दुनिया की बड़ी एविएशन कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने वायुसेना के सी-130 जे ‘सुपर हरक्युलिस’ एयरक्राफ्ट के लिए देश में पहली एमआरओ फैसिलिटी स्थापित करने का ऐलान किया है. इसके लिए अमेरिका की लॉकहीड मार्टिन ने टाटा से हाथ मिलाया है.
सी-130 जे की मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल (एमआरओ) के साथ साथ लॉकहीड और टाटा ने वायुसेना के आगामी मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट (एमटीए) प्रोग्राम के लिए भी करार किया है. वायुसेना को 80 एमटीए एयरक्राफ्ट की जरूरत है जिसके लिए रक्षा मंत्रालय ने टेंडर प्रक्रिया के तहत आरएफआई (रिक्वेस्ट फॉर इनफार्मेशन) जारी कर दी है.
भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल मीडियम लिफ्ट मिलिट्री ट्रांसपोर्ट सी-130 जे के 12 एयरक्राफ्ट हैं. ऐसे में टाटा एडवांस सिस्टम के साथ अब लॉकहीड मार्टिन ने उनकी मेंटेनेंस और ओवरहॉल के लिए भारत में एक नई फैसिलिटी बनाने जा रहा है. ये देश की पहली विदेशी एमआरओ फैसिलिटी होने जा रही है.
भारतीय वायुसेना को इसी कैटेगरी के 80 अतिरिक्त एयरक्राफ्ट की जरूरत है. ऐसे में लॉकहीड मार्टिन ने घोषणा की है कि अगर उसे वायुसेना का एमटीए प्रोजेक्ट मिलता है तो उसका निर्माण और असेंबली भारत में ही टाटा के साथ की जाएगी. इस प्रोजेक्ट के लिए भी लॉकहीड ने सी-130 एयरक्राफ्ट ही ऑफर का किया है.
लॉकहीड मार्टिन ने मंगलवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि अगर भारत और अमेरिका की सरकार से सी-130जे का प्लांट लगाने की अनुमति मिलती है तो यहां दुनिया के दूसरे देशों के लिए भी एयरक्राफ्ट का निर्माण किया जाएगा.
गौरतलब है कि हाल ही में लॉकहीड मार्टिन के सीईओ जिम टासलेट ने भारत का दौरा किया था तो खासतौर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर डिफेंस और एविएशन के क्षेत्र में मेक इन इंडिया को मजबूत करने पर बात की थी.
हालांकि, लॉकहीड ने अपने बयान में ये भी कहा कि अमेरिका स्थित मारियेटा (जॉर्जिया) में सी-130जे का निर्माण चलता रहेगा. कंपनी के मुताबिक, भारत और अमेरिका सहित दुनियाभर के करीब दो दर्जन देश सी-130 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल करती है.
वर्ष 2022 में टाटा कंपनी ने यूरोप की एयरबस कंपनी के साथ मिलकर गुजरात के वडोदरा में सी-295 एयरक्राफ्ट के साझा निर्माण के लिए भी प्लांट स्थापित किया था.
सी-130जे की खूबियां
सुपर-हरक्यूलिस का इस्तेमाल, सामरिक एयरलिफ्ट मिशनों और मानवीय सहायता के लिए किया जाता है. 90 के दशक के आखिरी वर्षों से इस्तेमाल किए जा रहा सी-130जे चार इंजन वाला टर्बोप्रॉप एयरक्राफ्ट है. करीब 20 टन वजन उठाने वाले सी-130जे में करीब 90 सैनिक उड़ान भर सकते हैं (60 एयरबोर्न ट्रूप).
भारतीय वायुसेना कैसे करती है इस्तेमाल
भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल 12 सी-130जे सुपर-हरक्यूलिस विमान हैं, जिनका इस्तेमाल स्पेशल फोर्सेज के पैरा-ड्रॉप, सैन्य उपकरणों की आवाजाही और सैनिकों के मोबिलाइजेशन के लिए किया जाता है.
सी-130 जे पूरी दुनिया में उस वक्त सुर्खियों में आए जब वर्ष 2013 में भारतीय वायुसेना ने पूर्वी लद्दाख में दुनिया की सबसे ऊंची हवाई पट्टी दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) में उतारकर कीर्तिमान रचा था. ये बेहद ही छोटी और कच्ची हवाई पट्टी थी. उस दौरान भारत का डीबीओ के करीब चीन से फेस-ऑफ हुआ था.
इसी साल जनवरी के महीने में भारतीय वायुसेना ने कारगिल हवाई पट्टी पर अपने सी-130 जे विमान की रात्रि लैंडिंग कर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया था. यह अभ्यास गरुड़ कमांडो के प्रशिक्षण का हिस्सा था और विभिन्न वातावरणों में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए विकसित रणनीतियों के प्रति बल के समर्पण को दर्शाता था.