साल 2025 में भी पाकिस्तान का ब्रिक्स में शामिल होने का सपना चकनाचूर हो गया है. पाकिस्तान की जगह मुस्लिम देश इंडोनेशिया को मिली है ब्रिक्स में एंट्री.
इंडोनेशिया ब्रिक्स समूह का दसवां पूर्ण सदस्य बन गया है. ब्रिक्स को पश्चिमी देशों के सामने एक मजबूत संगठन के तौर पर देखा जाता है. ब्रिक्स ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का एक मजबूत संगठन है, जिसके विस्तार में अब ईरान, मिस्र, इथोपिया और यूएई भी ब्रिक्स में शामिल हैं. पाकिस्तान भी ब्रिक्स में शामिल होने के लिए बार-बार अर्जी लगा रहा है, पर इस साल भी शहबाज शरीफ को ब्रिक्स से झटका ही हासिल हुआ है.
ब्रिक्स में शामिल हुआ मुस्लिम देश इंडोनेशिया, देखता रह गया पाकिस्तान
इंडोनेशिया के ब्रिक्स में शामिल होने का ऐलान 2025 तक ब्रिक्स की अध्यक्षता करने वाले ब्राजील ने किया है. ब्राजील के आधिकारिक बयान में कहा गया है, “ब्राजील सरकार ब्रिक्स में इंडोनेशिया के प्रवेश का स्वागत करती है.”
बयान में कहा गया कि कि “दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे बड़ी आबादी और अर्थव्यवस्था के साथ, इंडोनेशिया ने दूसरे सदस्य देशों के साथ वैश्विक शासन संस्थाओं में सुधार के लिए प्रतिबद्धता साझा की है.”
ब्रिक्स में शामिल होना चाहते हैं पाकिस्तान, तुर्किए,अजरबैजान, मलेशिया
ब्राजील के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, “इंडोनेशिया की उम्मीदवारी को अगस्त 2023 में ब्रिक्स नेताओं की और से मंजूरी दे दी गई थी, लेकिन देश में नई सरकार चुने जाने तक इंडोनेशिया ने इसको आगे बढ़ाया.”
गौरतलब है कि पाकिस्तान के अलावा तुर्किए, अजरबैजान और मलेशिया ने भी सदस्य बनने के लिए आवेदन किया है. इनके अलावा कई और देश इस संगठन में शामिल होना चाहते हैं. चूंकि ब्रिक्स एक बड़ी अर्थव्यवस्था का उभरता संगठन है, इसलिए तमाम देश ब्रिक्स में शामिल होना चाहते हैं.
पश्चिमी देश का विरोधी नहीं, गैर पश्चिमी संगठन है ब्रिक्स
भारतीय विदेश मंत्री के इस बयान को कई बार सराहा गया है. दरअसल पश्चिमी देश, ब्रिक्स को बिलकुल भी पसंद नहीं करते हैं और इस संगठन को विरोध के तौर पर देखते हैं. ऐसे में एस जयशंकर ने पिछले साल जब ये कहा कि “ब्रिक्स को पश्चिमी विरोधी संगठन के तौर पर देखना गलत है, इसे गैर-पश्चिमी संगठन कहा जाना चाहिए” तो रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी समर्थन किया. कई मंच से पुतिन ने जयशंकर की इस बार को दोहराया है कि “ब्रिक्स पश्चिमी देशों का विरोधी संगठन नहीं है.”
ब्रिक्स को दी है डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी
पिछले साल ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान ये बात सामने आई थी कि डॉलर के मुकाबले ब्रिक्स अपनी खुद की करेंसी लाना चाहता है, जिससे दुनिया में डॉलर पर आत्मनिर्भरता कम होगी. ब्रिक्स करेंसी को लेकर डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी दी है.
ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को धमकाया है कि “यदि उन्होंने नई ब्रिक्स करेंसी बनाई या डॉलर की जगह किसी अन्य करेंसी को समर्थन दिया तो वह उन देशों पर 100% टैरिफ लगा देंगे.” यानी कि डॉलर को कमजोर करने की कोशिश इन देशों पर बहुत भारी पड़ सकती है.”
ट्रंप ने साफ कह दिया है कि “ऐसी कोशिश करने वाले देशों अमेरिका छोड़ना पड़ेगा. उन देशों को शानदार अमेरिकी अर्थव्यवस्था में उत्पाद बेचने को गुड बॉय कहने के लिए तैयार रहना चाहिए.”