देशों के बीच संबंध तभी सामान्य हो सकते हैं जब एलएसी पर स्टेट्स क्यो एंटे हो यानी ऐसी परिस्थितियां हों जैसा अप्रैल 2020 से पहले थी. यानी चीन को अपने 50 हजार सैनिक, टैंक, तोप, मिसाइल और दूसरे सैन्य उपकरणों को पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी से पीछे हटना होंगे. क्योंकि चीनी सेना ने अपनी तैनाती अप्रैल-मई 2020 के बाद ही पूर्वी लद्दाख में बढ़ाई थी.
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