रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के लिए 47 टी-72 ब्रिज-लेइंग टैंक (बीएलटी) की खरीद के लिए आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड (एएनवीएल) से खास करार किया है. इस सौदे की कुल कीमत 1560 करोड़ है.
ब्रिज लेइंग टैंक एक महत्वपूर्ण उपकरण है जिसका उपयोग इंजीनियरिंग कोर द्वारा आक्रामक और रक्षात्मक अभियानों के दौरान पुलों का निर्माण करने के लिए किया जाता है.
मंगलवार को रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने एएनवीएल की हैवी व्हीकल फैक्ट्री के अधिकारियों के साथ इस समझौते पर हस्ताक्षर किए.
ब्रिज लेइंग टैंक, कॉम्बेट (पारंपरिक) टैंक और बख्तरबंद वाहनों के बेड़े को पुल बनाने की क्षमता प्रदान करता है. इससे युद्ध के मैदान में गतिशीलता और आक्रामक क्षमता बढ़ती है. दरअसल, चीन और पाकिस्तान से सटी सीमाओं पर बड़ी संख्या में नदी-नाले हैं जिन्हें युद्ध के समय पार करना एक बड़ी चुनौती है. यही वजह है कि दुश्मन की सीमा में दाखिल होने के लिए ऐसे पुल बनाने वाले टैंक की बड़ी आवश्यकता होती है.
पिछले साल जून के महीने में पूर्वी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) सेक्टर में चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर एक्सरसाइज के दौरान एक नदी को पार करते समय सेना का टी-72 (कॉम्बैट) टैंक फंस गया था. बेहद तेज बहाव के कारण टैंक में मौजूद पांच सैनिक नदी में बह गए थे और सर्वोच्च बलिदान दिया था. नदी को पार करने के दौरान ऐसी अप्रिय घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो, रक्षा मंत्रालय ऐसे पुल बनाने वाले टैंक खरीद रही है. (DBO में पांच सैनिकों की मौत, नदी में फंस गया था टैंक)
वर्तमान समझौते के अन्तर्गत खरीद (भारतीय-स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित) होने से रक्षा में मेक-इन-इंडिया पहल को बढ़ावा मिलेगा.
उल्लेखनीय है कि इस साल गणतंत्र दिवस परेड में ये ब्रिज-लेइंग टैंक कर्तव्य पथ पर भी दिखाई पडेंगे.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह परियोजना समग्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और देश में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. (https://x.com/SpokespersonMoD/status/1881745175774462136)