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West को चिढ़ाने आ गया BRICS समिट, रूस में 24 राष्ट्राध्यक्षों का जमावड़ा

अगले हफ्ते रूस के कज़ान में होने जा रहे ब्रिक्स-2024 सम्मेलन में 24 देशों के राष्ट्राध्यक्ष हिस्सा लेने जा रहे हैं. इनमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शामिल हैं.

इसी महीने की 22-24 अक्टूबर के बीच होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में तुर्की और मलेशिया भी हिस्सा बनने जा रहे हैं. तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन और मलेशिया के राष्ट्रपति अनवर इब्राहिम भी समिट में शिरकत करेंगे.

ब्रिक्स से जुड़े रूसी अधिकारियों के मुताबिक, जिन देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने कजान में आने के लिए सहमति दे चुके हैं, उनमें ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, यूएई, ईरान, अर्मेनिया और बेलारूस भी शामिल हैं.

हाल ही में यूरोप के दौरे पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि क्योंकि जी-7 समूह में किसी दूसरे देश को शामिल नहीं करने दिया जाता है, ऐसे में भारत, चीन, रूस और ब्राजील जैसे विकासशील देशों ने ब्रिक्स समूह का गठन किया है.

जयशंकर ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि “मैं हैरान हूं कि ग्लोबल (नॉर्थ) ब्रिक्स को लेकर पश्चिमी देश असुरक्षित महसूस करते हैं.”

दरअसल, जयशंकर से सवाल किया गया था कि जब जी-20 जैसा वैश्विक मंच है तो फिर ब्रिक्स की क्या जरूरत है. ऐसे में विदेश मंत्री ने कहा कि जब जी-7 हो सकता है तो फिर ब्रिक्स क्यों नहीं. जयशंकर ने कहा कि विकसित देशों ने जी-7 समूह में अन्य देशों को शामिल नहीं किया. ऐसे में ब्रिक्स को खड़ा करना पड़ा.

वर्ष 2006 में स्थापित ब्रिक्स समूह में भारत, रूस, चीन और ब्राजील संस्थापक सदस्य हैं, जबकि दक्षिण अफ्रीका वर्ष 2010 में हिस्सा बना था. समूह को विकसित देशों के जी-7 का ‘प्रतिद्वंदी’ माना जाता है.

हाल ही में ईरान, इथोपिया, मिस्र और यूएई भी ब्रिक्स का हिस्सा बन गए हैं. तुर्की (तुर्किए) ने भी ब्रिक्स का हिस्सा बनने के लिए आवेदन किया है. तुर्की पहला नाटो देश है जो ब्रिक्स में शामिल होना चाहता है. इसके अलावा मलेशिया और सऊदी अरब सहित करीब दो दर्जन इस समूह का हिस्सा बनना चाहते हैं.

ब्रिक्स का आखिरी सम्मेलन वर्ष 2023 में साउथ अफ्रीका में हुआ था. लेकिन इस सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हिस्सा नहीं लिया था. क्योंकि पुतिन के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) का अरेस्ट वारंट था. आईसीसी का सदस्य देश होने के चलते साउथ अफ्रीका अंतरराष्ट्रीय नियमों से बंधा है.

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