रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया को अब नई उड़ान मिल चुकी है. भारत में हथियारों के उत्पादन को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है और भारत की ब्रह्मोस और आकाश एयर डिफेंस सिस्टम समेत कई विस्फोटकों के निर्यात की डिमांड बढ़ती जा रही है. यही कारण है कि भारत में साल 2023-2024 में हथियारों के उत्पादन का मूल्य 1,26,887 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो पिछले वित्तीय वर्ष के उत्पादन मूल्य से 16.8% अधिक है.
भारत के रक्षा उत्पादन बढ़ने से उत्साहित हुए रक्षा मंत्री
पिछले 10 सालों में जबसे मोदी सरकार सत्ता में आई है, मेक इन इंडिया के तहत रक्षा उत्पादन को नई गति मिली है. भारत अपने रक्षा उत्पादन को बढ़ाने का काम कर रहा है. आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण पर जोर दिया जा रहा है. अब जो आंकड़े आए हैं वो उत्साहित करने वाले हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक्स पोस्ट में कंपनियों को बधाई देते हुए लिखा है कि ” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मेक इन इंडिया कार्यक्रम साल दर साल नई उपलब्धियाँ हासिल कर रहा है. भारत ने 2023-24 में रक्षा उत्पादन के मूल्य में अब तक की सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की है. साल 2023-24 में उत्पादन का मूल्य 1,26,887 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है, जो पिछले वित्तीय वर्ष के उत्पादन मूल्य से 16.8% अधिक है.”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आगे लिखा, “रक्षा उत्पाद बनाने वाली कम्पनियों, सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों और निजी उद्योग सहित हमारे उद्योग को बहुत-बहुत बधाई. सरकार भारत को अग्रणी वैश्विक रक्षा विनिर्माण केन्द्र के रूप में विकसित करने के लिए अधिक अनुकूल व्यवस्था बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.”
दूसरे देशों पर कम हुई भारत की निर्भरता
पिछले कुछ वर्षों में भारत के रक्षा क्षेत्र को एडवांस बनाने और उसका विस्तार करने के लिए कई कदम उठाए हैं. भारत के रक्षा औद्योगिक आधार को मजबूत करने और विदेशी आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए निवेशों पर जोर दिया गया है. ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहल से स्वदेशी रक्षा निर्माण को गति मिली. पिछले 10 वर्षों में भारत के रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है. भारत में रक्षा विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) को बढ़ावा दिया गया है जिसके बाद भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बन रहा है. साल 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद रक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव आया है. मोदी सरकार ने निवेश को सुविधाजनक बनाने, न्यू आइडिया को बढ़ावा देने, कौशल विकास को बढ़ाने और रक्षा के मैन्युफैक्चरिंग बुनियादी ढांचे को मजबूत किया गया है.
रक्षा क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियों की भी बढ़ी भागीदारी
‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत रक्षा क्षेत्र में कई सुधार शुरू किए गए हैं, जिसका वैश्विक असर भी दिखना शुरु हो गया है. पिछले कुछ साल में भारत की रक्षा खरीद नीतियों में बदलाव, जैसे कि रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी) और रणनीतिक भागीदारी मॉडल की शुरुआत हुई है, जिसकी वजह से सार्वजनिक और निजी क्षेत्र (प्राइवेट कंपनियों) की भागीदारी भी बढ़ी है. जिनमें अडानी एयरो डिफेंस सिस्टम्स एंड टेक्नोलॉजीज लिमिटेड. हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) समेत कई कंपनियां अहम हैं. जिनके रक्षा उत्पादों की डिमांड बढ़ी है. देश ने मिसाइल प्रौद्योगिकी, नौसेना जहाज निर्माण और विमान निर्माण जैसे क्षेत्रों में जबर्दस्त विकास किया है. इसके अलावा रिसर्च पर भी जोर दिया गया है. जिसमें रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) जैसे संस्थानों की अहम भूमिका है.