भारत में आतंक फैलाने की सूत्रधार और कुख्यात पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई को अपने खुद के देश पाकिस्तान में खुली छूट मिल गई है. चीन के नक्शे कदम पर चलते हुए शहबाज सरकार ने पाकिस्तान में प्राइवेसी के अधिकार को तार-तार कर दिया है. आईएसआई अब अपने ही देश के नागरिकोॉ की जासूसी कर सकेगी.
इंटेलिजेंस एजेंसी आईएसआई अब नागरिकों के फोन और मैसेज को धडल्ले से इंटरसेप्ट कर सकती है. आईएसआई को ये ताकत खुद सरकार ने दी है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कैबिनेट बैठक के बाद आईएसआई के अधिकार बढ़ाने का ऐलान किया. राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर खुफिया एजेंसी किसी के भी फोन कॉल की निगरानी कर सकेगी.
चीन की तरह आईएसआई को मिला सर्विलांस का अधिकार
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाते हुए पाकिस्तान के सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की है. अधिसूचना में कहा गया है कि आईएसआई के ग्रेड 18 से नीचे के रैंक के अधिकारी किसी कॉल और संदेश को रोकने के साथ उसका पता भी लगा सकते हैं.
विदेशी खतरों के खिलाफ पाकिस्तानी सरकार, राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देगी. पाकिस्तान दूरसंचार (पुनर्गठन) अधिनियम, 1996 के तहत अधिसूचना में कहा गया “अधिनियम की धारा 54 के तहत प्राप्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए संघीय सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में और किसी भी अपराध की आशंका में आईएसआई को यह अधिकार देती है कि वह किसी भी फोन कॉल और संदेशों को इंटरसेप्ट और ट्रेस करेगी.”
आईएसआई की बढ़ी ताकत, लोगों में बढ़ा गुस्सा
सरकार के इस फैसले के बाद पाकिस्तान के कई स्कॉलर और कार्यकर्ता फैसले के विरोध में खड़े हो गए हैं. लोगों का आरोप है कि इससे “नागरिकों की निजता की आजादी (राइट टू प्राइवेस) का हनन होगा.”
एक्टिविस्ट्स का आरोप है कि सरकार खुफिया एजेंसी को ऐसे अधिकार देकर सरकार राजनीतिक विरोधियों, कार्यकर्ताओं और मीडिया को दबाने का काम करेगी.” शहबाज सरकार के इस फैसले पर लोग इसलिए भी कटघरे में खड़े कर रहे हैं क्योंकि पहले भी पाकिस्तान में सामाजिक कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं के फोन टेप होते रहे हैं.
राष्ट्रीय सुरक्षा या राजनीति की चिंता?
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ अपने समर्थकों से संपर्क के लिए इंटरनेट मीडिया का ही प्रयोग करती है. माना जा रहा है राजनीति से प्रेरित होकर शहबाज सरकार ने ऐसा फैसला लिया है. इमरान के समर्थक सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय है. इससे पहले भी सोशल मीडिया पर शिकंजा कसने के लिए शहबाज सरकार ने एक्स (ट्विटर) को बैन कर दिया था. जिसके बाद सिंध कोर्ट ने पाकिस्तान सरकार से जवाब मांग चुकी है.
पाकिस्तान में कोई भी सरकार हो वो सेना और आईएसआई की कठपुतली है. सेना और आईएसआई के अधीन उन्हीं के इशारे पर चलती है. हाल ही में पाकिस्तान की कोर्ट ने शहबाज सरकार को इस बात के लिए भी फटकार लगाई थी कि आईएसआई के लोग न्यायपालिका पर अपने पक्ष में फैसले के लिए दबाव न बनाया करें,
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