रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भारतीय सेना के टेक-योद्धा बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. सेना की इंजीनियर्स कोर के एक मेजर रैंक के अधिकारी ने एक खास डेटोनेटिंग डिवाइस अपने नाम पर पेटेंट कराया है. ये वहीं मेजर राजप्रसाद हैं जिन्होंने हाल ही में विद्युत-रक्षक यंत्र का पेटेंट भी अपने नाम कराया था.
भारतीय सेना के मुताबिक ने मेजर राजप्रसाद के नए यंत्र को पोर्टेबल मल्टी टारगेट डेटोनेशन डिवाइस नाम दिया है. क्योंकि ये एक साथ दूर से कई धमाके करने में सक्षम है. इस डेटोनेशन डिवाइस से लैंड माइंस (बारूदी सुरंग) से लेकर किसी बिल्डिंग को गिराने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. सेना के मुताबिक, इस डिवाइस से सैनिक किसी भी बिल्डिंग को गिराने के लिए एक दूरी से सुरक्षित रहते हुए इस्तेमाल कर सकते हैं. इस तरह के धमाके अमूमन भारतीय सेना जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की पनाहगाह को उड़ाने के लिए इस्तेमाल करती है. मेजर राजप्रसाद को पेटेंट मिलने के साथ ही भारतीय सेना का हिस्सा बना लिया गया है.
हाल ही में राजस्थान के पोखरण में हुई भारत-शक्ति एक्सरसाइज के दौरान मेजर राजप्रसाद ने अपने दोनों ही यंत्र, विद्युत रक्षक और पोर्टेबल डेटोनेशन डिवाइस को स्टेटिक डिस्प्ले में प्रदर्शित किया था. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों उपकरणों के बारे में थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे से जानकारी ली थी.
मेजर राजप्रसाद ने जो विद्युत-रक्षक उपकरण बनाया है वो देश की सीमाओं पर लगे सभी जनरेटर को एक रिमोट कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से ऑपरेट कर सकता है. रुस-यूक्रेन युद्ध से सीख लेते हुए ‘इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन’ के जरिए मेजर राजप्रसाद ने इस खास सिस्टम को तैयार किया था. विद्युत-रक्षक को अब एक कंपनी बड़ी संख्या में उत्पादन कर रही है ताकि सेना जल्द से जल्द उसे भी अपने आयुद्य का हिस्सा बना सके.
मेजर राजप्रसाद पिछले कुछ सालों से भारतीय सेना की आर्मी डिजाइन ब्यूरो का हिस्सा हैं जो रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए इन-हाउस सैन्य अधिकारियों को प्रोत्साहित करती है. ब्यूरो के एक अन्य अफसर ने कुछ महीनों पहले उज़ी गन तैयार की थी.
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