पीओके भारत का ‘मुकुट-मणि’ है लेकिन पाकिस्तान ने इस कश्मीर का इस्तेमाल आतंकवाद के कारोबार चलाने के लिए किया है. क्योंकि पाकिस्तान, पीओके को एक विदेशी-क्षेत्र मानता है. ये कहना है देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का.
जम्मू-कश्मीर के अखनूर में एलओसी के करीब से रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान के खिलाफ हुंकार भरी है. मौका था ‘वेटरन्स डे’ (पूर्व-फौजियों के दिन) का.
राजनाथ सिंह ने कहा कि “सीमा से सटे इलाकों में पाकिस्तान ने आतंकियों के लॉन्च-पैड बना रखे हैं. रक्षा मंत्री ने साफ कहा कि “भारत सरकार को सब पता है, ऐसे में पाकिस्तान को इन लॉन्च पैड को जल्द से जल्द खत्म करना होगा.”
भारत का मुकुट-मणि है पीओके
रक्षा मंत्री ने कहा कि “जम्मू कश्मीर में धारा 370 को समाप्त कर आतंकवाद के खात्मे की शुरुआत की है और आज हालात काफी हद तक बदल गए हैं.” राजनाथ सिंह ने साफ कहा कि “बिना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के जम्मू-कश्मीर अधूरा है. क्योंकि पीओके भारत का मुकुट-मणि है.”
राजनाथ सिंह के मुताबिक, “पीओके को विदेशी-धरती मानने वाले पाकिस्तान ने स्थानीय अवाम को एक बेहतर जिंदगी से महरूम रखा है. उन्हें मजहब के नाम पर हिंदुस्तान के खिलाफ बरगलाने और उकसाने की कोशिश, पाकिस्तान के हुक्मरानों द्वारा की जा रही है.”
पाकिस्तान के लिए विदेशी-धरती है पीओके
रक्षा मंत्री ने कहा कि “हाल में ही पीओके के गैर-कानूनी वज़ीरे आज़म अनवारूल हक ने हिंदुस्तान के खिलाफ जो ज़हर उगला है, वह पाकिस्तान की ही साजिश का हिस्सा है.” राजनाथ ने कहा कि “अनवारुल हक़ जो आज कह रहे हैं वही भारत विरोधी एजेंडा पाकिस्तान के हुक्मरानों ने जनरल ज़िया उल हक़ के जमाने से चलाया हुआ है.”
1965 से जारी है पाकिस्तान की घुसपैठ
इस साल (2025), 1965 युद्ध की हीरक जयंती (डायमंड जुबली) का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि “उस दौरान भारतीय सेना ने हाजी पीर पर तिरंगा लहराने में सफलता हासिल की मगर उसे बातचीत की मेज पर छोड़ दिया गया. यदि यह न हुआ होता तो आतंकवादियों की घुसपैठ का रास्ते उसी समय बंद हो गए होते.”
राजनाथ सिंह ने कहा कि “अवैध घुसपैठ और आतंकवाद को हवा देने का काम 1965 के जमाने से पाकिस्तान करता आया है. उसकी यही उम्मीद रही है कि जम्मू एवं कश्मीर में जो मुस्लिम आबादी है वह पाक फौज के साथ खड़ी होगी. मगर न 1965 में यहाँ के लोगों ने पाकिस्तान का साथ दिया, न ही आतंकवाद के उस दौर में साथ दिया.”
हर युद्ध में हारा है पाकिस्तान
1965 के युद्ध में जंग के मैदान में मिली जीत भारतीय सेनाओं के शौर्य, पराक्रम और बलिदान का परिणाम था. राजनाथ सिंह ने कहा कि “आप इतिहास उठा कर देखिए, भारत से हुई हर जंग में पाकिस्तान हारा है. चाहे 1948 में हुआ कबाइली हमला हो, 1965 का युद्ध हो, 1971 का युद्ध हो या फिर 1999 का कारगिल में हुआ सीमित युद्ध हो, हर लड़ाई में पाकिस्तान को हार का मुँह देखना पड़ा है.”
इसके बावजूद राजनाथ सिंह ने कहा कि “पाकिस्तान ने आज तक आतंकवाद का दामन नहीं छोड़ा है. आज भी अस्सी फीसदी से अधिक आतंकवादी पाकिस्तान से ही भारत में आते हैं. सीमा पार से जारी आतंकवाद 1965 में ही समाप्त हो गया होता, यदि तत्कालीन सरकार ने जंग के मैदान में मिली कई सामरिक-बढ़त को बातचीत की मेज पर सामरिक-नुकसान में न बदल दिया होता.”
लाहौर तक पहुंच गई थी भारतीय सेना
अखनूर की आर्टिलरी ब्रिगेड में सैनिकों और पूर्व-फौजियों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि “इसी अखनूर में 1965 की बेहद अहम लड़ाई लड़ी गई थी. पाकिस्तान की फौज ने ‘ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम’ के नाम से जो नापाक कोशिश इस अखनूर में की थी उसे भारतीय सेना ने न केवल विफल किया बल्कि एक नया मोर्चा खोलकर और आगे बढ़ कर लाहौर तक पहुंचने में भी कामयाबी हासिल की थी.”