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चीन से खुद निपटाएंगे विवाद, मध्यस्थता मंजूर नहीं

चीन और भारत के संबंध अच्छे नहीं, पर हम दोनों देश खुद बात करके अपने संबंध सुधारने में सक्षम हैं. हमें किसी तीसरे देश का हस्तक्षेप नहीं चाहिए. ये सीधा और सपाट बयान विदेश मंत्री एस जयशंकर का है, जो उन्होंने जापान की राजधानी टोक्यो से दिया है.

एस जयशंकर क्वाड देशों की बैठक के लिए टोक्यो पहुंचे थे. क्वाड देशों की बैठक से इतर, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत और चीन के संबंधों पर खुलकर बात की. एस जयशंकर ने माना कि “चीन और भारत के संबंध सामान्य और अच्छे नहीं हैं, पर संबंध सुधारने के लिए किसी और देश की मध्यस्थता नहीं चाहिए.”  

एस जयशंकर का ये बयान चीन के विदेश मंत्री से लाओस में हुई मुलाकात के बाद आया है. हाल में भारत और चीन दोनों ने ही संबंधों को सुधारने की पहल की है. इसी कड़ी में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच एक महीने के अंदर दूसरी बार मुलाकात के दौरान सीमा पर शांति को लेकर अहम बातचीत की है.

चीन ने सेना तैनात करके समझौते का उल्लंघन किया: एस जयशंकर

एस जयशंकर ने बड़ी ही बेबाकी से भारत और चीन के संबंधों पर बात की. एस जयशंकर ने कहा, “चीन के साथ हमारे संबंध बहुत अच्छे नहीं चल रहे हैं. इसका कारण है कि 2020 में कोविड के दौरान चीन ने सीमा क्षेत्रों में एक बड़ी सेना की तैनाती कर समझौतों का उल्लंघन किया था. इससे तनाव पैदा हुआ, जिसके कारण झड़प हुई और भारत और चीन दोनों तरफ के लोग मारे गए.”

एस जय़शंकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि “ अभी भी हल नहीं निकला है, क्योंकि समस्या पूरी तरह से हल नहीं हुई है. चीन के साथ अभी संबंध अच्छे और सामान्य नहीं हैं. एक अच्छे पड़ोसी के तौर पर हम अच्छे संबंध रखना चाहते हैं लेकिन ये तभी संभव है जब एलएसी का सम्मान हो. उन समझौतों को माना जाए जो भारत और चीन के बीच हुए हैं.”

दूसरे देशों को भारत और चीन के संबंधों में बेहद रुचि है: एस जयशंकर

एस जयशंकर ने एक महीने में दूसरी बार चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के बारे में बात करते हुए कहा- “जाहिर है दुनिया के दूसरे देशों में इस बात की रुचि होगी कि भारत और चीन बड़े देश हैं और हमारे संबंधों का प्रभाव बाकी दुनिया पर भी पड़ता है. पर एक बात साफ है कि हम अपने संबंध सुधारने के लिए किसी तीसरे देश की ओर नहीं देख रहे हैं. भारत और चीन में एक मुद्दा है, मुझे लगता है कि हम दोनों को आपस में बात करके समाधान निकालना चाहिए, हम दूसरे देशों की ओर बिलकुल नहीं देख रहे”

भारत और चीन जरूरत समझ चुके हैं: चीनी मीडिया

लाओस में चीनी और भारतीय विदेश मंत्रियों की मुलाकात को लेकर चीनी सरकार के मुखपत्र में लिखा गया है कि यह बदलाव दिखाता है कि दोनों पक्ष आपसी विश्वास को और बेहतर बनाने की जरूरत समझ चुके हैं.

 ‘भारत-चीन का रिश्ता सहयोग और प्रतिस्पर्धा का जटिल मिश्रण है. भारत और चीन दोनों देश आर्थिक रूप से एक-दूसरे पर निर्भर हैं, बावजूद इसके दोनों देशों के रिश्तों में कड़ी प्रतिस्पर्धा और कूटनीतिक होड़ मची हुई है. भारत और चीन के बीच सहयोग को और मजबूत करने में सबसे बड़ी रुकावट विश्वास की कमी है जो पिछले कुछ सालों में बढ़ गई है.

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का लंबा इतिहास रहा है जिसका द्विपक्षीय रिश्तों पर असर हुआ है. इसके अलावा, हिंद महासागर और भारत के पड़ोसी देशों में चीन का बढ़ता प्रभाव भारत के लिए चिंता का विषय है, इसलिए भारत और चीन को बातचीत के जरिए गलतफहमियां दूर करने की कोशिश करनी चाहिए. पर भारत संतुलन बनाना चाहता है, इसलिए अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वाड का सदस्य बन गया है जो दिखाता है कि भारत, चीन के प्रभाव को कम करने के लिए दूसरे देशों के साथ संतुलन बना रहा है.”

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