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डोवल चले फ्रांस, रफाल Marine सौदे का बाजार गर्म

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोवाल की फ्रांस यात्रा से पहले फ्रांसीसी कंपनी दासो ने राफेल या रफाल (मरीन) सौदे की कुल कीमत भारत को सौंप दी है. ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही नौसेना के लिए राफेल के 26 मरीन वर्जन की डील फ्रांस से हो सकती है.

सोमवार को एनएसए, इंडो-फ्रांस स्ट्रेटेजिक डायलॉग के लिए पेरिस जा रहे हैं. इस मीटिंग में डोवल अपने फ्रांसीसी समकक्ष से मुलाकात करेंगे. माना जा रहा है कि राफेल के मरीन वर्जन के सौदे पर भी चर्चा हो सकती है.  

इसी साल मई के महीने में फ्रांसीसी सरकार और रफाल बनाने वाली कंपनी दासो का एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल राजधानी दिल्ली पहुंचा था. इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने रक्षा मंत्रालय की ‘कोस्ट नेगोशिएशन कमेटी’ (सीएनसी) से रफाल (एम) से जुड़े सौदे को लेकर अहम बातचीत की थी.

जानकारी के मुताबिक, फ्रांसीसी प्रतिनिधिमंडल और सीएनसी ने रफाल (एम) सौदे की कीमत, तकनीक और हथियारों को लेकर चर्चा की थी. रक्षा मंत्रालय की सीएनसी में भारतीय नौसेना के टॉप कमांडर भी शामिल रहेंगी. वहीं फ्रांसीसी प्रतिनिधिमंडल में दासो के अलावा हथियार मुहैया कराने वाली ‘थेल्स’ कंपनी के एग्ज्यूकेटिव मौजूद थे.

माना जा रहा है कि वायुसेना के 36 रफाल लड़ाकू विमानों की तरह ही रफाल (एम) भी ‘इंटरगर्वमेंटल डील’ (आईजीआई) यानी दोनों देशों की सरकार के बीच समझौते के तहत ही खरीदे जाएंगे. इस सौदे की कुल कीमत करीब 5.5 बिलियन यूरो यानी करीब 50 हजार करोड़ होने का अनुमान है. दासो कंपनी द्वारा रक्षा मंत्रालय को सौंपी अपनी बोली के बाद अब दोनों देशों की उच्च-स्तरीय कमेटी कीमत, हथियारों, एवियॉनिक्स और दूसरी शर्तों पर चर्चा करने जा रही है.

भारतीय नौसेना का स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत, ‘आईएनएस विक्रांत’ बनकर तैयार हो चुका है. सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में कोच्चि (केरल) में आईएनएस विक्रांत को नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल कर लिया गया था. लेकिन उस पर तैनात करने के लिए भारत के पास फिलहाल कोई मेरीटाइम फाइटर जेट नहीं है. ऐसे में नौसेना के दूसरे एयरक्राफ्ट कैरियर, ‘आईएनएस विक्रमादित्य’ पर तैनात होने वाले फाइटर जेट, मिग-29के को विक्रांत पर तैनात किया गया है. यही वजह है कि नौसेना को जल्द से जल्द रफाल के मरीन वर्जन की दरकार है.

पिछले हफ्ते ही विक्रांत ने विक्रमादित्य के साथ मिलकर नेवी की वेस्टर्न फ्लीट के अंतर्गत एक साझा युद्धाभ्यास में हिस्सा भी लिया था.

जानकारी के मुताबिक, फ्रांस से रफाल (एम) के कॉन्ट्रैक्ट साइन होने के करीब चार साल बाद पहला लड़ाकू विमान नौसेना को मिल पाएगा. यानी पहला रफाल (एम) 2027 से पहले विक्रांत पर तैनात नहीं हो पायेगा. क्योंकि भारत ने जब वायुसेना के लिए वर्ष 2015 में रफाल फाइटर जेट खरीदने की घोषणा की थी, तब पहला विमान 2019 में जाकर मिला था. कुल 36 रफाल लड़ाकू विमानों की खेप इस साल के शुरुआत में जाकर पूरी हुई है.

नौसेना के लिए जो 26 रफाल (एम) खरीदे जाएंगे, उनमें 22 सिंगल सिटर फाइटर जेट होंगे और चार ट्विन-सीटर यानी ट्रेनिंग के लिए होंगे. जरुरत पड़ने पर ट्रेनर को भी फाइटर रोल में तब्दील किया जा सकता है.

भारतीय नौसेना के पास मेरीटाइम कॉम्बेट के लिए फिलहाल रुस के 45 मिग-29 के लड़ाकू विमान हैं. लेकिन ये अब पुराने पड़ते जा रहे हैं. हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने डीआरडीओ के साथ मिलकर एलसीए-तेजस का मेरीटाइम वर्जन तैयार किया है जिसके एलसीए (नेवल) के नाम से जाना जाता है. लेकिन सिंगल इंजन होने के कारण नौसेना इस फाइटर जेट को एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात करने में हिचकिचा रही है. ऐसे में एचएएल ने ‘डेक बेस्ड ट्विन इंजन फाइटर जेट’ (टीईडीबीएफ यानी टेडबेफ) पर काम करना शुरू कर दिया है. टेडबेफ का प्रोटो वर्जन 2026 तक आने की उम्मीद है और इसका प्रोडक्शन 2030 से शुरु हो जाएगा. 2040 तक 45 टेडबेफ नौसेना को मिल सकते हैं. यही वजह है कि इस गैप को भरने के लिए 26 रफाल (एम) की जरूरत है.

 

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