एयरबेस पर फाइटर जेट के लिए जरूरी उपकरण एक जगह से दूसरी जगह ले जाने हैं या मिलिट्री स्टेशन में हथियारों को सैनिकों तक पहुंचाना है या फिर हॉस्पिटल में किसी मेडिकल सैंपल को लैब तक पहुंचाना है, इसके लिए एक स्वदेशी कंपनी ने तैयार किया है खास रोबोट, जिसका नाम है ‘अश्वबोट’. अश्व यानी घोड़ा और बोट का मतलब है रोबोट.
राजस्थान के जोधपुर एयरबेस पर वायुसेना की तरंग-शक्ति एक्सरसाइज के दौरान आयोजित पहली इंडियन डिफेंस एंड एविएशन एक्सपो (‘आईडैक्स’ प्रदर्शनी) में एक स्वदेशी कंपनी ने इस खास ‘अश्वबोट’ को प्रदर्शित किया है. तरंग-शक्ति एक्सरसाइज में दुनियाभर की दो दर्जन से ज्यादा देशों की वायु सेनाओं ने हिस्सा लिया है. ऐसे में भारत के स्वदेशी रोबोट बनाने की क्षमताओं को पूरी दुनिया देख पाई है.
जोधपुर की डेफटेक एंड ग्रीनइंडिया प्राईवेट लिमिटेड (डीजीपीएल) कंपनी ने इस अश्वबोट को तैयार किया है. डीजीपीएल के जीएम (बिजनेस) विंग कमांडर अंशुल जैन (रिटायर) ने टीएएफ से खास बातचीत में बताया कि अश्वबोट दरअसल, ‘अनमैन्ड ग्राउंड व्हीकल ‘(जमीनी ड्रोन) है जो 100 किलो तक का वजन उठा सकता है.
कंपनी के मुताबिक, अश्वबोट की अधिकतम स्पीड सात किलोमीटर प्रति घंटा है और ये एक बार में 20 किलोमीटर तक जा सकता है.
हथियारों, सैन्य उपकरणों और सैनिकों के खाने-पानी का सामान को छोटी दूर तक ट्रांसपोर्ट की तरह कार्य करने के अलावा अश्वबोट को ऑटोनोमस सर्विलांस के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है. (https://x.com/neeraj_rajput/status/1834878546398921122?s=46)
विंग कमांडर जैन (रिटायर) के मुताबिक, अश्वबोट में रडार, एडवांस सेंसर और सात-सात थ्री-डी हाई रेजोलोशल कैमरा लगे हैं. इसके साथ ही एक टच-स्क्रीन भी है ताकि ऑपरेटर इस अश्वबोट से लगातार संपर्क में रहकर दिशा-निर्देश दे सके. ऐसे में अश्वबोट को ऑटोनोमस सर्विलांस और रनवे के निरीक्षण जैसे कार्यों के लिए उपयोग में लाया जा सकता है.
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