समंदर में सुरक्षित नेविगेशन के लिए भारतीय नौसेना को आधुनिक सर्वे-वैसेल आईएनएस संधायक मिलने जा रहा है. शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में संधायक को विशाखापत्तनम में नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल किया जाएगा. संधायक का निर्माण कोलकाता स्थित जीआरएसई शिपयार्ड ने किया है.
भारतीय नौसेना के मुताबिक, आईएनएस संधायक बंदरगाहों, नेविगेशन चैनल और रूट, समुद्री-तट और गहरे समंदर के हाइड्रोग्राफिक सर्वे (सर्वेक्षण) के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. इसके अलावा जरूरत पड़ने पर संधायक को समंदर में चलते-फिरते अस्पताल और दूसरे नेवल ऑपरेशन के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
संधायक, नौसेना के उन चार बड़े सर्वे वैसेल लार्ज (एसवीएल जहाज) में से पहला है जिसके लिए रक्षा मंत्रालय ने गार्डेनरिच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) से वर्ष 2018 में करार किया था. मार्च 2019 में संधायक का निर्माण शुरु हुआ था और पिछले साल दिसंबर के महीने में जीआरएसई ने इसे नौसेना को सौंप दिया था.
जीआरएसई के मुताबिक, संधायक जहाज 110 मीटर लंबा है और इसका डिस्प्लेसमेंट 3400 टन है. संधायक में 80 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री लगी है. ये जहाज स्टेट ऑफ द आर्ट हाईड्रोग्राफी उपकरण जैसे डाटा एक्यूजेशन एंड प्रोसेसिंग सिस्टम, ऑटोनोमस अंडरवाटर व्हीकल, रिमोटली आपरेटेड व्हीकल, डीजीपीएस लॉन्ग रेंज पोजिशनिंग सिस्टम, डिजिटल साइड स्कैन सोनार इत्यादि से लैस है.
नौसेना के मुताबिक, संधायक और बाकी तीनों एसवीएल समंदर में ईईजेड यानी एक्सक्लुजिव इकोनॉमिक जोन और एक्सटेंडेड कॉन्टिनेंटल सेल्फ तक हाइड्रोग्राफी सर्वेक्षण करेगा. साथ ही ये डिफेंस और सिविल दोनों क्षेत्रों से जुड़े ओसियनग्राफी और जियोफिजिकल डाटा जुटाएगा.
भारतीय नौसेना 80 के दशक से आईएनएस संधायक नाम का एक सर्वेक्षण जहाज का इस्तेमाल करती थी लेकिन वर्ष 2021 में डि-कमीशन (रिटायरमेंट) के बाद नए एसवीएल की जरूरत पड़ी थी.
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