जनवरी के महीने में राजधानी दिल्ली में क्वाड समूह के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक में शामिल होने से इंकार करने के बाद अब टोक्यो में क्वाड देशों के विदेश मंत्री मिल रहे हैं. क्वाड की अहम बैठक के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर टोक्यो पहुंच चुके हैं.
एस जयशंकर ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के विदेश मंत्रियों के साथ क्वाड बैठक करेंगे. इस साल के अंत में भारत में क्वाड नेताओं की बैठक होनी है. क्वाड के विदेश मंत्रियों की बैठक पहले इस साल जनवरी में होनी थी, लेकिन यह बैठक टल गई थी. ये बैठक इसलिए बड़ी है क्योंकि एस जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन एक दूसरे से मिलेंगे. ये मुलाकात पीएम मोदी के मॉस्को दौरे के बाद होने वाली है, क्योंकि अमेरिका ने पीएम मोदी के रूस दौरे की तारीख को लेकर सवाल खड़े किए थे क्योंकि उसी वक्त नाटो की अहम बैठक होनी थी.
क्वाड की बैठक में क्या होगा?
विदेश मंत्री स्तर की बैठक में क्वाड समूह द्वारा की गईं पहल और वर्किंग ग्रुप के कामों की समीक्षा की जाएगी. विदेश मंत्रालय के मुताबिक, “क्वाड बैठक में जिसमें जापान, ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका की भागीदारी होगी. सभी देशों के विदेश मंत्री क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे और सार्वजनिक वस्तुओं की डिलीवरी के माध्यम से क्षेत्र की प्राथमिकताओं को संबोधित करके एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के भविष्य के सहयोग का मार्गदर्शन करेंगे.”
इससे पहले क्वाड के चारों विदेश मंत्रियों की बीते सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में मुलाकात हुई थी. इसी महीने 12 जुलाई को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल की अमेरिका के एनएसए जैक सुलिवन के साथ कई मुद्दों पर चर्चा की गई थी. पिछले साल सितंबर में जब क्वाड समूह के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी, तो चारों देशों में उत्तर कोरिया से हथियार न खरीदने और न ही बेचने पर सहमति बनी थी.
आज एंटनी ब्लिंकन और एस जयशंकर की होगी मुलाकात
भारत और अमेरिका संबंधों में पिछले कुछ समय से खटास है. वजह रूस है. भारत और रूस में घनिष्ठ संबंध हैं और ये अमेरिका को पसंद नहीं है. अमेरिका भारत को अपने लॉबी में लाना चाहता है पर भारत अपनी कूटनीति के चलते तटस्थ है. मॉस्को में जब पीएम मोदी और व्लादिमीर पुतिन ने एक दूसरे को गले लगाया तो उसका भी अमेरिका में विरोध किया गया. अमेरिका भारत को नाटो प्लस देशों में भी शामिल करना चाहता है. भारत की कूटनीति हालांकि, एकदम लाउड और क्लियर है. अमेरिका ने खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश का भी आरोप भारत पर लगाया है.
इसी साल फरवरी के महीने में एस जयशंकर और एंटनी ब्लिंकन के बीच म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में मुलाकात हुई थी. इस दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक के साथ एक बैठक में एस जयशंकर रूस के साथ संबंधों पर बेबाक राय दी थी. अमेरिका और रूस जैसे दो वैश्विक शक्तियों के गतिरोधों के बीच रूस से तेल खरीदने पर पूछे गए एक सवाल पर एस जयशंकर ने कहा था कि “अगर मैं इतना स्मार्ट हूं कि मेरे पास कई विकल्प हैं, तो आपको मेरी प्रशंसा करनी चाहिए. क्या यह दूसरों के लिए एक समस्या हो सकती है? मुझे ऐसा नहीं लगता.” जयशंकर की इस बात पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भी मुस्कुराने लगे थे.
दरअसल यूक्रेन के साथ युद्ध के बाद रूस पर लगी आर्थिक प्रतिबंधों के बीच भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदकर रूस का साथ दिया था और पश्चिमी देशों को ये भी इशारों में जवाब दे दिया की भारत-रूस की दोस्ती बेजोड़ है.
महात्मा गांधी के संदेश को याद रखे दुनिया: एस जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जापान के एडोगावा में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया. इस दौरान एस जयशंकर ने दुनिया के अलग-अलग मोर्चों पर संघर्ष और युद्ध का जिक्र भी किया. एस जयशंकर ने कहा, “ऐसे समय में जब पूरी दुनिया में संघर्ष बढ़ रहे हैं, काफी तनाव है और ध्रुवीकरण हो रहा है, खून-खराबा हो रहा है.ऐसे में ये बेहद अहम है कि हमें महात्मा गांधी के उस संदेश को याद करना चाहिए कि युद्ध के मैदान से शांति नहीं आ सकती और ये युग भी युद्ध का नहीं है. यह संदेश आज भी उतना ही प्रभावी है, जितना यह 80 साल पहले था.”
खास बात ये है कि अगले महीने ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से मिलने कीव जाने वाले हैं. माना जा रहा है कि पीएम मोदी, कीव में जेलेंस्की से रुस से शांति वार्ता शुरु करने पर बात कर सकते हैं. (अगले महीने यूक्रेन जाएंगे पीएम मोदी, युद्ध रोकने पर जेलेंस्की से करेंगे चर्चा)
पन्नू मामले के चलते बाइडेन ने टाल दिया था भारत दौराइसी साल जनवरी के महीने में भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया था. साथ ही उसी दौरान क्वाड देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक का भी आइडिया दिया था. लेकिन उसी दौरान खालिस्तानी आतंकी गुरपतंव सिंह पन्नू की हत्या की कोशिश की साजिश रचने का खुलासा हुआ, जिसमें अमेरिका ने भारत की खुफिया एजेंसी पर संगीन आरोप लगाए थे. इसके चलते बाइडेन ने भारत दौरा टाल दिया था.
हालांकि, अमेरिका ने बाइडेन के स्टेट ऑफ द यूनियन भाषण का हवाला देकर भारत न आने का बहाना बनाया था. भारत के आम चुनाव को देखते हुए भी अमेरिकी राष्ट्रपति दिल्ली नहीं आना चाहते थे. ऐसे में क्वाड देशों के नेताओं की वार्ता साल के अंत तक के लिए टाल दी गई थी.