By Akansha Singhal
बिहार और झारखंड में उगाही के पैसों को माओवादी अब डॉक्टर बनाने में इस्तेमाल कर रहे हैं. माओवादी (नक्सल) उगाही के पैसों को अपने रिश्तेदारों की एमबीबीएस की फीस देने में इस्तेमाल कर रहे हैं. इस बात का खुलासा एनआईए ने किया है.
नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) के मुताबिक, सीपीआई (माओवादी) के मगध जोन में आतंकवाद (नक्सलवाद) से अर्जित एक करोड़ से ज्यादा (1.14 करोड़) की रकम जब्त की गई है. एनआईए की जांच में खुलासा हुआ कि माओवादियों के सीनियर कमांडर के रिश्तेदार को तमिलनाडु के चेन्नई स्थित मेडिकल कॉलेज के बैंक खाते में सीधे पैसा भेजा गया था. यह धनराशि ऋण की आड़ में आरोपी व्यक्तियों के करीबी रिश्तेदारों के बैंक खातों में हस्तांतरित की गई थी.
इस धनराशि का लाभार्थी प्रद्युम्न शर्मा है, जो सीपीआई (माओवादी) की स्पेशल एरिया कमेटी का सदस्य है. इस पैसे का इस्तेमाल प्रद्युम्न की भतीजी और एक दूसरे माओवादी अभिनव उर्फ गौरव की बहन की पढ़ाई के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था.
एनआईए के मुताबिक, एमबीपीएस की इस पढ़ाई का पैसा, बिहार और झारखंड में कार्यरत ठेकेदारों इत्यादि से ऐंठा गया है. बिहार और झारखंड में फिलहाल नक्सलवाद पर बहुत हद तक काबू पा लिया गया है लेकिन अंडरग्राउंड तरीके से नक्सली अभी भी जंगलों में सक्रिय हैं. ऐसे में ये नक्सली जंगलों में सड़क कॉन्ट्रेक्टर इत्यादि से उगाही करते हैं.
जांच में सामने आया है कि उगाही के पैसे को माओवादियों ने लोन के तौर पर बैंक में दिखाया था. इस बाबत पिछले साल जनवरी (2023) में एनआईए ने झारखंड के रांची स्थित विशेष न्यायालय में आईपीसी और यूएपीए अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दो आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था. एनआईए ने आधिकारिक बयान जारी कर बताया कि इस मामले में आतंकवाद की आय के तहत कार्रवाई की गई है