संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी सदस्यता का समर्थन किया जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र के मंच से रूस, भूटान, मॉरीशस ने कहा है कि भारत को यूएन का स्थायी सदस्य बनाना चाहिए, वहीं फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पहले ही ये समर्थन कर चुके हैं. भारत की विदेशनीति और वैश्विक शांति के लिए काम करने की सराहना की जा रही है. विश्व के कई नेताओं ने यूएन के मंच पर आकर भारत और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की है.
त्रिनिदाद और टोबैगो गणराज्य की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर ने मंच पर आकर कहा, “हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई देते हैं, उन्होंने न केवल भारत के लोगों के लिए, बल्कि दुनिया भर के लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
ग्लोबल साउथ की आवाज़ हैं प्रधानमंत्री मोदी: पीएम कमला बिसेसर
त्रिनिदाद और टोबैगो गणराज्य की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर ने कहा कि “पीएम नरेंद्री मोदी ग्लोबल साउथ की आवाज हैं. क्योंकि अब तक हमेशा उत्तर (विकसित देश) का दबदबा रहा है, और प्रधानमंत्री मोदी ने साउथ-साउथ सहयोग को वास्तव में आगे बढ़ाया है. जब वह त्रिनिदाद और टोबैगो आए थे, तो उन्होंने दक्षिण के कई देशों जैसे-ब्राजील, घाना आदि का दौरा किया था. प्रवासी समुदाय के सदस्यों को बड़े कार्यक्रमों में आमंत्रित किया गया था.”
भारत को यूएन का स्थायी सदस्य बनाना चाहिए: रूस
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत और ब्राजील के स्थायी सदस्य बनने के प्रयास का समर्थन किया. लावरोव ने कहा, कि “रूस इन दोनों देशों की यूएन सुरक्षा परिषद में स्थायी सीटों के लिए की गई आवेदन प्रक्रिया का समर्थन करता है. भारत और ब्राजील अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.”
मॉरीशस और भूटान ने भारत को बताया वैश्विक शक्ति, की स्थायी सीट मिलने की वकालत
भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने भी महासभा का संबोधित करते हुए सुरक्षा परिषद में सुधार की वकालत की. शेरिंग तोबगे भारत और जापान की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया.
मॉरीशस ने भी भारत की दावेदारी को स्वीकारा है. मॉरीशस के विदेश मंत्री धनंजय रामफुल ने कहा, “भारत प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में उभरा है. वैश्विक मामलों में उसकी रचनात्मक भूमिका के अनुरूप, उसे परिषद में स्थायी सीट मिलनी चाहिए.”
भारत को फ्रांस का भी समर्थन हासिल
फ्रांस ने एक बार फिर भारत, जर्मनी, ब्राजील और जापान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य बनाने का समर्थन किया है. फ्रांस के उप स्थायी प्रतिनिधि नाथाली ब्रॉडहर्स्ट ने कहा, “परिषद का ढांचा ऐसा होना चाहिए जिसमें नई उभरती ताकतों को शामिल किया जाए, जो स्थायी सदस्यता की जिम्मेदारी उठाने के लिए इच्छुक और सक्षम हैं.:
इससे पहले खुद फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों ने यूएन को चिट्ठी लिखकर इस बात का समर्थन किया था कि भारत को स्थायी सदस्य बनाना चाहिए.
साल 2022 में बाइडेन ने दिया था समर्थन, खुद यूएन महासचिव कह चुके हैं कि भारत स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए
अमेरिका ने भी भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए अपना समर्थन जताया था. साल 2022 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि “अमेरिका भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करता है.”
वहीं यूएन महासचिव गुटेरेस भी कह चुके हैं कि “भारत को स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए और यूएन में सुधार की जरूरत है.”
सुरक्षा परिषद के विस्तार की आवश्यकता: जयशंकर
जयशंकर ने कहा कि “यूएन गतिरोध की स्थिति में है और संकटों से निपटने में विफल रहा है. उन्होंने सुरक्षा परिषद के स्थायी और अस्थायी सदस्यों का विस्तार करने की मांग करते हुए कहा कि एक सुधरी हुई परिषद वास्तव में प्रतिनिधित्वकारी होनी चाहिए. भारत वैश्विक जिम्मेदारियां निभाने के लिए तैयार है.”
कई पेंच, भारत योग्य लेकिन वीटो पावर देने से कतरा रहे कुछ देश
वीटो पावर यूएन में काफी अहम पावर है. अगर भारत सदस्य बन गया लेकिन अगर वीटो पावर नहीं मिला तो वो शक्तिशाली नहीं रहेगा. वीटो पावर सिर्फ अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन पांच देशों के पास है. मतलब वे किसी भी बड़े प्रस्ताव को रोक सकते हैं. कुछ देश मानते हैं कि नए स्थायी सदस्यों को वीटो नहीं देना चाहिए, कुछ देश कहते हैं कि अगर स्थायी सीट मिले तो वीटो भी मिलना चाहिए, वरना सदस्यता अधूरी होगी. भारत भी यही मांग कर रहा है कि अगर वो स्थायी सदस्य बनाया जाए तो बराबरी का दर्जा मिले