इजरायल हमास और रूस-यूक्रेन जंग से आर्म्स कंपनियों की चांदी हो गई है. ग्लोबल थिंक-टैंक सिपरी की दुनिया की टॉप 100 आर्म्स कंपनियों की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, वॉर-जोन में सक्रिय कंपनियों का मुनाफा बेहद तेजी से बढ़ा है. रूस की हथियार बनाने वाली कंपनियों का मुनाफा 40 प्रतिशत तक पहुंच गया तो इजरायल की कंपनियों का राजस्व 19.6 बिलियन डॉलर (1.66 लाख करोड़) पहुंच गया है.
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) ने वर्ष 2023 की टॉप आर्म्स कंपनियों का डाटा जारी किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, जहां वर्ष 2022 में हथियार बनाने वाली कई कंपनियों का राजस्व गिर गया था, इस साल यानी 2023 में इसमें तेजी से उछाल आया है. कम से कम दो-तिहाई कंपनियों का मुनाफा इस दौरान बढ़ा है.
सिपरी के मुताबिक, कुल 100 कंपनियों में 41 अमेरिका की हैं. पिछले साल अमेरिका की इन कंपनियों का कुल रेवेन्यू 317 बिलियन डॉलर था, जो 2022 के मुकाबले 2.5 प्रतिशत ज्यादा है. सिवाय लॉकहीड मार्टिन और आरटीएक्स के, अमेरिका की सभी कंपनियों के मुनाफे में बढ़ोतरी देखने को मिली है.
रिपोर्ट के मुताबिक, रूस की दो बड़ी कंपनियों का राजस्व बढ़कर 25.5 बिलियन डॉलर पहुंच गया है, जो 2022 के मुकाबले 40 प्रतिशत ज्यादा है. इनमें से एक रूस की सरकारी कंपनी रोस्टेक शामिल है. रोस्टेक, रूस की एक सरकारी कंपनी है जिसके अंतर्गत हथियार बनाने वाली कई अन्य कंपनियां हैं. (https://x.com/SIPRIorg/status/1863357585220321546)
यूक्रेन के खिलाफ जंग के चलते रूस की आर्म्स कंपनियों ने बड़ी संख्या में लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, यूएवी, टैंक, मिसाइल और गोला-बारूद का निर्माण किया है.
सिपरी के मुताबिक, ठीक इसी तरह से गाजा युद्ध के चलते इजरायल की कई कंपनियों के मुनाफे में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है. सिपरी की 100 कंपनियों की लिस्ट में छह इजरायल की हैं. इन सभी कंपनियों के रेवेन्यू में कुल 18 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी देखने को मिली है.
मिडिल ईस्ट में तुर्किए (तुर्की) की तीन कंपनियों का मुनाफा भी 24 प्रतिशत तक बढ़ गया. इसका कारण ये हो सकता है क्योंकि तुर्की की बायरेकर कंपनी के ड्रोन का यूक्रेन युद्ध में बड़ी संख्या में इस्तेमाल किया गया है.
सिपरी के मुताबिक, कोरिया और जापान की आर्म्स कंपनियों के मुनाफे में भी काफी उछाल देखने को मिला है. इसका कारण रूस-यूक्रेन जंग और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की उकसावे वाली हरकत हो सकती हैं.
सिपरी की लिस्ट में भारत की तीन कंपनियों को भी शामिल किया गया है. इनमें हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड शामिल है. भारत की इन तीनों कंपनियों का कुल राजस्व 6.7 बिलियन डॉलर (57 हजार करोड़) रहा, जो पिछले साल के मुकाबले 5.8 प्रतिशत ज्यादा है.
सिपरी की रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन जंग के बावजूद यूरोप की आर्म्स कंपनियों को कोई खास फायदा नहीं हुआ है.
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युद्ध से Arms कंपनियों की चांदी: SIPRI रिपोर्ट
- by Neeraj Rajput
- December 2, 2024
- Less than a minute
- 3 weeks ago