भारत का सम्मान पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा उदाहरण है. भारत की विदेश नीति ना केवल रशिया बल्कि पूरी दुनिया के लिए नजीर है. ये कहना है रुस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव का, जो अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर से मुलाकात कर रहे थे.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता को रुस का समर्थन देने के वादे के साथ लावरोव ने कहा कि “भारत का जी-20 समिट एक गौरवशाली विजय है.” लावरोव ने यूएन चार्टर और दूसरे देशों को सम्मान देने के लिए भारत की भूरि-भूरि प्रशंसा की.
विदेश मंत्री एस जयशंकर इनदिनों पांच दिवसीय यात्रा पर रूस गए हुए हैं. बुधवार को उन्होंने लावरोव से मुलाकात के बाद पत्रकारों को संबोधित किया. इसी दौरान लावरोव ने कहा कि “भारत की विदेश नीति पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण है कि एक जिम्मेदार देश कैसा होता है.” लावरोव ने भारत के ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट की भी प्रशंसा की.
इस दौरान एस जयशंकर ने कहा कि “भारत एक मल्टीपोलर वर्ल्ड ऑर्डर का हिमायती है.” उन्होंने कहा कि भारत और रुस दोनों “साझा हथियार उत्पादन, मास्को से मुंबई तक मल्टी बिलियन डॉलर ट्रेड रूट और एक विशाल उभरती आर्थिक साझेदारी के साथ अधिक करीब आ रहे हैं.”
जयशंकर की यात्रा के दौरान भारत और रुस ने ऐतिहासिक संबंधों की सराहना करते हुए एक व्यापाक समझौते पर हस्ताक्षर किए. मीटिंग के बाद जयशंकर ने अपने ‘एक्स’ अकाउंट पर लिखा कि “सामरिक-पार्टनर्स होने के नाते रुस के विदेश मंत्री लावरोव के साथ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र, यूक्रेन संघर्ष, गाजा, जी-20, ब्रिक्स, एससीओ, अफगानिस्तान, सेंट्रल एशिया और यूएन के हालात पर विस्तृत चर्चा की.”
विदेश मंत्री के मुताबिक, लावरोव से मीटिंग के दौरान आर्थिक सहयोग, ऊर्जा व्यापार, कनेक्टिविटी प्रयासों, सैन्य-तकनीकी सहयोग और लोगों से लोगों के बीच आदान-प्रदान में प्रगति को नोट किया. साथ ही 2024-28 की अवधि के लिए परामर्श पर प्रोटोकॉल हस्ताक्षर किए. इसके साथ ही भारत-रूस संबंध, जियो-पॉलिटिकल वास्तविकताओं, रणनीतिक अभिसरण और पारस्परिक लाभ को दर्शाते हैं.
अपनी मास्को यात्रा के दौरान जयशंकर ने रुस के साथ कुडानकुलम न्युक्लियर पावर प्लांट की आगामी यूनिट के समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस प्रोजेक्ट की कुल कीमत 14.91 बिलियन डॉलर है. इस दौरे के दौरान जयशंकर रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात करेंगे.
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