म्यांमार में पिछले सप्ताह आए भयंकर भूकंप में अब तक 3000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, तो सैकड़ों लापता है. देश में आपदा की स्थिति देखते हुए सत्तारूढ़ मिलिट्री (जुंटा) सरकार ने 22 अप्रैल तक विद्रोहियों के खिलाफ अस्थायी संघर्ष विराम की घोषणा की है. पिछले कई महीने से म्यांमार के रखाइन और चिन सहित कई प्रांतों में गृह युद्ध जैसे हालात बने हुए थे.
28 मार्च को आए भूकंप से पहले तक हालांकि, विद्रोहियों ने कई म्यांमार के कई प्रांतों पर पूरी तरह कब्जा कर लिया था. जुंटा की ओर से जारी एक बयान में यह घोषणा सैन्य शासन का विरोध करने वाले सशस्त्र विद्रोही समूहों द्वारा घोषित एकतरफा अस्थायी युद्धविराम के बाद की गई है. अस्थायी युद्धविराम की घोषणा ऐसे वक्त में की गई है जब संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने जुंटा सरकार से हवाई हमले रोकने को लेकर चेतावनी जारी की थी.
जुंटा सरकार ने की विद्रोहियों ने हमले बंद करने की अपील
भूकंप के बाद उजड़ चुके म्यांमार में राहत-बचाव कार्य जारी है. मलबों में लगातार शवों को निकाला जा रहा है. बुधवार को औपचारिक बयान में सत्तारूढ़ जुंटा सरकार ने कहा म्यांमार में जातीय सशस्त्र समूहों और स्थानीय विद्रोहियों को राज्य सुरक्षा बलों और सैन्य ठिकानों पर हमला करने से बचना चाहिए, तथा संगठित नहीं होना चाहिए, सेना को इकट्ठा नहीं करना चाहिए या क्षेत्र का विस्तार नहीं करना चाहिए. जुंटा सरकार ने सशस्त्र बलों से अपील की है कि वह भी हमले बंद कर दें और सेना को जवाबी कार्रवाई के लिए मजबूर नहीं करें. अगर विद्रोही इन शर्तों का पालन नहीं करते हैं तो सेना आवश्यक कदम उठाएगी.
भूकंप आपदा में मिल सकता है अराकान आर्मी को फायदा
पिछले कुछ महीनों से म्यांमार में गृहयुद्ध तेजी से आक्रामक हुआ है. विद्रोही गुट अराकान आर्मी का म्यांमार में कई जगहों पर कब्जा कर रखा है. अब जब म्यांमार प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है तो अराकार आर्मी के पास मौका है कि वो जुंटा सरकार को गिरा सकती है. सड़कें टूटी हुई है, कई जगहों पर रास्ते कट चुके हैं, जुंटा सरकार जब आपदा में विदेशी मदद से म्यांमार को पटरी पर लाने की कोशिश कर रही है, तो ऐसी स्थिति में विद्रोही गुट स्थानीय लोगों के साथ मिलकर जुंटा सरकार की जड़ें और कमजोर कर सकती है.
म्यांमार में कौन-कौन से देश कर रहे हैं मदद?
प्राकृतिक आपदा झेल रहे म्यांमार की जुंटा सरकार ने अंतरराष्ट्रीय सहायता की अपील की है. अमेरिका, यूरोपीय संघ, चीन, रूस, भारत, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राष्ट्र ने मानवीय सहायता भेजना शुरू भी कर दिया है. विदेशी मदद के बाद राहत-बचाव कार्य में तेजी है. भारत ने एनडीआरएफ की टीम के साथ ही नौसेना के चार जहाज में राशन, खाने पीने की जरूरी वस्तुएं, दवाइयां और टेंट आदि भरकर भेजे हैं. भारत ने म्यांमार में राहत और बचाव कार्य के लिए मिशन को ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ नाम दिया है.