अमेरिकी ब्लैकहॉक हेलीकॉप्टर के मेरीटाइम वर्जन ‘सीहॉक’ विधिवत तरीके से भारतीय नौसेना के जंगी बेड़े का हिस्सा बन गए हैं. गुरुवार को कोच्चि स्थित आईएनएस गरुण नेवल एयरबेस पर ‘एमएच-60आर’ हेलीकॉप्टर की कमीशनिंग सेरेमनी आयोजित की गई जिसमें खुद नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरिकुमार मौजूद रहे.
कमीशनिंग सेरेमनी में नौसैनिकों को संबोधित करते हुए एडमिरल हरिकुमार ने कहा कि कटिंग-एज सेंसर और मल्टी-मिशन क्षमताओं के साथ एमएच-60आर हेलीकॉप्टर भारतीय नौसेना की मेरीटाइम सर्विलांस और एंटी-सबमरीन वारफेयर क्षमताओं को बढ़ाने में सहायक होंगे.
भारतीय नौसेना में एमएच-60आर हेलीकॉप्टर की स्क्वाड्रन को ‘आईएनएएस 334’ नाम दिया गया है जिसका आदर्श वाक्य है ‘जलधौ निर्भयम सर्वदा’ यानी समंदर में हमेशा निर्भय. अमेरिका से फॉरेन मिलिट्री सेल्स (एफएमएस) के तहत भारत ने 24 एमएच-60आर हेलीकॉप्टर का करार किया था. इन हेलीकॉप्टर को ‘रोमियो’ और ‘सीहॉक’ के नाम से भी जाना जाता है. फिलहाल भारत को अमेरिका से 06 सीहॉक मिल चुके हैं और बाकी 18 भी अगले साल तक मिल जाएंगे. अमेरिका की जानी मानी एविएशन कंपनी लॉकहीड मार्टिन इन हेलीकॉप्टर का निर्माण करती है.
भारतीय नौसेना ने सीहॉक हेलीकॉप्टर की स्क्वाड्रन को ऐसे समय में अपने जंगी बेड़े में शामिल किया है जब हिंद महासागर और अरब सागर में खासतौर से जबरदस्त चुनौतियां मिल रही हैं. चीन और मालदीव के डिफेंस एग्रीमेंट के साथ चीन की पनडुब्बियों की मौजूदगी, हूती विद्रोहियों के ड्रोन अटैक और सोमालियाई समुद्री-दस्यु की घटनाओं से इंडियन नेवी इस समय डटकर मुकाबला कर रही है.
फरवरी 2020 में जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत की यात्रा पर आए थे तब दोनों देशों ने फॉरेन मिलिट्री सेल्स (एफएमएस) के तहत भारतीय नौसेना के लिए 24 मल्टी-मिशन एमएच-60आर हेलीकॉप्टर का करार किया था. भारत ने अमेरिका से ये सौदा 2.6 बिलियन डॉलर (यानि करीब 21 हजार करोड़) में किया था.
अमेरिकी कंपनी, लॉकहीड मार्टिन द्वारा तैयार इन ‘एमएच 60आर’ हेलीकॉप्टर को एंटी-सबमरीन और एंटी-सरफेस (शिप) वॉरफेयर के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा इन रोमियो हेलीकॉप्टर को समंदर में सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन में भी इस्तेमाल किया जाता है.
भारतीय नौसेना को इन एंटी सबमरीन हेलीकॉप्टर की बेहद जरूरत थी. क्योंकि नौसेना के एंटी सबमरीन हेलीकॉप्टर, सीकिंग काफी पुराने पड़ चुके हैं. विक्रमादित्य के लिए भी नौसेना को नए हेलीकॉप्टर की जरूरत है. इसके अलावा स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत भी बनकर तैयार हो चुका है और उस पर तैनात करने के लिए भारतीय नौसेना को रोमियो हेलीकॉप्टर की दरकार थी.
एंटी-सबमरीन वारफेयर (एएसडब्लू) के साथ-साथ सीहॉक हेलीकॉप्टर सर्च एंड रेस्क्यू (एसएआर) ऑपरेशन, मेडिकल इवेक्युएशन (मेडइवेक) और वर्टिकल रिप्लेसमेंट (वेटरिप) में भी बेहद कारगर हैं.
बेहद ही एडवांस अमेरिकी रोमियो हेलीकॉप्टर हेलफायर मिसाइल, रॉकेट और टॉरपीडो से लैस हैं और जरूरत पड़ने पर समंदर मे कई सौ मीटर नीचे दुश्मन की पनडुब्बी को तबाह कर सकते हैं.
जुलाई 2022 में भारत को अमेरिकी नौसेना ने अपने दो एमएच-60आर हेलीकॉप्टर दे दिए थे ताकि भारतीय नौसैनिकों की ट्रेनिंग जल्द से जल्द शुरु की जा सके. भारतीय नौसैनिकों ने सीहॉक के लिए अमेरिका के सैन-डियागो में यूएस नेवल बेस पर ही ट्रेनिंग ली थी (https://youtu.be/Et_LYRZavBE?si=UpDUh3tffg64bK98).
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