July 5, 2024
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Jaishankar चले मास्को, पुतिन को निमंत्रण देंगे क्या ?

अगले महीने गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के शामिल ना होने से भारत के लोगों में इतनी मायूसी नहीं थी जितनी सोशल मीडिया पर रुस के राष्ट्रपति, व्लादिमीर पुतिन को बुलाने को लेकर उत्सुकता है. ऐसे में अगर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के मास्को जाने की खबर आती है तो लोगों की बांछे खिल जाती हैं. 

फरवरी 2022 में यूक्रेन के खिलाफ जंग छेड़े जाने के बाद से करीब डेढ़ साल तक पुतिन ने कोई विदेश दौरा नहीं किया था. लेकिन पहले बीजिंग और इस महीने के शुरुआत में पुतिन ने सऊदी अरब और यूएई का दौरा किया है. ऐसे में माना जा सकता है कि पुतिन विदेश यात्रा कर सकते हैं. लेकिन क्या वे भारत का दौरा करेंगे. सही सही जवाब किसी के पास नहीं है. 

अगले हफ्ते जयशंकर मास्को के चार दिवसीय दौरे पर जा रहे हैं. हालांकि, विदेश मंत्रालय और रुस की तरफ से अभी तक इस यात्रा के बारे में आधिकारिक तौर से कोई जानकारी नहीं दी गई है लेकिन माना जा रहा है कि इस दौरान रक्षा, व्यापार और ऊर्जा जैसे अहम मुद्दों पर विस्तृत बातचीत होना तय है. लेकिन क्या भारत के विदेश मंत्री चुपचाप रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को गणतंत्र दिवस परेड में निमंत्रण देने को लेकर अपने समकक्ष सर्गेइ लावरोव को टटोल सकते हैं ?

दुबई (यूएई) से रेजोनेंट न्यूज  डिजीटल प्लेटफॉर्म चलाने वाली भारतीय मूल की लेविना नेयथ्री अपने एक्स अकाउंट (ट्विटर) पर लिखती हैं, “बाइडेन भारत नहीं आ रहे हैं…पुतिन को निमंत्रण दो…मेरे भारतवासी क्या सोचते हैं उसको लेकर मैं उन्हें प्यार करती हूं.” उनकी इस पोस्ट के रिप्लाई में लोगों ने पुतिन से लेकर ब्रिक्स के राष्ट्राध्यक्षों और नेतन्याहू (इजरायल के प्रधानमंत्री) और जॉर्जिया मेलोनी (इटली की प्रधानमंत्री) को निमंत्रण देने तक की सलाह दे डाली. उनके एक फॉलोअर ने लिखा, “बाइडेन की जरूरत किसको है, जब तुम्हारे पास पुतिन है. अब दुनिया के नेताओं को लड़ने दो.” 

दरअसल, खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश के मामले में भारत और अमेरिका के संबंधों में खटास आ गई है. जिसके चलते बाइडेन ने अगले महीने गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने से इंकार कर दिया है. साथ ही जनवरी (2024) के आखिरी हफ्ते में क्वाड देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक भी राजधानी दिल्ली में होने जा रही थी. लेकिन अमेरिका ने इस बैठक को भी साल के अंत में टालने का आग्रह किया है. क्वाड समूह में भारत और अमेरिका के अलावा जापान और आस्ट्रेलिया भी शामिल हैं. भारत ने अभी ये साफ नहीं किया है कि गणतंत्र दिवस समारोह में बाइडेन की जगह अब कौन मुख्य अतिथि होगा. 

पिछले दो सालों से भारत और रुस के नेताओं (राष्ट्राध्यक्षों) के बीच होने वाली सालाना इंडिया-रशिया समिट का आयोजन नहीं हो पाया है. आखिरी समिट दिसंबर 2021 में हुई थी जब पुतिन छह घंटे के लिए भारत आए थे. हालांकि, पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एससीओ मीटिंग के दौरान एक बार इस दौरान बातचीत कर चुके हैं. इसी दौरान पीएम मोदी ने पुतिन को यूक्रेन जंग को लेकर नसीहत दी थी कि “ये युद्ध का युग नहीं है.” लेकिन सालाना डायलॉग नहीं हो पाया है. ऐसे में जयशंकर इस सालाना समिट की कमी पूरे करने के इरादे से मास्को जा रहे हैं. खबर ये भी है कि विदेश मंत्री सेंट पीटर्सबर्ग भी जा सकते हैं. 

पिछले दो सालों से जयशकंर अकेले ऐसे भारतीय नेता हैं जो पूरी दुनिया में रुस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत की स्ट्रेटेजिक-ऑटोनोमी को पुरजोर तरीके से उठा रहे हैं. यूक्रेन जंग को लेकर रुस की खोल कर मुखालफत ना करने को लेकर भारत को पश्चिमी देशों की खीझ का सामना भी करना पड़ा है. लेकिन जयशंकर ने सभी वैश्विक मंचों पर साफ कर दिया कि भारत के लिए अपने राष्ट्रीय हित जरूरी हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन भी कह चुके हैं कि हथियारों को लेकर निर्भरता के कारण भारत खुलकर रशिया का विरोध नहीं कर रहा है. रुस से तेल लेने को लेकर तो यूक्रेन ने ये तक कह दिया था कि उस तेल पर खून लगा है. 

माना जा रहा है कि रुस यात्रा के दौरान जयशंकर अपने समकक्ष लावरोव से नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर और चेन्नई को रूस के सुदूर-पूर्व पोर्ट सिटी, व्लादिवोस्तोक से समुद्री-मार्ग से जोड़ने को लेकर अहम बातचीत करेंगे. इस दौरान ब्रिक्स, एससीओ और यूक्रेन युद्ध को लेकर भी बातचीत होगी. क्योंकि अगले साल ब्रिक्स की बैठक रुस के कजान में होने जा रही है. इस दौरान ब्रिक्स संगठन में छह नए देशों को शामिल किया जाएगा. पाकिस्तान भी ब्रिक्स में शामिल होने को कसमसा रहा है. हाल के दिनों में पाकिस्तान की रुस से नजदीकियां काफी बढ़ गई हैं. 

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