Breaking News Geopolitics India-China Indo-Pacific

भारतीय पीएम का स्वागत है, चीन मोदी के दौरे से खुश

अमेरिका के साथ टैरिफ विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कूटनीतिक तौर पर बेहद अहम चीन का दौरा करने वाले हैं. चीन के साथ विवाद को कम करने और अमेरिका के प्रतिद्वंदी शी जिनपिंग से मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजर रहेगी. पीएम मोदी के बीजिंग दौरे से चीन खुश है, क्योंकि अमेरिका के सामने रूस-भारत-चीन का त्रिपक्षीय मंच तैयार हो रहा है.

पीएम मोदी के दौरे पर क्या बोला चीन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6 साल बाद पहली बार चीन का दौरा करने वाले हैं. चीन के तिआनजिन में 31 अगस्त से 1 सितंबर तक होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में पीएम मोदी हिस्सा लेंगे. पीएम मोदी का चीन दौरा गलवान झड़प के बाद पहली बार हो रहा है. प्रधानमंत्री मोदी का चीन दौरे ऐसे समय हो रहा है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा की है.

प्रधानमंत्री मोदी के दौरे को लेकर चीन की ओर से प्रतिक्रिया आई है. 

चीनी ने  विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा है कि चीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समिट में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है और उनका स्वागत करता है. 

चीनी प्रवक्ता की ओर से कहा गया है, तिआनजिन में एससीओ समिट का आयोजन होगा. इस समिट में एससीओ के सभी सदस्य देशों के नेता और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख शामिल होंगे. चीन ने कहा, यह एससीओ के इतिहास में सबसे बड़ी और भव्य समिट होगी.

एससीओ सम्मेलन एकजुटता और मैत्री का संगम होगा- चीनी विदेश मंत्रालय

गुओ जियाकुन ने कहा,‘हमारा मानना है कि सभी पक्षों के सम्मिलित प्रयास से तियानजिन शिखर सम्मेलन एकजुटता, मैत्री और सार्थक परिणामों का एक संगम होगा. एससीओ तियानजिन शिखर सम्मेलन एससीओ की स्थापना के बाद से सबसे बड़ा शिखर सम्मेलन होगा. इसमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन भी शिरकत कर सकते हैं.

पुतिन-मोदी-शी मिलकर करेंगे आरआईसी का ऐलान?

शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) देशों की लिस्ट में रूस भी एक प्रमुख सदस्य है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मेलन में हिस्सा लेने को लेकर हालांकि, अभी सस्पेंस है. लेकिन अगर पुतिन ने हिस्सा लिया तो, आरआईसी यानी रशिया-इंडिया-चाइना ब्लॉक को मजबूत करने में बड़ा कदम माना जाएगा. भारत की तरह ही चीन भी ट्रंप के मनमाने टैरिफ का शिकार है.

भारत, चीन और रूस के अलावा पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान भी एससीओ के सक्रिय सदस्य देश हैं. एक साल पहले ही ईरान और बेलारूस भी इस संगठन के सदस्य बने हैं.

रणनीतिक तौर पर पीएम मोदी का चीन दौरा बेहद अहम है, क्योंकि हाल ही में रूस के बाद चीन ने भी भारत के साथ मिलकर त्रिपक्षीय साझेदारी पर सहमति जताई है. वहीं ये दौरा सांकेतिक तौर पर डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक संदेश भी है कि भारत के चीन के साथ संबंध सुधर रहे हैं. 

ऑपरेशन सिंदूर के बाद आमने-सामने होंगे पीएम मोदी और शहबाज

एससीओ में मंच पर दुनिया की इसलिए भी नजर होगी क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान की धुलाई के बाद पहली बार शहबाज शरीफ भी पीएम मोदी के सामने होंगे. शहबाज शरीफ चाहे चीन हो या फिर सऊदी अरब, यूएन का मंच हो या फिर अमेरिका, सबसे गिड़गिड़ा रहे हैं कि उन्हें भारत से बात करनी है. लेकिन भारत की ओर से साफ-साफ कह दिया गया है कि बातचीत होगी तो सिर्फ आतंकवाद और पीओके पर होगी. 

editor
India's premier platform for defence, security, conflict, strategic affairs and geopolitics.