रुस ने साफ कर दिया है कि शुक्रवार की शाम राजधानी मास्को में हुए बड़े आतंकी हमले को कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकियों ने अंजाम दिया था. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हालांकि, आईएस (आईएसआईएस) के जिहादियों को यूक्रेन से मिले ‘आदेश’ को लेकर आशंका जताई है. ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या हमला करने में यूक्रेन ने चेचन्या विद्रोहियों के जरिए इस्लामिक जिहादियों से हाथ मिलाया था ?
रुस की सबसे बड़ी जांच एजेंसी, एफएसबी यानी फेडरल सिक्योरिटी ब्यूरो के मुताबिक, 22 मार्च की शाम क्रॉकस कॉन्सर्ट हॉल में आतंकी हमला इस्लामिक जेहादियों ने किया था. एफएसबी ने गिरफ्तार किए गए चारों आतंकियों की तस्वीरें और जानकारी भी सार्वजनिक कर दी है. ये सभी चारों आतंकी पड़ोसी देश (पहले सोवियत संघ का हिस्सा रहे) ताजिकिस्तान के नागरिक हैं और हमला करने के लिए रुस आए थे. इसके अलावा एफएसबी ने हमले की साजिश रचने के आरोप में एक इस्लामिक धर्मगुरु को भी गिरफ्तार किया है.
सोमवार को देश को एक बार संबोधित करते हुए पुतिन ने हालांकि माना कि टेरर अटैक को इस्लामिक कट्टरपंथियों ने अंजाम दिया था लेकिन इशारों में यूक्रेन पर भी आरोप लगा डाले. पुतिन ने कहा कि हमले को अंजाम देने के बाद आतंकियों का यूक्रेन में कौन इंतजार कर रहा था. पुतिन ने साफ तौर से कहा कि हम जानते हैं हमला किसने किया, लेकिन हम ये जानना चाहते है कि हमले का ऑर्डर किसने किया.
इस बीच हमले में चेचन्या विद्रोही संगठन के एक कमांडर की आईएस और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमीर जेलेंस्की से नजदीकियों को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. सवाल ये कि क्या यूक्रेन ने रुस के खिलाफ इस्लामिक जिहादियों से हाथ मिला लिया है. रुस के खिलाफ जंग में यूक्रेन के सैनिक और हथियार धीरे-धीरे कर खत्म हो रहे हैं. अमेरिका ने यूक्रेन को वित्तीय और सैन्य सहायता देनी बंद कर दी है. यूरोप से भी जेलेंस्की को अब खास मदद नहीं मिल रही है. ऐसे में पुतिन का ये बयान कि क्रॉकस कॉन्सर्ट हॉल के हमलावरों को यूक्रेन में सुरक्षित संरक्षण मिलने जा रहा था, बेहद अहम है. इसका एक बड़ा कारण है.
दरअसल, चेचन्या विद्रोह गुट का एक कमांडर अब्दुल हाकिम शिशानी उर्फ रुस्तम अज्हीव पिछले कई सालों से यूरोप में रहता है और रुस का विरोधी है. रुस से जंग के दौरान अज्हीव ने यूक्रेन की सेना का साथ दिया था. खास बात ये है कि अज्हीव ने अपने चेचन्या विद्रोही संगठन का अलकायदा में विलय कर लिया था. खुद अज्हीव भी सीरिया में रुस की सेना के खिलाफ आतंकी संगठन आईएस (इस्लामिक स्टेट) की तरफ से लड़ चुका है. ऐसा इसलिए, क्योंकि रुस की सेना सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के समर्थन में आईएस के खिलाफ लड़ रही है. खुद पुतिन ने एक दशक पहले (2015) में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में आईएस के खिलाफ एक एंटी-आईएस फ्रंट बनाकर लड़ने की वकालत की थी. सोमवार को रुस की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने एक लेख में आईएस को ‘अमेरिका की उपज’ बताकर सनसनी फैला दी.
सोवियत संघ के टूटने के बाद रुस के मौजूद चेचन्या प्रांत में बड़ा विद्रोह हुआ था. चेचन्या, रुस से अलग राष्ट्र बनना चाहता था. ऐसे में पहले 90 के दशक में और फिर 2000-09 तक चेचन्या में रुस की सेनाओं और विद्रोहियों के बीच बड़ी जंग हुई थी. ये जंग चेचन्या की राजधानी ग्रोज़नी की सड़कों तक पर लड़ी गई थी. बड़ी संख्या में चेचन विद्रोही, आम नागरिक और रुस सैनिकों की जान गई थी. यूएन से लेकर पूरी दुनिया ने रुस सेना की कड़ी कार्रवाई को लेकर आलोचना की थी. आखिरकार 2009 में पुतिन के नेतृत्व में चेचन्या में शांति बहाली का ऐलान किया गया था. लेकिन कुछ विद्रोही यूरोप जाकर छिप गए थे. अज्हीव भी उन्हीं में से एक है.
अक्टूबर 2022 में यूक्रेन की संसद ने चेचन्या के समर्थन में प्रस्ताव पास किया था जबकि अप्रैल 2023 में जेलेंस्की को चेचन्या की ‘निर्वासित सरकार’ द्वारा रुस के खिलाफ लड़ने के लिए बड़ा सम्मान दिया गया था.
गौरतलब है कि चेचन्या के मौजूदा राष्ट्रपति रमजान कादिरोव खुद यूक्रेन जंग में रुस की तरफ से हिस्सा ले चुके हैं. मारियूपोल के अजोव स्टील प्लांट की लड़ाई (अप्रैल-मई 2022) में रूस की चेचन्या बटालियन ने ही यूक्रेन की अजोव बटालियन के खिलाफ निर्णायक जंग लड़ी थी. कादिरोव को पुतिन का करीबी माना जाता है और रूसी सेना के कर्नल रैंक मिली हुई है. शनिवार को मास्को हमले के गुनहगारों की गिरफ्तारी की सबसे पहले सूचना कादिरोव ने ही जारी की थी.
इस बीच कॉन्सर्ट हॉल में मारे गए लोगों की संख्या 139 तक पहुंच गई है. जांच एजेंसियों ने पुतिन को दी जानकारी में बताया है कि इनमें से 40 लोगों की जान हमलावरों की गोली लगने से हुई है जबकि 45 लोगों की जान हॉल में आग लगने के कारण हुई है. क्योंकि हमलावरों ने हॉल में अंधाधुंध फायरिंग के साथ-साथ बैठने की जगह पर आग भी लगा दी थी जिसके कारण पूरा हॉल धूं-धूं कर जल उठा था.
चारों आतंकियों को कड़ी पूछताछ के बाद मास्को की अदालत में पेश किया गया जहां उन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया है. आतंकियों को मास्को में रहने की जगह और कार मुहैया कराने वाले मददगारों को भी एफएसबी ने गिरफ्तार कर लिया है.
लेकिन हैरानी इस बात की है इतने बड़े नरसंहार को अंजाम देने वाले चारों आतंकियों को शनिवार को यूक्रेन बॉर्डर के करीब से गिरफ्तार किया गया तो उन्होंने रुसी सैनिकों का कोई विरोध नहीं किया, जैसा कि आईएस के आतंकी करते हैं या फिर आत्मघाती हमला करते हैं. क्रॉकस हमले को उन्होंने महज आधे घंटे में अंजाम दिया और कार से फरार हो गए. हालांकि, एक वीडियो में हमले के बाद आतंकी एक शख्स का गला काटते हुए जरूर दिखाई पड़े थे.
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