दिल्ली चुनाव में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को गंभीरता से ना उठाने को लेकर पूर्व-सैनिकों और बुद्धिजीवियों ने चिंता जताई है. जानकारों का मानना है कि खालिस्तान से लेकर अर्बन नक्सलवाद और किसान आंदोलन की आड़ में लाल किले पर अराजकता और गैर-कानूनी बांग्लादेशियों की घुसपैठ जैसे अहम मुद्दों को मुफ्त की बिजली-पानी और सेवाओं में भुला दिया गया है, जो देश की सुरक्षा के लिए बेहद अफसोस की बात है.
दिल्ली चुनाव में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा गायब क्यों’, विषय पर मंगलवार शाम ‘एक्स-स्पेस’ पर एक चर्चा का आयोजन किया गया. चर्चा को सीमा जागरण मंच और अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया.
चर्चा में मुख्य वक्ता के तौर पर जाने-माने रक्षा विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट जनरल नितिन कोहली (रिटायर्ड), मेजर जनरल आरपीएस भदौरिया (रिटायर्ड), एडिशनल डीजी, सेंटर फॉर लैंड एंड वारफेयर स्टडीज और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देश रतन निगम ने हिस्सा लिया.
अपने संबोधन में मेजर जनरल भदौरिया (रिटायर) ने अवैध घुसपैठियों के मुद्दे से लेकर वर्ष 2020 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दिल्ली दौरे के दौरान सांप्रदायिक दंगे और शाहीन बाग में ‘इंजीनियर्ड’ धरने का जिक्र किया.
मेजर जनरल भदौरिया के मुताबिक, “देश की राजधानी होने के नाते दिल्ली में जो भी घटनाएं होती हैं, वे पूरी दुनिया में हेडलाइन बनती हैं. ऐसे में दिल्ली को अस्थिर कर देश की इमेज को नुकसान पहुंचता है और अर्थव्यवस्था पर भी खासा असर पड़ता है. क्योंकि विदेशी निवेश रूक जाता है.”
सुप्रीम कोर्ट के जाने माने अधिवक्ता, देश रतन निगम ने अपने संबोधन में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा का राजनीतिकरण’ करने पर रोष व्यक्त किया. बिना किसी राजनीतिक दल का नाम लिए बगैर, निगम ने दिल्ली दंगों में राजनीतिक प्रतिनिधियों के लिप्त होने पर गंभीर सवाल उठाए.
अधिवक्ता ने चुनाव के दौरान विदेशी मीडिया से लेकर हिंडनबर्ग जैसी रिपोर्ट को प्रकाशित करना एक ‘प्रोपेगेंडा’ करार दिया.
निगम के मुताबिक, मुफ्त की रेवड़ियां के चलते “राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा पीछे चला गया है.” उन्होंने कहा कि अभी भी वोटिंग में 10-15 दिन हैं. ऐसे में मीडिया (और सोशल मीडिया) पर राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर दिल्ली के वोटरों में एक ‘जन-जागरूकता’ कैंपेन चलाने की सख्त जरूरत है.
निगम ने साफ तौर से कहा कि भारत को अगर वर्ष 2047 तक विकसित बनना है तो सुरक्षा को बेहद मजबूत बनाना होगा.
लेफ्टिनेंट जनरल कोहली (रिटायर) ने भी अपने संबोधन में राजधानी दिल्ली में अवैध घुसपैठ के जरिए डेमोग्राफी और वोटिंग प्रक्रिया को प्रभावित करने जैसे गंभीर विषय पर श्रोताओं का ध्यान खींचा.