आत्मनिर्भर भारत के बाद प्रधानमंत्री मोदी का ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ का सपना साकार होने लगा है. मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तरी अफ्रीकी देश मोरक्को में टाटा कंपनी के पहले मिलिट्री व्हीकल प्लांट का उद्घाटन किया. ये भारत का किसी दूसरे देश में पहला हथियारों का प्लांट है.
उद्धाटन समारोह को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने साफ तौर से कहा कि भारत के लिए आत्मनिर्भरता का अर्थ अलगाव नहीं बल्कि ऐसी सामरिक-स्वतंत्रता विकसित करना है, जिससे अपने राष्ट्र की स्वतंत्र रूप से रक्षा कर सकें और साथ ही ग्लोब पार्टनर्स के साथ जुड़ाव भी बनाए रखें.
मोरक्को के कैसाब्लांका में आर्मर्ड कॉम्बैट व्हीकल्स का प्लांट
मोरक्को के कैसाब्लांका में टाटा एडवांस सिस्टम लिमिटेड (टीएएसएल) की डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी की स्थापना को वास्तव में एक ‘ऐतिहासिक क्षण’ बताते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि ये महज (टाटा) कंपनी के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे इंडियन डिफेंस इंडस्ट्री के लिए एक ‘उल्लेखनीय कदम है’. टीएएसएल, टाटा संस की सब्सिडरी कंपनी है. समारोह के दौरान, मोरक्को के रक्षा मंत्री अब्देलतीफ लौदियी भी मौजूद थे.
करीब 20 हजार स्क्वायर मीटर में फैली ये फैसिलिटी एडवांस आर्मर्ड कॉम्बैट व्हीकल्स का निर्माण करेगी, जिसे व्हैप (डब्लूएचएपी) के नाम से भी जाना जाता है. व्हैप व्हीकल को टाटा ने डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के साथ मिलकर तैयार किया है. करीब 26 टन की इन मिलिट्री व्हीकल में ड्राइवर और कमांडर सहित कुल 12 सैनिक बैठ सकते हैं. सीमावर्ती और दूर-दराज के उबड़ खाबड़ इलाकों में सैनिक इन गाड़ियों में बेहद तेजी से मूवमेंट कर सकते हैं.
खास बात ये है कि व्हैप एक एम्फीबियस व्हीकल है जो नदी-नालों को भी आसानी से पार कर सकती है. रेगिस्तान में भी इन गाड़ियों का इस्तेमाल किया जा सकता है. मोरक्को में इस्तेमाल होने के चलते इन व्हैप व्हीकल्स को अफ्रीका के रेगिस्तान में कड़े परीक्षणों से गुजरना पड़ा है.
इन बख्तरबंद गाड़ियों पर गोली या फिर गोला बारूद का असर नहीं होता है. व्हैप में 30-40 एमएम की गन लगी हैं और एटीजीएम यानी एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल से लैस किया जा सकता है. ट्रूप कमांडर खास टरेट के जरिए व्हीकल की छत से दुश्मन पर फायरिंग कर सकता है.
ग्लोबल मार्केट के लिए ब्रिज बनेगा कैसाब्लांका प्लांट
उद्घाटन में बोलते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि यह प्लांट इस क्षेत्र और ग्लोबल मार्केट के बीच एक ब्रिज भी है. क्योंकि मोरक्को को गेटवे टू अफ्रीका और यूरोप, मिडिल ईस्ट और अटलांटिक महासागर के बीच एक स्वाभाविक कड़ी के रूप में पहचाना जाता है. रक्षा मंत्री ने कहा कि दूसरी तरफ भारत अपनी बढ़ती हुई औद्योगिक और प्रौद्योगिकी बेस के साथ आज एक उभरता हुआ हब ऑफ इनोवेशन और ग्लोबल साउथ का एक विश्वसनीय साझेदार बनकर उभरा है।. इसलिए यह प्लांट, दोनों ही देशों के लिए फायदेमंद होगा.
मेक विद फ्रेंड्स का विजन है टाटा प्लांट
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत मेक इन इंडिया के साथ हम मेक विद फ्रेंड्स के ऊपर भी काम कर रहे हैं, जिसके अंतर्गत विश्वसनीय साझेदारों के साथ मिलकर हम कटिंग-एज टेक्नोलॉजी का विकास और उत्पादन करेंगे और अंततः मेक फॉर द वर्ल्ड के अंतर्गत हमारे इनोवेशन का लाभ पूरी दुनिया के साथ साझा हो पाएगा.
सितंबर 2024 में मोरक्को के रक्षा मंत्रालय ने टीएएसएल से व्हैप बख्तरबंद गाड़ियों को बनाने का करार किया था. व्हैप व्हीकल को टाटा ने डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के साथ मिलकर तैयार किया है.
भारतीय सेना और सीआरपीएफ भी करती है व्हैप का इस्तेमाल
भारतीय सेना इन व्हैप गाड़ियों को पहले से ही चीन सीमा से सटे पूर्वी लद्दाख में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर सैनिकों के मूवमेंट के लिए इस्तेमाल करती है. इसके अलावा सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) भी जम्मू कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ इन विशेष गाड़ियों का इस्तेमाल कर रही है.
करार के मुताबिक, 18 महीने के भीतर टीएएसएल प्लांट से गाड़ियों का निर्माण शुरु होना था लेकिन कंपनी ने तीन महीने पहले ही उत्पादन शुरु कर दिया है.. इस प्लांट से हर साल 100 व्हैप गाड़ियों का निर्माण हो सकता है. उसके बाद माना जा रहा है कि प्लांट से अफ्रीका के दूसरे देशों को ये गाड़ियों एक्सपोर्ट की जाएगी.
राजनाथ सिंह इन दिनों दो दिवसीय दौरे पर मोरक्को में 22-23 सितंबर) हैं. यह भारतीय रक्षा मंत्री की उत्तरी अफ्रीकी देश की पहली यात्रा है, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते रणनीतिक सहयोग को रेखांकित करती है.