By Himanshu Kumar
जम्मू में एक के बाद एक हो रहे आतंकी हमलों के बीच जापान ने भारत से आतंकवादियों के ठिकानों को ‘उखाड़ फेंकने’ का आह्वान किया है. जापान ने भारत से ‘आतंकियों की सीमा-पार’ से घुसपैठ और ‘टेरर-फाइनेंसिंग’ पर लगाम लगाने का भी समर्थन किया है.
मंगलवार को राजधानी दिल्ली में भारत और जापान की ‘2 प्लस 2’ (2+2) मीटिंग के बाद जारी साझा बयान में दोनों देशों ने मुंबई के 26/11 अटैक के साथ ही पठानकोट और दूसरे आतंकी हमलों के गुनहगारों के खिलाफ न्यायिक कार्रवाई की मांग की. बयान में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा प्रतिबंधित अल-कायदा, आईएस, जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा सहित इन सभी आतंकी संगठनों के प्रोक्सी-ग्रुप के खिलाफ ठोस एक्शन लेने की जरूरत बताई.
भारत की तरफ से 2 प्लस 2 (2+2) में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हिस्सा लिया तो जापान की तरफ विदेश मंत्री योको कामिकावा और रक्षा मंत्री मिनोरू किहारा ने शिरकत की. दोनों देशों के बीच ये तीसरी 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक थी.
पिछले तीन महीने से जम्मू रीजन में एक के बाद एक सुरक्षाबलों पर हमले हो रहे है. सोमवार को ही डोडा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के एक इंस्पेक्टर वीरगति को प्राप्त हो गए थे. माना जा रहा है कि बड़ी संख्या में पाकिस्तान समर्थित आतंकी सीमा पार कर जम्मू क्षेत्र में घुस गए हैं और उंचाई वाले जंगलों में पैठ बना ली है. इन आतंकियों को पाकिस्तानी सेना ने कमांडो ट्रेनिंग देकर भारत भेजा है.
मंगलवार को भारत और जापान के बीच हुई बैठक का उद्देश्य बढ़ती क्षेत्रीय चुनौतियों के बीच सुरक्षा और रक्षा सहयोग को बढ़ाना देना था. दोनों देश अपनी रणनीतिक साझेदारी को गहरा करना चाहते हैं, जिसमें समुद्री सुरक्षा और आर्थिक सहयोग जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाए. साथ ही “स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत” के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया गया.
2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “दोनों देशों के बीच सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंध बढ़े हैं. इन संबंधों में रक्षा एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में उभरा है. हमने 2047 तक, भारत की स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने पर, भारत को एक विकसित और परिवर्तित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है. घरेलू रक्षा क्षमताओं का निर्माण इस विजन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है. रक्षा प्रौद्योगिकी और उद्योग के क्षेत्र में जापान के साथ साझेदारी भारत के इस विजन को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.”
राजनाथ ने कहा कि “दोनों देशों के बीच सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंध बढ़े हैं. रक्षा इन संबंधों में एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में उभरा है.”
बैठक को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, “पिछले दशक में हमारे संबंधों ने एक विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी का रूप ले लिया है. इस विकास का तर्क हमारी बढ़ती रुचि और बढ़ती गतिविधियां हैं. जैसे-जैसे हम दोनों एक अधिक अस्थिर और अप्रत्याशित दुनिया में आगे बढ़ रहे हैं, ऐसे में विश्वसनीय भागीदारों की आवश्यकता है जिनके साथ पर्याप्त अभिसरण हो. परिणामस्वरूप, हमने सचेत रूप से एक-दूसरे के प्रयासों को सुविधाजनक बनाने, एक-दूसरे के उद्देश्यों को समझने की कोशिश की है.”
कल प्रधानमंत्री मोदी से हुई थी मुलाकात
सोमवार को जापानी विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री ने राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इस शिष्टाचार मुलाकात के दौरान, मोदी ने वैश्विक व्यवस्था की बढ़ती जटिलता और भारत और जापान के बीच संबंधों को गहरा करने के महत्व पर जोर दिया.