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हनुमान जी ने लंका में दिखाई कूटनीति, जयशंकर ने छात्रों को सिखाई विदेश नीति

भारत की विदेश नीति और कूटनीति की इन दिनों दुनिया में तूती बोल रही है. ऐसे में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हनुमान जी के रावण की लंका भेजे जाने का जिक्र करते हुए कहा है कि हमारा उद्देश्य अधिक से अधिक दोस्तों की संख्या बढ़ाना है. जयशंकर ने ये टिप्पणी दिल्ली विश्वविद्यालय के साहित्य महोत्सव में की और बताया कि हनुमान जी की विदेश नीति आज भी सार्थक है.

श्रीराम ने हनुमान को जमीनी स्थिति पता करने के लिए भेजा था: एस जयशंकर

डीयू के कार्यक्रम में विदेश नीति पर बोलते हुए जयशंकर ने हनुमानजी का उदाहरण दिया. हनुमानजी के लंका में रावण के दरबार में जाने की तुलना विदेशी कूटनीति से की और कहा कि “हनुमानजी को देखें. उन्हें प्रभु श्री राम द्वारा शत्रुतापूर्ण क्षेत्र में भेजा गया. प्रभु राम ने कहा कि वहां जाएं और जमीनी स्थिति का पता लगाएं.”

जयशंकर के मुताबिक, “श्रीराम ने हनुमान जी को इसलिए भेजा क्योंकि लंका के बारे में कुछ पता ही नहीं था, कि सीता मां कहां हैं, हनुमान जी दुश्मन के क्षेत्र में जाकर रेकी करना आदि. उस समय इसका सबसे कठिन हिस्सा वास्तव में सीता जी से मिलना था और उनका मनोबल बनाए रखना था. लेकिन हनुमानजी वास्तव में खुद को आत्मसमर्पण करके रावण के दरबार में गए और दरबार की गतिशीलता को समझने में सक्षम बने.” 

भारत का उद्देश्य अधिक से अधिक दोस्तों की संख्या बढ़ाना है: जयशंकर 

जयशंकर ने मौजूदा विदेश नीति पर बात करते हुए कहा, कि “आज हमारी कोशिश रहती है कि हम ज्यादा से ज्यादा दोस्तों की संख्या बढ़ाएं. हम अलग-अलग देशों को एक साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं, जिनमें से सभी थोड़े बहुत हो सकते हैं, आप जानते हैं, वे सभी एक साथ नहीं हो सकते हैं, लेकिन हम उन सभी को एक साथ लाने और एक लक्ष्य की ओर काम करने की कोशिश कर रहे हैं. अब, इस तरह का गठबंधन बनाना बहुत जरूरी है.आप उन्हें किसी कार्य के लिए कैसे प्रस्तावित करते हैं? आप कैसे प्रबंधन करते हैं, क्योंकि कभी-कभी आपके पास लोगों का एक बड़ा समूह होता है, आप उन सभी को कैसे एकजुट करते हैं?”

पीएम मोदी मजबूत राष्ट्रवादी, ट्रंप भी राष्ट्रवादी, इसलिए अच्छे मित्र: जयशंकर 

दिल्ली विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में विदेश मंत्री ने पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात का जिक्र किया. जयशंकर बोले, “मैं अपने पूरे जीवन में ऐसा करता रहा हूं, इसलिए मेरे पास तुलनात्मक आकलन के रूप में कुछ संदर्भ बिंदु और कुछ अनुभव हैं. मैं पूरी निष्पक्षता के साथ कहूंगा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बहुत ही मजबूत राष्ट्रवादी हैं, और वे इसे एक तरह से प्रदर्शित करते हैं.”

जयशंकर के मुताबिक, “अब, ट्रंप एक अमेरिकी राष्ट्रवादी हैं, और मुझे लगता है, कई मायनों में, राष्ट्रवादी एक-दूसरे का सम्मान करते हैं. ट्रंप स्वीकार करते हैं कि मोदी, भारत के लिए हैं. पीएम मोदी भी मानते हैं कि ट्रंप, अमेरिका के लिए हैं. इस मुलाकात के दौरान एक दूसरी बात जो मुझे लगी वह यह थी कि दोनों के बीच अच्छी केमिस्ट्री थी, क्योंकि, आप जानते हैं, ट्रंप कुछ हद तक हर किसी के साथ ज्यादा घुलते मिलते नहीं हैं, दुनिया में ऐसे कई अन्य नेता हैं, जिनके साथ उनका सकारात्मक इतिहास नहीं रहा है लेकिन मोदी जी के मामले में ऐसा नहीं है.”

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