भारतीय सेना के जांबाजों के हाथ में जो घातक एके 203 राइफल देखी जाती हैं, वहीं राइफल केरल पुलिस के हाथों में नजर आएगी. केरल, देश का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जिसकी पुलिस रूस की मदद से तैयार की जा रही है स्वदेशी एके-203 राइफल इस्तेमाल करेगी. पीएम मोदी के रूस दौरे और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले रूस की मदद से बनाई गई घातक एके 203 की पहली खेप केरल पुलिस को मिलने वाली है.
सेना की राइफल इस्तेमाल करेगी केरल पुलिस
केरल पुलिस ने 250 एके-203 राइफल के लिए टेंडर जारी कर दिया है. इन राइफल की कुल कीमत 225 लाख है. अभी तक ये राइफल, भारतीय सेना ही इस्तेमाल करती है. केरल पुलिस मुख्यालय जारी द्वारा किए गए टेंडर में साफ तौर से एके-203 राइफल की मांग की है. भारत में ये राइफल, सरकारी उपक्रम एडवांस वेपन एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (पूर्व में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड यानी ओफएबी) और रूस की रोसोबोरोनएक्सपोर्ट (और कलाश्निकोव) कंपनी संयुक्त रूप से तैयार करती है.
मेक इन इंडिया का बड़ा उदाहरण है असॉल्ट राइफल
वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मेक इन इंडिया के तहत एके-203 असॉल्ट राइफल के निर्माण के लिए यूपी के कोरवा (अमेठी) में एक साझा प्लांट का उद्घाटन किया था. वर्ष 2021 में भारत और रूस ने कोरबा प्लांट में साढ़े सात लाख (7.50 लाख) से भी ज्यादा एके-203 राइफल के निर्माण के लिए 5000 करोड़ का करार किया था. लेकिन किसी ने किसी कारणों के चलते एके 203 राइफल के निर्माण में देरी हुई.
वर्ष 2020 में गलवान घाटी की झड़प और पूर्वी लद्दाख में चीन से शुरु हुए विवाद के चलते भारतीय सेना को आनन-फानन में अमेरिका से 72 हजार सिग-सोर राइफल्स की खेप का दो बार ऑर्डर भी देना पड़ा था. कोरबा प्लांट के उत्पादन में देरी के चलते वर्ष 2021 में भारतीय सेना को 70 हजार एके-203 राइफल भी सीधे रुस से ऑफ द सेल्फ खरीदने की खबर भी सामने आई थी. साल 2024 में एक बार फिर से राइफल निर्माण ने तेजी पकड़ी और सेना को राइफलों की खेप पहुंचाई गई.
बंगाल के सुकना में पहली बार दिखाई दी थी एके 203, रक्षामंत्री ने की थी शस्त्र पूजा
मेक इन इंडिया के तहत तैयार की गई एके-203 राइफल पहली बार पिछले साल विजयादशमी के मौके पर बंगाल के सुकना मिलिट्री स्टेशन पर दिखाई पड़ी. 7.62 x 39 एमएम कैलिबर की एके-203 राइफल एक मिनट में 700 राउंड फायर कर सकती है. इसकी रेंज 500-800 मीटर है और 3.8 किलो वजन के साथ इस राइफल को हल्का माना जाता है. हल्की लेकिन घातक होने के चलते सैनिकों को इस राइफल को इस्तेमाल करना आसान होता है. भारतीय सेना को पुरानी पड़ चुकी इंसास राइफल की रिप्लेसमेंट के लिए एके-203 राइफल की जरूरत है. निकट भविष्य में एके-203 ही भारत की मुख्य असॉल्ट राइफल बन जाएगी. क्योंकि भारतीय सेना सहित वायुसेना और नौसेना को साढ़े छह लाख असॉल्ट राइफल की जरुरत पड़ने जा रही है.