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Navy में होंगे भारतीय परंपराओं के रैंक और एपोलेट्स, पीएम मोदी का सिंधुदुर्ग से ऐलान

नौसेना दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया है कि अब इंडियन नेवी में नौसैनिकों के रैंक भारतीय पंरपराओं के अनुरूप रखे जाएंगे. कोंकण तट पर बने छत्रपति शिवाजी महाराज के किले में आयोजित 5वें नौसेना दिवस समारोह में पीएम मोदी ने इस बात की भी घोषणा कि नौसैनिकों की यूनिफॉर्म में लगे एपोलेट्स में भी अब नौसेना के नए ध्वज के समान होंगे. 

सिंधुदुर्ग में नौसैनिकों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के आदर्शों से प्रेरित होकर आज का भारत गुलामी की मानसिकता को त्यागकर आगे बढ़ रहा है. उन्होंने खुशी व्यक्त की कि नौसेना के अधिकारियों द्वारा पहने जाने वाले एपोलेट्स में अब छत्रपति वीर शिवाजी महाराज की विरासत की झलक दिखाई देगी क्योंकि नए एपोलेट्स नौसेना के ध्वज के समान होंगे. उन्होंने पिछले साल नौसेना ध्वज के अनावरण को भी याद किया जिसमें शिवाजी महाराज की मराठा नौसेना की सील को प्रदर्शित किया गया है. 

भारतीय नौसेना के प्रमुख (चीफ ऑफ नेवल स्टाफ) को एडमिरल के नाम से जाना जाता है. जबकि मराठा नौसेना में एडमिरल को सरखेल के नाम से जाना जाता था. सरखेल कान्होजी आंग्रे (1669-1729) मराठा नौसेना के सबसे बड़े एडमिरल थे, जिन्होनें समंदर में एक भी युद्ध में हार का सामना नहीं किया था. उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी, पुर्तगाली और डच नौसेना के छक्के छुड़ा दिए थे. 

भारतीय नौसेना में जेसीओ रैंक के अधिकारियों को मास्टर चीफ पैटी ऑफिसर और एनसीओ (नौसैनिकों) को सीमैन के नाम से जाना जाता है. हालांकि, नौसैना ने अभी तक ये साफ नहीं किया है कि अब किस नए नाम से नौसैनिकों को जाना जाएगा. 

पीएम मोदी ने सशस्त्र बलों में नारी शक्ति को मजबूत करने पर भी जोर दिया. पीएम ने नौसेना के युद्धपोत में भारत की पहली महिला कमांडिंग ऑफिसर की नियुक्ति पर भारतीय नौसेना को बधाई भी दी.

पीएम मोदी सिंधुदुर्ग में ‘नौसेना दिवस 2023’ समारोह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में शामिल हुए और उन्होंने तारकरली समुद्र तट से भारतीय नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों, विमानों और विशेष बलों के ‘सामरिक प्रदर्शनों’ को भी देखा. पीएम ने गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया. इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सीडीएस जनरल अनिल चौहान और नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरिकुमार भी मौजूद थे. 

पीएम मोदी ने नौसेना दिवस के अवसर पर अपनी शुभकामनाएं दीं और देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले बहादुरों को नमन किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि सिंधुदुर्ग की विजयी भूमि पर नौसेना दिवस मनाना वास्तव में अभूतपूर्व गौरव का क्षण है. प्रधानमंत्री ने कहा, “सिंधुदुर्ग किला भारत के प्रत्येक नागरिक में गर्व की भावना पैदा करता है.” उन्होंने किसी भी राष्ट्र की नौसैनिक सामर्थ्‍य का महत्व पहचानने में शिवाजी महाराज की दूरदर्शिता पर जोर किया. शिवाजी महाराज की इस उद्घोषणा को दोहराते हुए कि जिनका समुद्र पर नियंत्रण है, वे ही अंतिम शक्ति रखते हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने एक शक्तिशाली नौसेना का मसौदा तैयार किया था. उन्होंने कान्होजी आंग्रे, मायाजी नाइक भटकर और हिरोजी इंदुलकर जैसे योद्धाओं को भी नमन किया और कहा कि वे आज भी प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं.

उन्होंने सिंधुदुर्ग जैसे किलों का उदाहरण देकर भारत की क्षमताओं पर प्रकाश डाला, जिन्हें तब बनाया गया था जब तकनीक और संसाधन न के बराबर थे. उन्होंने गुजरात के लोथल में पाए गए सिंधु घाटी सभ्यता के बंदरगाह की धरोहर और सूरत बंदरगाह में 80 से अधिक जहाजों को गोदी में लाने का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने चोल साम्राज्य द्वारा दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में व्यापार के विस्तार के लिए भारत की समुद्री सामर्थ्‍य को श्रेय दिया। इस बात पर अफसोस व्‍यक्‍त करते हुए कि यह भारत की समुद्री सामर्थ्‍य थी जिस पर सबसे पहले विदेशी शक्तियों ने हमला किया था, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जो नौकाएं और जहाज बनाने के लिए प्रसिद्ध था, उसने समुद्र पर नियंत्रण खो दिया और इस तरह रणनीतिक-आर्थिक सामर्थ्‍य खो दी. जैसे-जैसे भारत विकास की ओर बढ़ रहा है, प्रधानमंत्री ने खोए हुए गौरव को पुनः प्राप्त करने पर जोर दिया और ब्लू इकोनॉमी को सरकार के अभूतपूर्व प्रोत्साहन पर प्रकाश डाला. 

इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ ने देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक आईएनएस विक्रांत का विशेष उल्लेख करते हुए ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के लिए नौसेना में हो रही प्रगति पर प्रकाश डाला.  आईएनएस विक्रांत को सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री द्वारा कमीशन किया गया था. उन्होंने कहा, “पहले नौसेना के ज्यादातर उपकरण आयात होते थे, लेकिन आज हम ‘खरीदार नौसेना’ से ‘निर्माता नौसेना’ बन गए हैं. आज  हम इसे  कोस्टल नेवी से ब्लू वाटर नेवी में बदल रहे हैं. यह बदलाव वास्तव में हमारे प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व को दर्शाता है.”

हर साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस के रूप में मनाया जाता है ताकि भारतीय नौसेना को उचित सम्मान दिया जा सके तथा 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ में नौसेना की उपलब्धियों का जश्न मनाया जा सके. नौसेना दिवस समारोह महाराष्ट्र के मालवण जिले के सिंधुदुर्ग तालुक के तारकरली समुद्र तट पर मनाया गया. पहली बार यह समारोह किसी भी प्रमुख नौसेना स्टेशन के बाहर आयोजित किया गया. इस आयोजन की पृष्ठभूमि प्रतिष्ठित मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा 1660 में निर्मित प्रतिष्ठित सिंधुदुर्ग किला था जो भारत के समृद्ध समुद्री इतिहास का प्रतीक है.

गौरतलब है कि इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री द्वारा राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की शानदार 43 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण भी शामिल था। प्रतिमा की कल्पना और अवधारणा भारतीय नौसेना द्वारा की गई थी और महाराष्ट्र सरकार द्वारा वित्त पोषित थी.

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