भारतीय नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल होने के लिए तैयार स्कॉर्पीन क्लास की छठी (आखिरी) पनडुब्बी वाघशीर को माझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड (एमडीएल) को सौंप दिया है. 15 जनवरी को वाघशीर को सूरत और नीलगिरी युद्धपोतों के साथ नौसेना में शामिल किया जाएगा. एमडीएल ने वाघशीर की ताकत के बारे में जानकारी साझा की है.
एमडीएल के मुताबिक, स्कॉर्पीन क्लास की बाकी पांचों पनडुब्बियों से वाघशीर सबसे उन्नत और घातक है. क्योंकि स्कॉर्पीन में इस्तेमाल की गई अत्याधुनिक तकनीक ने बेहतरीन स्टील्थ विशेषताओं, जैसे उन्नत ध्वनिक अवशोषण तकनीक, कम विकिरण शोर स्तर और हाइड्रो-डायनामिक रूप से अनुकूलित आकार सहित सटीक निर्देशित हथियारों का उपयोग करके दुश्मन पर एक भयावह हमला करने की क्षमता सुनिश्चित की है.
खास बात ये है कि वाघशीर को स्वदेशी रूकमणी सैटेलाइट (कू बैंड सैटकॉम) से जोड़ा गया है ताकि समंदर से कई सौ मीटर नीचे भी कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से कम्युनिकेशन बना रहे.
स्टील्थ पनडुब्बी की खासयित
एमडीएल के मुताबिक, हमला पानी के नीचे या सतह पर, दोनों टॉरपीडो और ट्यूब लॉन्च की गई एंटी-शिप मिसाइलों के साथ किया जा सकता है. शक्तिशाली प्लेटफ़ॉर्म की स्टील्थ को उसके विशिष्ट जलमग्न संकेतों पर दिए गए विशेष ध्यान से बढ़ाया जाता है. ये स्टील्थ विशेषताएं, वाघशीर क ऐसी अजेयता प्रदान करती हैं, जो अधिकांश पनडुब्बियों से बेजोड़ है.
नौसेना के मुताबिक, प्रोजेक्ट 75 के तहत वाघशीर दुनिया की सबसे साइलेंट डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों में से एक है.
वाघशीर बहुआयामी मिशन को अंजाम दे सकती है, जैसे एंटी-सरफेस वारफेयर, एंटी-सबमरीन वारफेयर, खुफिया जानकारी जुटाना, एरिया सर्विलांस आदि. इसे परिचालन के सभी क्षेत्रों में संचालित करने के लिए तैयार किया गया है, जो नौसेना टास्क फोर्स के अन्य घटकों के साथ इंटरऑपरेबिलिटी प्रदर्शित करता है. यह एक और शक्तिशाली प्लेटफ़ॉर्म है, जो पनडुब्बी संचालन में एक परिवर्तनकारी बदलाव ला रहा है.
वाघशीर में वायर-टॉरपीडो, एंटी शिप मिसाइल और एडवांस सोनार सिस्टम है. निकट भविष्य में इस पनडुब्बी में डीआरडीओ की मदद से एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन लगाने की तैयारी भी है ताकि वगशीर को एक स्टील्थ पनडुब्बी में तब्दील किया जा सके.
प्रोजेक्ट-75 के तहत बनी छह स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बी
आईएनएस वाघशीर को प्रोजेक्ट-75 के तहत, एमडीएल ने फ्रांस के नेवल ग्रुप के साथ मिलकर तैयार किया है. वाघशीर के अलावा इस प्रोजेक्ट में पांच अन्य स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बी कलवरी, खंडेरी, करंज, वेला और वागीर का भी निर्माण किया गया है. इन पांचों पनडुब्बियों को पहले ही नौसेना में शामिल कर लिया गया है.
वाघशीर को 20 अप्रैल 2022 को लॉन्च किया गया था और इसे एक वर्ष से अधिक समय तक व्यापक और कड़े परीक्षणों की एक श्रृंखला से गुजरना पड़ा है, ताकि पूरी तरह से युद्ध योग्य पनडुब्बी की सुपुर्दगी सुनिश्चित की जा सके.
इस शक्तिशाली प्लेटफ़ॉर्म की स्टील्थ को बढ़ाने के लिए, ध्वनिक, ऑप्टिकल, इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक और इंफ्रारेडसिग्नेचर को कम करने पर विशेष ध्यान दिया गया है। ये स्टील्थ विशेषताएं इसे एक ऐसी अभेद्यता प्रदान करती हैं, जो दुनिया की अधिकांश पनडुब्बियों से बेजोड़ है. (15 जनवरी होगा नौसेना का ऐतिहासिक दिन, दुनिया मानेगी शिपबिल्डिंग में लोहा)