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चीन सीमा पर कोई बफर जोन नहीं, सेना प्रमुख का कमांडर्स को निर्देश

थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने साफ किया है कि चीन से सटी एलएसी पर कोई बफर जोन नहीं है. जनरल द्विवेदी ने कहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हालात स्थिर नहीं संवेदनशील हैं. ऐसे में सभी कोर कमांडर को आदेश दिया है कि चीन सीमा पर जितने भी छुटपुट विवादित मुद्दे हैं उन्हें सुलझाया जाए. 

सेना दिवस (15 जनवरी) से पहले सोमवार को राजधानी दिल्ली में सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सेनाध्यक्ष ने कहा कि जब कभी बॉर्डर पर विवाद होता है तो अस्थायी तौर पर दोनों देशों की सेनाएं कुछ दूरी पर पीछे हट जाती है ताकि उस जगह पर हिंसा ना हो. ऐसे में सेना प्रमुख के मुताबिक, मोरेटोरियम-जगह को बफर जोन गलत है. 

एक सवाल के जवाब में सेना प्रमुख ने कहा कि पूर्वी लद्दाख से इतर 3488 किलोमीटर लंबी पूरी एलएसी पर सभी कोर कमांडर्स को निर्देश दिया गया है कि चीन के साथ जितने भी विवादित मुद्दे हैं, उन्हें चिन्हित कर सुलझाया जाए. 

थोड़ा स्टैंड-ऑफ अभी भी जारी

सोमवार को थलसेना प्रमुख ने एक बार फिर दोहराया कि दोनों देशों की सेनाओं को एक दूसरे पर फिर से विश्वास करने की जरूरत है ताकि सीमा पर विवाद उत्पन्न न हो. क्योंकि अभी भी थोड़ा ‘स्टैंड-ऑफ’ (तनातनी) जारी है. ऐसे में दोनों देशों को बातचीत के जरिए विवाद को पूरी तरह सुलझाना होगा.

जनरल द्विवेदी के मुताबिक, स्टैंड-ऑफ इसलिए जारी है क्योंकि अप्रैल 2020 के बाद दोनों देशों ने सीमा पर सैनिकों को जमावड़ा किया, हथियारों को तैनात किया और मिलिट्री-निर्माण किया. साथ ही दोनों देशों की सेनाओं ने बॉर्डर को ‘डॉक्टर्ड’ यानी बदलाव किया.

थलसेना प्रमुख ने कहा कि दोनों देशों के स्पेशल प्रतिनिधि और वर्किंग मैकेनिज्म की बैठक के बाद, बॉर्डर पर बातचीत को आगे बढ़ाया जाएगा ताकि छुटपुट विवादों को सुलझाया जाए ताकि बड़ा विवाद न बन जाए.

सेना प्रमुख ने कहा कि ये विवाद कब तक पूरी तरह खत्म हो जाएंगे, इसको लेकर कोई टाइम-लाइन नहीं है लेकिन भारत को ‘स्ट्रेटेजिक-पेशेंस’ है और इंतजार किया जा सकता है.

77वें सेना दिवस से पहले जनरल द्विवेदी ने भारतीय सेना के आधुनिकीकरण सहित मिलिट्री टेक्नोलॉजी से जुड़े अहम मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की. 

भारत चीन डिसएंगेजमेंट समझौता

पिछले साल 21 अक्टूबर (2023) को भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर विवाद सुलझाने के लिए दोनों देशों की सेनाओं ने डिसएंगेजमेंट करार किया था. इसके समझौते के तहत, पिछले साढ़े चार साल से पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाएं आई बॉल टू आई बॉल स्थिति से पीछे हट गई थी. (https://x.com/neeraj_rajput/status/1878738536700219425?s=46)

डिसएंगेजमेंट समझौते के बाद दोनों देशों की सेनाओं ने विवादित इलाकों में पेट्रोलिंग शुरु कर दी है. करार के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से रूस के कजान में बैठक की थी ताकि दोनों देशों के संबंधों को पटरी पर लाया जा सके. 

दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों की मुलाकात के बाद, एनएसए अजीत डोवाल ने बीजिंग का दौरा कर चीन के विदेश मंत्री से मुलाकात कर सीमा विवाद स्थायी तौर से सुलझाने पर चर्चा की थी.