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लश्कर-हमास आतंकियों को ट्रंप प्रशासन में जगह, नीति से भटका अमेरिका?

क्या अमेरिका में ट्रंप प्रशासन आतंकवादियों और जिहादियों को महत्व देने लगा है. पहले अल शरा से मुलाकात और अब व्हाइट हाउस के एडवायजरी बोर्ड में 2 आतंकवादियों की एंट्री से अमेरिका की मंशा पर सवाल खड़े हो गए हैं.

अमेरिका ने व्हाइट हाउस के ले लीडर्स एडवाइजरी बोर्ड में जिन दो जिहादियों को शामिल किया है, उनमें से एक का संबंध लश्कर ए तैयबा से है. वो आतंकी कश्मीर समेत भारत में कई जगह पर आतंकी हमले का जिम्मेदार रहा है. लश्कर-ए-तैयबा को भारत में कई बड़े आतंकवादी हमलों, जैसे 2001 का संसद हमला और 2008 का मुंबई हमले के लिए जिम्मेदार माना जाता है. लश्कर के ही दूसरे संगठन टीआरएफ ने पहलगाम नरसंहार को अंजाम दिया है, जिसमें 26 लोग मारे गए थे.

व्हाइट हाउस के एडवाइजरी बोर्ड में लश्कर आतंकी इस्माइल रॉयर और शेख हमजा यूसुफ

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक नई समिति ले लीडर्स एडवायजरी बोर्ड की घोषणा की. इस बोर्ड के 2 विवादास्पद नाम को शामिल किया गया है. अमेरिका ने जिन दो इस्माइल रॉयर और शेख हमजा यूसुफ को जगह दी है, उन्हें विद्वान बताकर शामिल किया गया है, लेकिन सच्चाई ये है कि इनमें से एक लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठन से संबंधित है, जम्मू-कश्मीर समेत कई जगहों पर हुए आतंकी हमलों में शामिल रहा है. जबकि दूसरा नाम भी विवादित ही है. व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर दोनों जेहादियों की नियुक्ति की सूचना भी जारी की गई है. ले लीडर्स वाली ये समिति धार्मिक स्वतंत्रता और विश्वास आधारित नीतियों पर सलाह देने का काम करेगी.

लश्कर में ट्रेनिंग लेने वाले इस्माइल रॉयर के बारे में जानिए, जिस पर ट्रंप ने जताया विश्वास

कहने को तो इस्माइल रॉयर अमेरिकी नागरिक है, उस पर 1990 के दशक के अंत और 2000 की शुरुआत में कट्टरपंथी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है. कट्टरपंथ इतना हावी था कि रॉयर ने अपना नाम बदलकर इस्माइल रख लिया था. साल 2000 में इस्माइल रॉयर पाकिस्तान गया, जहां लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर में ट्रेनिंग ली. रॉयर पर कश्मीर में भारतीय सेना के ठिकानों पर हुए आतंकवादी हमलों में शामिल होने का आरोप है. पाकिस्तान से वापस लौटकर रॉयर वर्जीनिया आया, तो साथी मुसलमानों के साथ जंगल में पेंटबॉल  शूटिंग स्पोर्ट) खेलना शुरू किया और उन्हें आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने लगा. 

अमेरिकी सेना का कट्टर विरोधी,9/11 में आया नाम

साल 2001 में 9/11 हमले के बाद, रॉयर वर्जीनिया जिहाद नेटवर्क में एक प्रमुख व्यक्ति था, जो पेंटबॉल ट्रेनिंग का आयोजन करता था और हथियारों के प्रशिक्षण के लिए लश्कर कैम्पों की यात्रा की सुविधा प्रदान करता था. साल 2003 में रॉयर को अमेरिका में आतंकवाद से जुड़े अपराधों में दोषी पाया गया, रॉयर को 20 साल की सजा सुनाई गई थी. रॉयर 13 साल तक जेल में रहा. जेल से निकलने के बाद रॉयर ने खुद को सुधरा हुआ बताया और सेंटर फॉर इस्लाम एंड रिलीजियस फ्रीडम में निदेशक के तौर पर काम करने लगा. 

हमास और ब्रदरहुड से जुड़ा है जिहादी हमजा यूसुफ

अमेरिका हमजा यूसुफ की छवि एक उदारवादी मुस्लिम चिंतक के रूप में पेश करता है, लेकिन वो विवादित चेहरा है. शेख हमजा यूसुफ कैलिफोर्निया में जैतुना कॉलेज का सह-संस्थापक है और इस्लामी आतंकवादी भी रह चुका है.  शेख हमजा यूसुफ हमास और मुस्लिम ब्रदरहुड दोनों से जुड़ा है. 9/11 से दो दिन पहले, यूसुफ ने जमील अल-अमीन के लिए एक फंडरेजर इवेंट में भाषण दिया था. जमील अल-अमीन पर एक पुलिस अधिकारी की हत्या का मुकदमा चल रहा था.  अगर उसकी पुरानी टिप्पणियों पर गौर किया जाए तो अमेरिका की विदेश नीति पर हमला बोलता रहा है. शेख हमजा यूसुफ से अलकायदा द्वारा किए गए 9/11 हमलों के बाद एफबीआई ने पूछताछ की थी. बावजूद इसके ट्रंप प्रशासन शेख हमजा को विद्वान बताया है और अपने समिति में शामिल किया गया है.    

आतंकी अल शरा से ट्रंप ने की मुलाकात, सीरिया से प्रतिबंध हटाए

इसी सप्ताह सऊदी अरब के दौरे पर गए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया के मौजूदा राष्ट्रपति जो अमेरिका में आतंकी के तौर पर दर्ज हैं, उस अल शरा से मुलाकात की. अल शरा के सिर पर खुद अमेरिका ने इनाम घोषित किया था, क्योंकि उसके संबंध अलकायदा से थे. ट्रंप के अल शरा से मुलाकात को लेकर तमाम सवाल खड़े हुए, दुनिया के कई देशों ने दबी जुबान से इसकी निंदा की. कईयों ने यहां तक कह डाला कि ट्रंप व्यापार के चक्कर में इतने अंधे हो चुके हैं, कि उन्हें सही और गलत का पता नहीं चल रहा और आतंकवादियों का साथ देने लगे हैं.

विरोधियों ने ट्रंप को घेरा, बताया राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ 

दो जिहादी और कट्टरपंथी लोगों को समिति में शामिल होने पर विरोधियों ने ट्रंप को घेरा है. कहा कि पूर्व जिहादियों को व्हाइट हाउस स्तर की सलाहकार भूमिका देना “राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी” हो सकता है. वहीं विरोध बढ़ने पर ट्रंप प्रशासन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह समिति “धार्मिक स्वतंत्रता को मजबूत करने” और “समुदायों के बीच संवाद” को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है, इस्माइल रॉयर और यूसुफ जैसे व्यक्तियों की नियुक्ति यह दर्शाती है कि भटके हुए लोग भी समाज की भलाई का काम कर सकते हैं. ट्रंप सरकार अपनी सफाई में कुछ भी कहे, लेकिन हालिया घटनाओं को देखा जाए तो ट्रंप प्रशासन की नीति आतंकवाद को लेकर सवालों के घेरे में घिर गई है. 

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