भारत के ऑपरेशन सिंदूर में मिट्टी में मिले आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के बहावलपुर स्थित हेडक्वार्टर को एक बार फिर से खड़ा करने की कोशिश की जा रही है. पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के शह पर जैश ए मोहम्मद एक-दो नहीं पूरे पाकिस्तान में 313 मरकज़ खोलने की साजिश रच रहा है.
मरकज़ खोलने के लिए जैश डोनेशन इकट्ठा कर रहा है. इसके लिए जैश ने सीधे बैंक अकाउंट में डोनेशन के दो बेहद खास ऑनलाइन वॉलेट तैयार किए हैं ताकि 391 करोड़ रुपये इकट्ठा किए जा सके.
आतंकी संगठन जैश और लश्कर ए तैयबा, इन मरकज़ के जरिए ही जैश ए मोहम्मद, युवाओं को कट्टरपंथ का पाठ पढ़ाने के साथ ही आतंकी ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल करता है.
एफएटीएफ को दिया जैश ने चकमा, आतंकवाद के लिए पैसों का इस्तेमाल
जानकारी के मुताबिक, एफएटीएफ (फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स) को चकमा देकर, जैश इन डिजिटल वॉलेट्स के जरिए 3.91 बिलियन (391 करोड़ पाकिस्तानी रुपये) इकट्ठा करने की मुहिम चला रहा है.
आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के मामले में पाकिस्तान लंबे समय तक अंतरराष्ट्रीय संस्था एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में था. कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान को राहत नहीं मिल रही थी.
भारत की खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक, आईएसआई और आतंकी संगठन जैश अब पैसा इकट्ठा करने के लिए पाकिस्तानी डिजिटल वॉलेट एजी-पैसा और साडापेय का इस्तेमाल कर रहे हैं.
ऑपरेशन सिंदूर में बहावलपुर में भारत ने तबाह किया था जैश हेडक्वार्टर
पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया. इसमें जैश के हेडक्वार्टर मरकज सुभान अल्लाह, बहावलपुर सहित कुल पांच आतंकी ट्रेनिंग कैंप तबाह कर दिए गए थे. बाकी चार (04) आतंकी कैंप जो बर्बाद किए गए थे, उनमें मरकज़ बिलाल, मरकज़ अब्बास, महमोना जोया और सरगन कैंप शामिल था. कहने के लिए ये मदरसा और मस्जिद थे, लेकिन सच्चाई ये थी कि इनकी आड़ में आतंकी युवाओं का ब्रेनवॉश करके रखते थे. हथियार चलाने, घुसपैठ करने, बम बनाने की ट्रेनिंग देते थे. यहां तक कि फिदायीन आतंकी भी यहीं बनाए जाते थे.
पाकिस्तान ने दावा किया था कि जैश पर लगाई गई लगाम
वर्ष 2022 में ग्रे लिस्ट से बाहर आने से पहले पाकिस्तान ने दुनिया के सामने ये दिखाने की कोशिश की थी कि बहावलपुर स्थित मरकज़ को सरकारी नियंत्रण में लेकर जैश पर लगाम लगा दी गई है. साथ ही दावा किया गया कि जैश के सरगना मसूद अजहर, उसके भाई रऊफ असगर और उसके सबसे छोटे भाई तल्हा अल सैफ के बैंक खातों पर आधिकारिक निगरानी रखी जा रही है. इसमें नकद लेनदेन और पैसा उगाही के दूसरे तरीकों पर भी प्रतिबंध लगा दिया. जिसके चलते आखिरकार पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटा दिया गया.
लेकिन जल्द ही सच्चाई सामने आ गई, जब ऑपरेशन सिंदूर में भारत की एरियल स्ट्राइक के बाद 9 आतंकी कैंपों को तबाह कर दिया गया.
आतंकी कैंप बनाने के लिए मसूद अजहर फिर इकट्ठा कर रहा पैसे
पाकिस्तान सरकार ने जैश के मरकज और ट्रेनिंग सेंटर को फिर से बनाने के लिए पैसे देने का एलान किया है. लेकिन जैश को दान, अब बैंक खातों में जाने के बजाय, मसूद के परिवार के सदस्यों के इस्तेमाल किए जाने वाले डिजिटल वॉलेट में ट्रांसफर किया जा रहा है. ताकि एफएटीएफ को दिखाने वाले जैश के बैंक खाते में लेनदेन ही ना दिखे और पाकिस्तान अपने दावे को पुख्ता कर सके.
पैसा उगाही के लिए आईएसआई और जैश-ए-मोहम्मद ने अपने सभी अंडरकवर एजेंट्स को एक्टिव कर दिया है.
प्रॉक्सी अकाउंट के जरिए पैसे इकट्ठा कर रहा जैश
खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जैश से जुड़े प्रॉक्सी अकाउंट्स और कमांडरों के इस्तेमाल किए जाने वाले अकाउंट्स में पोस्टर, वीडियो और मसूद अजहर की चिट्ठी भी पोस्ट की जा रही है. इसमें लोगों से गुजारिश की जा रही है कि जैश-ए-मोहम्मद, 313 मरकज बना रहा है और हर मरकज के लिए 12.5 मिलियन पाकिस्तानी रुपये यानी 1 करोड़ 25 लाख पाकिस्तानी रुपये की जरूरत है. यह फंड रेजिंग सिर्फ पाकिस्तान में नहीं बल्कि विदेशों में रहने वाले पाकिस्तानी और अपने समर्थकों से भी अपना हिस्सा देने की गुजारिश की जा रही है.
इस्लाम धर्म में 313 का है खास महत्व
जैश ने 313 का ये आंकड़ा खास तौर से चुना है. दरअसल, इस्लाम धर्म में बद्र की लड़ाई को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस लड़ाई में पैगम्बर साहब के साथ 313 लड़ाके थे और दुश्मन पर जीत हासिल की थी. यही वजह है कि जैश ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा की तर्ज पर पाकिस्तान में मरकज़ स्थापित करनी की तैयारी की है. इन 313 मरकज़ से निकलने वाले कट्टरपंथी युवाओं को आतंकी बनाकर भारत में घुसपैठ कराने के लिए तैयार किया जाएगा.