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2029 से पहले नहीं मिलेगा एमक्यू-9 प्रीडेटर ड्रोन

भारत ने भले ही अमेरिका से एमक्यू-9 प्रीडेटर ड्रोन की डील पर हस्ताक्षर कर लिया है, लेकिन 2029 से पहले मिलना थोड़ा मुश्किल है. हालांकि, पिछले साल सितंबर में लीज पर लिए जिस एमक्यू-9 का क्रैश चेन्नई के करीब समंदर में हुआ था, उसका रिप्लेसमेंट भारतीय नौसेना को अमेरिकी कंपनी से मिल गया है.

अक्टूबर 2024 में भारत ने अमेरिका से 31 एमक्यू-9 बी प्रीडेटर ड्रोन लेना का करार किया था. रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका प्रशासन से करीब 28 हजार करोड़ के इस सौदे पर हस्ताक्षर किए थे.

31 प्रीडेटर ड्रोन के साथ ही एमक्यू-9बी बनाने वाली अमेरिकी कंपनी जनरल अटॉमिक से भारत में एमआरओ डिपो बनाने का भी एग्रीमेंट किया गया है.

उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, भले ही एमक्यू-9 प्रीडेटर ड्रोन को लेकर एग्रीमेंट पिछले साल हो चुका है लेकिन उन्हें भारत में आने में थोड़ा वक्त लग सकता है. सूत्रों के मुताबिक, 2028 या फिर 2029 तक ही प्रीडेटर ड्रोन की खेप भारत को मिल पाएगी.

अमेरिका से किया है 31 एमक्यू-9बी ड्रोन के स्काई गार्जियन और सी-गार्जियन वर्जन का सौदा

भारत ने एमक्यू-9बी प्रीडेटर के स्काई गार्जियन और सी-गार्जियन वर्जन ड्रोन का सौदा अमेरिका से किया है. एमक्यू-9 रीपर ड्रोन दुनिया के बेहतरीन रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम में से एक है जिसका इस्तेमाल अमेरिकी सेना सहित कई नाटो देश करते हैं.

एमक्यू-9 रीपर ड्रोन के आर्म्ड वर्जन यानि कॉम्बैट वर्जन को प्रीडेटर के नाम से जाना जाता है. लेकिन भारत को जो एमक्यू-9 मिलने जा रहे हैं वो अलग तरह के हैं. भारत को एमक्यू-9 के दो वेरिएंट मिलने जा रहे हैं. ये दो वेरिएंट हैं–स्काई-गार्डियन और सी-गार्डियन.

थलसेना यानि भारतीय सेना और वायुसेना को मिलेंगे स्काई-गार्डियन. भारतीय नौसेना को मिलेंगे सी-गार्डियन. इसके मायने ये हुए कि जमीन और आसमान की निगहबानी के लिए स्काई-गार्डियन और समंदर में नजर रखने के लिए सी-गार्डियन.

जानकारी के मुताबिक, अमेरिका से भारत कुल 31 एमक्यू-9 ड्रोन लेने जा रहा है. लेकिन ये डील किस्तों में होगी. यानि पहली खेप में 10 ड्रोन लिए जाएंगे, बाकी उसके बाद. कुल 31 ड्रोन में से 15 ड्रोन जो होंगे नौसेना को मिलेंगे यानि 15 सी-गार्डियन इंडियन नेवी को मिलेंगे. इसी तरह से 16 स्काई गार्डियन जो भारत अमेरिका से लेने जा रहा है उसमें से 8-8 थलसेना और वायुसेना को मिलेंगे. यानी एलएसी से लेकर हिंद महासागर में चीन की हर हरकत पर ये एमक्यू-9 रखेंगे पैनी नजर.

रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्ट है एमक्यू-9 प्रीडेटर ड्रोन
ये एमक्यू-9 कोई साधारण क्वॉडकॉप्टर  नहीं हैं बल्कि किसी फाइटर जेट की ही तरह बड़े ड्रोन होते हैं. इसीलिए इन्हें रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम का नाम भी दिया जाता है. इन एयरक्राफ्ट में पायलट, कॉकपिट में बैठकर आसमान में उड़ान नहीं भरता है बल्कि जमीन पर रहकर उन्हें रिमोट से फ्लाई करता है या ऑपरेट करता है. इन एमक्यू-9 ड्रोन की लंबाई 36 फीट होती है और इनका विंगस्पैन यानि चौड़ाई करीब-करीब 80 फीट की होती है.

ये एमक्यू-9 ड्रोन मल्टी रोल-मल्टी मिशन आरपीएएस सिस्टम होते हैं. यानि एक एयरक्राफ्ट कई तरह के रोल अपना सकता है और अलग-अलग तरह के ऑपरेशन भी कर सकते हैं. जैसा कि सी-गार्डियन ड्रोन है जो एंटी-सरफेस यानि दुश्मन के युद्धपोत को भी मिसाइल से मार गिराने में सक्षम है तो समंदर के कई सौ फीट नीचे ओपरेट कर रही पनडुब्बी को भी तबाह कर सकता है यानी एंटी-सबमरीन ऑपरेशन भी कर सकता है. ये हेल तकनीक यानि हाई ऑल्टिट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस ड्रोन होते हैं. ये 40-50 हजार फीट की ऊंचाई पर 30-30 घंटे तक उड़ान भर सकते हैं.

आईएसआर है एमक्यू-9 का मुख्य चार्टर

एमक्यू-9 का मुख्य चार्टर आईएसआर है यानी इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकोनिसेंस. वर्ष 2020-22 यानी दो सालों में भारतीय सेना के लीज लिए हुए दोनों सी-गार्डियन ड्रोन ने हिंद महासागर में 14 मिलियन स्क्वायर किलोमीटर के एरिया पर करीब 10 हजार घंटों की उड़ान भरी यानी 10 हजार घंटे तक नजर रखी. पिछले महीने ही इनमें से एक ड्रोन हालांकि उड़ान के दौरान चेन्नई के करीब समंदर में क्रैश हो गया था.

अमेरिका के मुताबिक, भारत को जो एमक्यू-9 ड्रोन दिए जा रहे हैं, वे आर्म्ड वर्जन हैं (प्रीडेटर) यानी उनमें मिसाइल और दूसरे हथियार लगाए जा सकते हैं.
लीज पर लिए आरपीए का मिल चुका है रिप्लेसमेंट, दृष्टिृ-10 का इंतजार

भारतीय नौसेना ने वर्ष 2020 में अमेरिका की जनरल अटॉमिक्स से दो हाई ऑल्टिट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस (एचएएलई यानी हेल) आरपीए (एमक्यू-9 रीपर ड्रोन) लीज पर लिए थे. इन दोनों आरपीए को नौसेना के अराकोनम (चेन्नई के करीब) स्थित आईएनए राजाली नेवल बेस पर तैनात किया गया था.

पिछले साल सितंबर में एक एमक्यू-9 ड्रोन चेन्नई के करीब तकनीकी खराबी के कारण संमदर में क्रैश हो गया था. उसका रिप्लेसमेंट हालांकि, जनरल अटॉमिक्स से नौसेना को मिल गया है.

वहीं, अडानी डिफेंस का जो ड्रोन (दृष्टि-10) हाल ही में इवैल्यूएशन के वक्त गुजरात के हजीरा में क्रैश हो गया था, उसका रिप्लेसमेंट आना बाकी है. ऐसे में नौसेना के पास एक ही दृष्टि-10 है.

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