इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम होते-होते अक्सर अटक जाता है. एक साल तीन महीने से चल रही जंग को रोकने की कोशिश के लिए अमेरिका और कतर लगे हुए हैं, पर मध्यस्थता हर समय फेल हो रही है. बुधवार को इजरायल और हमास दोनों ने ही युद्ध विराम समझौता ना होने के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराया.
कतर और मिस्र की मध्यस्थता में दोहा में हुई बातचीत के बाद हमास ने इजरायल पर नई शर्ते लगाकर वार्ता को फेल करने का आरोप लगा दिया है. हमास का आरोप है कि इजरायल ने नई शर्तें रख दी हैं, जिससे संभावित समझौता होने में देर हो रही है.
शांति वार्ता अटकी, इजरायल-हमास का एकदूसरे पर आरोप
हमास ने आरोप लगाया है कि मिस्र और कतर की मध्यस्थता में दोहा में बुधवार को युद्धविराम पर अंतिम मुहर लगनी थी, लेकिन इजरायल ने एक बार फिर नई शर्तें लगा दी है. हमास के मुताबिक, दोहा में हुई वार्ता में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, लेकिन इजरायल ने बंधकों को छोड़ने और सेना को वापस बुलाने को लेकर नई शर्तें रख दी. हमास का आरोप है कि इजरायल जानबूझकर युद्धविराम पर हो रही बातचीत को अटका रहा है.
वहीं हमास के सारे आरोपों को इजरायल ने खारिज कर दिया है. पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने आरोपों को खंडन करते हुए कहा है कि इजरायल नहीं बल्कि हमास अब उन बातों से पीछे हट रहा है, जिसपर सहमति बन चुकी थी. हमास की ओर से बातचीत में रोड़ा अटकाया जा रहा है.
मंगलवार को इजरायल ने एक सप्ताह के सकारात्मक चर्चा के बाद दोहा से अपने वार्ताकारों को वापस बुला लिया था. दोहा में इजरायली वार्ताकारों में खुफिया एजेंसी मोसाद के वरिष्ठ अधिकार, शिन बेट सुरक्षा एजेंसी और आईडीएफ के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे.
क्यों फेल हो रहा है हमास-इजरायल का समझौता
हमास-इजरायल में कई बार शांति-वार्ता हो चुकी है पर हर बार फेल हो जाती है. हमास की मांग है कि इजरायली सेना पूरी तरह से गाजा से हट जाए पर इजरायल ने कुछ प्वाइंट पर हटने से मना कर दिया है. क्योंकि इजरायल का मानना है कि अगर सेना हटी तो हमास फिर से पांव पसार सकता है. ये बात भी सच है कि हमास के कब्जे में अभी बहुत से बंधक हैं, जिनको छुड़ाना एक चुनौती बनी हुई है.
कतर और मिस्र के अलावा अमेरिका भी कई बार मध्यस्थता कर चुका है पर अभी तक वार्ता सही दिशा में नहीं पहुंच पाई है.