रुस के राष्ट्रपति पुतिन की लिमोजिन कार में सवारी करने वाले उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने जापान के साथ किसी भी तरह की वार्ता से साफ इंकार कर दिया है. यानी सनकी तानाशाह ने जापान के साथ बातचीत की टेबल पर आने से मना कर जापानी प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा को बेइज्जत करने की कोशिश की है.
दो दिन पहले जापान के प्रधानमंत्री ने किम जोंग उन के साथ बिना किसी शर्त के राउंड टेबल बातचीत की पेशकश की थी. बजाए चुपचाप इस वार्ता के लिए मना करने के किम जोंग की बहन किम यो जोंग ने दो टूक कह दिया है कि उत्तर कोरिया किसी भी तरह की बातचीत का पक्षधर नहीं है. क्योंकि जापान “ऐतिहासिक बंधनों को तोड़कर नए सिरे से बातचीत नहीं करना चाहता है.”
तानाशाह की बहन ने कहा है कि जापान न तो “ऐतिहासिक गलतियों को बदलने में रुचि रखता है और ना ही क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाने में.” उत्तरी कोरिया से वार्ता कर किशिदा अपने “डोमिस्टिक राजनीति चमकाने में ज्यादा रुचि रखते हैं क्योंकि उनकी लोकप्रियता घट रही है.” इसी साल सितंबर के महीने में जापान में आम चुनाव होने हैं.
जानकारों की मानें तो उत्तर कोरिया से समिट के दौरान किशिदा जापान के डेढ़ दर्जन नागरिकों के अपहरण का मामला उठाना चाहते थे. इन जापानी नागरिकों को 70-80 के दशक में उत्तर कोरिया ने अपहरण कर लिया था और अभी भी किम जोंग की जेल में बंद हैं.
दक्षिण कोरिया से विभाजन होने के बाद से ही उत्तर कोरिया और जापान की अदावत रही है. विभाजन से पहले पूरा कोरिया, जापान के अधीन था. उस दौरान साम्राज्यवादी और उप-निवेश नीतियों के चलते जापान ने कोरिया पर जबरदस्त जुल्म ढाहे थे. कम्फर्ट-वूमेन यानी जापानी सेना में कोरियाई महिलाओं को दासी बनाकर रखने को लेकर भी कोरियाई देशों ने आज तक जापान को पूरी तरह माफ नहीं किया है. यही वजह है कि परीक्षण के दौरान उत्तर कोरिया की मिसाइल दक्षिण कोरिया के साथ साथ जापान के समंदर में जाकर भी गिरती हैं.
दक्षिण कोरिया की तरह जापान भी अमेरिका के साथ गठबंधन में है. ये भी उत्तर कोरिया के साथ तनातनी का एक बड़ा कारण हैं. यही वजह है कि किम जोंग उन जापान से संबंध सुधारने में विश्वास नहीं रखता है.
उधर रुस और जापान की भी पुरानी दुश्मनी रही है. लेकिन उत्तर कोरिया के रुस के साथ मजबूत संबंध रहे हैं. हाल ही में किम जोंग उन पुतिन की गिफ्ट दी हुई लिमोजिन कार में सवारी करते हुए दिखाई पड़े थे. माना जाता है कि यूक्रेन युद्ध के दौरान उत्तर कोरिया ने रुस को मिसाइल और ड्रोन भी सप्लाई किए हैं. हालांकि, न तो रुस और न ही उत्तर कोरिया ने कभी इस मिलिट्री सप्लाई को लेकर कोई सार्वजनिक तौर से कोई बयान दिया है. परमाणु प्रोग्राम के चलते यूएन (संयुक्त राष्ट्र) और अमेरिका जैसे देशों ने उत्तर कोरिया पर भारी प्रतिबंध लगा रखे हैं.