केमिकल, बायोलॉजिकल रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर (सीबीआरएन) युद्ध से लड़ने के लिए भारतीय सेना ने एलएंडटी कंपनी से 223 खास उपकरण खरीदने का करार किया है. ऑटोमेटिक केमिकल एजेंट डिटेक्शन एंड अलार्म (एसीएडीए) नाम के इस उपकरण का इस्तेमाल वातावरण में सीबीआरएन एजेंट पता करने में लगाया जाएगा. एलएंडटी कंपनी ने एसीएडीए को डीआरडीओ की मदद से तैयार किया है.
भारतीय सेना ने बाय-इंडिया कैटेगरी यानी स्वदेश में ही डिजाइन, विकसित और निर्मित (आईडीडीएम) श्रेणी के अंतर्गत 80.43 करोड़ रुपये की लागत से 223 स्वचालित रासायनिक एजेंट पहचान और चेतावनी (एसीएडीए) प्रणाली के क्रय के एलएंडटी के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं. इससे भारत सरकार के आत्मनिर्भरता अभियान को काफी बढ़ावा मिलेगा क्योंकि उपकरणों के 80% से अधिक घटकों और उप-प्रणालियों की खरीद स्थानीय स्तर पर ही की जाएगी.
डीआरडीओ ने की सीबीआरएन उपकरण बनाने में मदद
एसीएडीए प्रणाली को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, ग्वालियर ने डिजाइन और विकसित किया है. ये उपकरण, सीबीआरएन यानी केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर विकिरण वाले पदार्थों और आणविक हमलों से सुरक्षा के लिए तैयार किया गया है. स्वदेशी उपकरणों के उपयोग के लिए राष्ट्र की पहल की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. (https://x.com/adgpi/status/1894379000790712688)
वातावरण में मौजूद सीबीआरएन एजेंट करता है पता
भारतीय सेना के मुताबिक, एसीएडीए प्रणाली का उपयोग पर्यावरण से वायु का नमूना लेकर रासायनिक युद्ध के लिए उपयोग में लाए जाने वाले एजेंटों (सीडब्ल्यूए) और उसके लिए तैयार किए गए विषैले औद्योगिक रसायनों (टीआईसी) का पता लगाने में किया जाता है. यह आयन मोबिलिटी स्पेक्ट्रोमेट्री (आईएमएस) के सिद्धांत पर काम करता है और इसमें हानिकारक एवं विषैले पदार्थों का निरंतर पता लगाने तथा साथ ही साथ निगरानी के लिए दो अत्यधिक संवेदनशील आयन मोबिलिटी स्पेक्ट्रोमेट्री (आईएमएस) सेल होते हैं.
फील्ड यूनिट में की जाएगी तैनात
फील्ड यूनिटों में एसीएडीए प्रणाली को शामिल करने से सीबीआरएन-क्षेत्र में भारतीय सेना की रक्षात्मक क्षमता में काफी वृद्धि होगी. साथ ही, शांति काल में, विशेष रूप से औद्योगिक दुर्घटनाओं से संबंधित आपदा राहत से जुड़ी परिस्थितियों में प्रतिक्रिया के लिए भी इनका उपयोग किया जा सकेगा.