Breaking News Reports

वायुसेना और नौसेना की शक्ति का एकीकरण आवश्यक: सीडीएस

राष्ट्रीय हितों की रक्षा और हिंद महासागर क्षेत्र में प्रतिरोध सुनिश्चित करने के लिए वायु और नौसेना शक्ति का एकीकरण आवश्यक है. ये मानना है चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान का.

मंगलवार को दक्षिण वायु कमान के मुख्यालय (त्रिवेंद्रम) में ‘वायु और नौसेना बलों में समन्वय: हिंद महासागर क्षेत्र में लड़ाकू शक्ति को बढ़ाना’ विषय पर जनरल चौहान, एक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे.

अपने संबोधन में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने उभरते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में तैयारियों और सतर्कता की आवश्यकता को रेखांकित किया. सीडीएस ने इस बात पर जोर दिया कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की खास भौगोलिक स्थिति समुद्री क्षेत्र को रणनीतिक हित के लिहाज से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बनाती है.

सीडीएस ने कहा कि तकनीकी प्रगति, रणनीतिक साझेदारी और ज्वाइंट ऑपरेशन्ल एक्सरसाइज, भारत की रक्षा स्थिति को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

रियल टाइम में साझा करें खुफिया जानकारी

इस दौरान दक्षिणी वायु कमान के कमांडिंग इन चीफ, एयर मार्शल एसपी धारकर ने अपने संबोधन में क्षेत्र में उभरते खतरों से निपटने के लिए भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना के बीच रियल टाइम में खुफिया जानकारी साझा करने और निर्बाध समन्वय के महत्व पर प्रकाश डाला.

सम्मेलन में प्रतिभागियों ने मैरीटाइम एयर ऑपरेशन्स में तालमेल बिठाने और युद्ध क्षमता बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया. साथ ही संयुक्त परिचालन क्षमताओं को मजबूत करने पर मूल्यवान जानकारियां और दृष्टिकोण प्रस्तुत किए. (https://x.com/HQ_IDS_India/status/1894383687304720889)

मैरीटाइम सिक्योरिटी में ड्रोन की भूमिका पर जोर

चर्चाओं में आधुनिक हवाई-समुद्री युद्ध रणनीतियों, समुद्री सुरक्षा में मानव रहित प्रणालियों की भूमिका और रक्षा तैयारियों पर बदलती भू-राजनीतिक स्थितियों के प्रभाव को शामिल किया गया.

विशेषज्ञों ने आईओआर में रणनीतिक बढ़त बनाए रखने के लिए बल की तत्परता और संसाधन आवंटन को बेहतर बनाने पर सिफारिशें भी दीं.

इस कार्यक्रम ने अंतर-सेवा सहयोग को बढ़ावा देने और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों की प्रतिबद्धता की पुष्टि की.