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ब्रिटेन आर्मी का हिस्सा बने नेपाली गोरखा, भारत से बनाई दूरी

भारतीय सेना में अग्निपथ योजना लागू होने के बाद, नेपाल के गोरखा सैनिकों की भर्ती रूकने का फायदा इंग्लैंड उठा रहा है, ब्रिटिश आर्मी में नेपाली मूल के गोरखा की डिमांड बढ़ गई है. इसलिए ब्रिटिश आर्मी ने नेपाली मूल के गोरखा समुदाय के लिए नई गोरखा रेजिमेंट के गठन का ऐलान किया है. 

हालांकि, ये कोई पहली बार नहीं है, ब्रिटिश आर्मी में पहले से ही गोरखा रेजिमेंट है, लेकिन भारत में भर्ती बंद होने के बाद तोपखाने की नई रेजिमेंट बनाई जा रही है.

ब्रिटिश आर्मी में नई गोरखा रेजिमेंट बनाने की घोषणा

ब्रिटिश आर्मी ने नई आर्टिलरी (तोपखाने) की नई गोरखा रेजिमेंट बनाने की घोषणा की है. इसके लिए इंग्लैंड के किंग ने अपनी अनुमति प्रदान कर दी है. ऐसे में इसे किंग्स गोरखा आर्टिलरी (केजीए) के नाम से जाना जाएगा.

अगले चार साल में इंग्लैंड की केजीए रेजिमेंट में करीब 400 सैनिकों के भर्ती होने की संभावना है. केजीए के बैज में नेपाल की दो खुखरी को दिखाया गया है. साथ ही आर्टिलरी की एक तोप को भी दर्शाया गया है.

अग्निवीर योजना के विरोध में गोरखा युवाओं की भर्ती बंद

अग्निवीर योजना के विरोध में नेपाल ने भारतीय सेना में गोरखा युवाओं की भर्ती बंद कर दी है. भारतीय सेना में गोरखा समुदाय की सात (07) रेजिमेंट हैं. इनमें नेपाल और भारतीय मूल के गोरखा युवा ही भर्ती हो सकते हैं. लेकिन अब रेजिमेंट में भारतीय मूल के ही गोरखा युवा हिस्सा ले रहे हैं.

वर्ष 2022 में भारतीय सेना में युवाओं की भर्ती को पूरी तरह बदल दिया गया था. नई प्रक्रिया के तहत, अब भारतीय सेना में अग्निपथ योजना को लागू कर दिया गया है. ऐसे में सैनिकों को पहले चार (04) साल सेना में अग्निवीर के तौर पर अपनी सेवाएं देनी होती है. 

चार साल की सेवाओं के बाद, अग्निवीरों की स्क्रूटनी की जाएगी और उनमें से महज 25 प्रतिशत ही सैनिक बनने के लिए चुने जाएंगे. बाकी अग्निवीरों को सेना छोड़कर एक आम नागरिक की तरह दूसरे सेवाओं या व्यवसाय करने का मौका दिया जाएगा.

नेपाल सरकार ने किया था अग्निपथ स्कीम का विरोध

नेपाल सरकार ने भारतीय सेना की अग्निपथ स्कीम का विरोध किया है. आजादी के बाद (1947) भारतीय सेना में नेपाल के गोरखा युवाओं की भर्ती का क्रम जारी था. इस समय भारतीय सेना की गोरखा सैनिकों की 07 अलग-अलग रेजिमेंट है (39 बटालियन). इनमें करीब 40 हजार गोरखा सैनिक हैं. जिनमें से करीब 60 प्रतिशत नेपाल मूल के सैनिक हैं. लेकिन पिछले तीन सालों से नेपाल के गोरखा सैनिकों की भर्ती लगभग बंद हो चुकी है.

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