यूरोप में रूस के बढ़ते खतरे और दुनिया में चल रहे संघर्षों को देखते हुए फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी भारत जैसी अग्निपथ योजना को लाने की घोषणा करने वाले हैं.
माना जा रहा है कि मैक्रों इस हफ्ते दक्षिण-पूर्वी फ्रांस में एक इन्फैंट्री ब्रिगेड के दौरे के दौरान इस योजना की औपचारिक घोषणा करेंगे. फ्रांस में करीब 27 साल बाद स्वैच्छिक सैन्य सेवा की वापसी होने वाली है. इस योजना के तहत हर साल 50 हजार युवाओं को सैन्य ट्रेनिंग दी जाएगी.
फ्रांस की नेशनल स्ट्रैटेजिक रिव्यू 2025 ने ये आशंका जताई थी कि आने वाले वर्षों में यूरोप के आसपास युद्ध, हाइब्रिड हमले, साइबर हमलों और आतंकी गतिविधियों की आशंका बढ़ सकती है. ऐसे में देश को और मजबूत होना होगा.
यूरोप की ओर बढ़ा खतरा, मैक्रों ला रहे अग्निवीर जैसी योजना
रूस-यूक्रेन में जंग नहीं खत्म होती दिख रही. वहीं रूस ने फ्रांस-ब्रिटेन जैसे नाटो और यूरोपीय देशों पर दबाव भी बना रखा है. ऐसे में फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों को लगता है कि उनके देश में भी युवाओं को ट्रेनिंग देकर सेना में भर्ती करने का मौका देना चाहिए. ताकि भविष्य में फ्रांस को सैन्यकर्मियों की कमी से न जूझना पड़े.
बताया जा रहा है कि मैक्रों सरकार ने फ्रांस की वॉलेंटरी मिलिट्री सर्विस यानी वीएमएस लाने वाली है, जिसके तहत हर साल 50,000 युवाओं को सैन्य प्रशिक्षण दिया जाएगा. योजना के पहले चरण में 2,000 से 3,000 युवाओं को शामिल किया जाएगा. आगे चलकर यह संख्या बढ़ाकर 50,000 प्रति वर्ष की जाएगी. यह सेवा पूरी तरह वैकल्पिक होगी, अनिवार्य नहीं.
फ्रांस की ये योजना भारत की अग्निपथ योजना जैसी है. भारत की अग्निपथ योजना में युवाओं को 4 साल की अल्पकालिक सेवा प्रदान की जाती है. वहीं फ्रांस में प्रस्तावित योजना की अवधि लगभग 10 महीने हो सकती है. 10 महीने की इस सैन्य सेवा के लिए वॉलंटियर्स को लगभग 10,000 यूरो (करीब 9 लाख रू) तक का भुगतान किया जाएगा. यह योजना रूस के बढ़ते खतरे का सामना करने के लिए युवाओं की क्षमता, अनुशासन और सैन्य तैयारी बढ़ाने पर केंद्रित होगा.
फ्रांस के सेना प्रमुख कहा था यूरोप को रहना होगा तैयार, 2030 तक बढ़ेगा टकराव
फ्रांस के सेना प्रमुख जनरल फैबियन मांडन ने हाल ही में कहा था कि “देश को अपने बच्चों को खोने के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि रूस यूरोप के साथ एक बड़े टकराव की तैयारी कर रहा है जो 2030 तक संभव है.”
जनरल के इस बयान को फ्रांस में इस तरह से लिया गया कि शायद फ्रांस के लोग रूस के खिलाफ यूक्रेन की ओर से जंग लड़ने के लिए तैयार किए जाएंगे. लेकिन राष्ट्रपति मैक्रों ने इसे तुरंत खारिज करते हुए कहा कि “हमें यह गलतफहमी दूर करनी होगी. हम अपने युवाओं को यूक्रेन भेजने नहीं जा रहे. खुद अपने देश को तैयार और मजबूती देने के लिए युवाओं की ट्रेनिंग की जाएगी.”

